चार में से तीन पदों पर ABVP का कब्जा, NSUI को उपाध्यक्ष पद; छात्र राजनीति में नई बहस की शुरुआत
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव 2025: एबीवीपी का दबदबा, उपाध्यक्ष पद पर एनएसयूआई की एंट्री
नई दिल्ली, 19 सितंबर 2025 – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव 2025 में जबरदस्त जीत दर्ज करते हुए चार में से तीन पद अपने नाम कर लिए। केवल उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस समर्थित नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने जगह बनाई। 18 सितंबर को उत्तरी और दक्षिणी परिसरों में 52 केंद्रों और 195 बूथों पर संपन्न हुए इन चुनावों में 2.75 लाख से अधिक योग्य मतदाताओं में से 39.45 प्रतिशत ने वोट डाला। यह आंकड़ा पिछले वर्षों की तुलना में थोड़ी बढ़त दिखाता है और छात्र राजनीति में नई बहस को जन्म देता है।
नतीजों की तस्वीर: तीन पद एबीवीपी के खाते में
गिनती सुबह 8 बजे उत्तरी परिसर स्थित यूनिवर्सिटी स्पोर्ट्स स्टेडियम के मल्टीपर्पज हॉल में शुरू हुई। मुख्य चुनाव अधिकारी प्रो. राज किशोर शर्मा की निगरानी में 17 से 20 चरणों तक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की जांच चली और दोपहर तक नतीजे घोषित कर दिए गए। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर जुलूसों पर रोक रही और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए।
- अध्यक्ष: बहादुरगढ़, हरियाणा से लाइब्रेरी साइंस के छात्र आर्यन मान (एबीवीपी) 28,841 मत पाकर अध्यक्ष बने। उन्होंने एनएसयूआई की जोस्लिन नंदिता चौधरी को 12,645 वोट पर रोकते हुए 16 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की। वे 71वें डूसू अध्यक्ष होंगे और पिछले कार्यकाल के एनएसयूआई अध्यक्ष रौनक खत्री की जगह लेंगे।
- उपाध्यक्ष: यहां एनएसयूआई को राहत मिली। राहुल झांसला ने 29,339 वोट लेकर एबीवीपी के गोविंद तंवर (20,547 वोट) को हराया। यादव समुदाय से आने वाले झांसला ने अपनी जीत टीम की मेहनत को समर्पित की।
- सचिव: एबीवीपी के कुनाल चौधरी ने 23,779 वोट हासिल किए, जबकि एनएसयूआई के कबीर गिर्सा शुरुआती गिनती में 12,419 वोट पर सिमट गए।
- संयुक्त सचिव: एबीवीपी की दीपिका झा ने 21,825 वोट लेकर एनएसयूआई के लवकुश भदाना (17,380 वोट) को पछाड़ा।
वामपंथी छात्र संगठन जैसे स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) केंद्रीय पैनल में कोई खास प्रभाव नहीं दिखा सके। 1.53 लाख पंजीकृत मतदाताओं में से डाले गए 60,272 वोटों में एबीवीपी का पैनल (मतपत्र संख्या 3223) भारी पड़ा और 18 से 28 वर्ष की आयु वाले जेन-ज़ेड छात्रों की बड़ी हिस्सेदारी इस नतीजे में झलकी।
चुनावी हलचल और वादे
डूसू चुनाव 2025 त्रिकोणीय मुकाबले में बदल गए थे, लेकिन असली जंग एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच रही। आर्यन मान ने वाई-फाई, सस्ती मेट्रो पास, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और सस्ती बीमा जैसी व्यावहारिक समस्याओं पर फोकस किया। वहीं एनएसयूआई की जोस्लिन नंदिता चौधरी (पैनल 5225) ने सामाजिक न्याय, मासिक धर्म अवकाश, फीस वृद्धि का विरोध और बेहतर हॉस्टल सुविधाओं को मुद्दा बनाया।
सुबह 8:30 से दोपहर 1 बजे तक डे-स्कॉलर्स और शाम 3 बजे से 7:30 बजे तक ईवनिंग छात्रों के लिए मतदान चला। कुल 711 ईवीएम का उपयोग हुआ। मतदान शांतिपूर्ण रहा, हालांकि एनएसयूआई ने ईवीएम में गड़बड़ी और “चिह्नित मशीनों” का आरोप लगाया। एबीवीपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे “हार की बौखलाहट” बताया।
प्रतिक्रियाएं: भाजपा के लिए जीत, कांग्रेस के लिए झटका
नतीजों के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक्स पर लिखा, “युवाओं का भरोसा राष्ट्र-प्रथम विचारधारा पर दिखा।” भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एबीवीपी को स्वामी विवेकानंद से प्रेरित “निष्काम सेवा” की मिसाल बताया। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, जो खुद कभी डूसू नेता रह चुकी हैं, ने इसे “विभाजनकारी राजनीति पर युवाओं की चोट” कहा।
कांग्रेस के लिए 3-1 का नतीजा बड़ा झटका है। एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने लिखा, “हमने यह लड़ाई सिर्फ एबीवीपी नहीं बल्कि डीयू प्रशासन, दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार, आरएसएस-भाजपा और दिल्ली पुलिस के खिलाफ लड़ी।” राहुल गांधी की हालिया “जेन-ज़ेड लोकतंत्र बचाएगा” वाली अपील अब भाजपा के पलटवार “डीयू के जेन-जी ने बोल दिया” के सामने कमजोर पड़ी दिख रही है।
सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई। एबीवीपी समर्थकों ने “हाइड्रोजन बम” वाले जश्न साझा किए तो एनएसयूआई खेमे ने नारेबाजी की: “मोदी जी को भेजो तार, एबीवीपी की हो गई हार।”
डूसू का व्यापक असर
अरुण जेटली से लेकर अजय माकन तक, डूसू के पूर्व अध्यक्ष राष्ट्रीय राजनीति में चमकते रहे हैं। ऐसे में यह नतीजा युवाओं के राजनीतिक झुकाव का आईना माना जा रहा है।
39.45 प्रतिशत मतदान दर पिछले साल के 35 प्रतिशत से ज्यादा है, लेकिन अब भी यह संख्या कम मानी जा रही है। खासतौर से कैंपस से बाहर रहने वाले छात्रों की उदासीनता चिंता का विषय है।
विजय जुलूस पर रोक के कारण कैंपस में जश्न सीमित रहा, लेकिन एक्स पर #DUSU2025 ट्रेंड करता रहा। एक छात्र ने लिखा: “जेन-जी ने विचारधारा से ज्यादा वाई-फाई को वोट दिया।”
नए कार्यकारी पैनल से अपेक्षा है कि वे कैंपस सुरक्षा, फीस वृद्धि और बुनियादी ढांचे जैसे पुराने मुद्दों पर काम करेंगे। एबीवीपी का दबदबा भाजपा की शहरी युवाओं पर पकड़ को दिखाता है, जबकि कांग्रेस की “जेन-जी अपील” को यह चुनाव बड़ा झटका देता है