सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ किया कि सभी कुत्तों को स्थायी रूप से शेल्टर होम में नहीं रखा जाएगा। केवल बीमार और हिंसक यानी काटने वाले कुत्तों को ही शेल्टर में रखा जाएगा, जबकि नसबंदी और टीकाकरण के बाद स्वस्थ कुत्तों को उनकी जगह पर वापस छोड़ा जाएगा।
पब्लिक में कुत्तों को खिलाने पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अब सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक होगी। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए अलग से फीडिंग ज़ोन बनाए जाएं ताकि कुत्तों की भूख भी मिटे और लोगों की सुरक्षा भी बनी रहे। कई घटनाओं में खुले में कुत्तों को खाना खिलाने के कारण रेबीज और हमलों जैसी परेशानियां सामने आई हैं।
डॉग लवर्स का स्वागत
पेट लवर्स और एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट्स ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह कदम संतुलित है क्योंकि इसमें इंसानों और जानवरों दोनों के अधिकारों को ध्यान में रखा गया है। एनिमल एक्टिविस्ट्स का कहना है कि कुत्तों को इंसानों की तरह जीने का हक है, लेकिन उनकी नसबंदी और टीकाकरण जरूरी है ताकि खतरे कम हों।
नगर निगम की जिम्मेदारी तय
सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम प्राधिकरणों को आदेश दिया है कि वे आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण की प्रक्रिया को तेज करें। इसके बाद ही कुत्तों को वापस उन्हीं स्थानों पर छोड़ा जाए जहां से उन्हें उठाया गया था। कोर्ट ने कहा कि यह आदेश फिलहाल अंतरिम है और आगे की सुनवाई में विस्तृत चर्चा होगी।
दिल्ली में विरोध प्रदर्शन
दिल्ली में कोर्ट के पुराने आदेश के बाद डॉग लवर्स ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। लोग बैनर लेकर सड़क पर उतरे और ‘आवारा नहीं, हमारा है’ जैसे नारे लगाए। कई जगह प्रार्थना सभाएं हुईं और मंदिर-गुरुद्वारों में कुत्तों की सुरक्षा के लिए प्रार्थनाएं की गईं। एक्टिविस्ट्स का कहना है कि कुत्ते समाज का हिस्सा हैं और उन्हें जबरदस्ती शेल्टर में कैद करना अन्याय होगा।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जताई थी कि संसद और प्रशासन द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन सही तरीके से नहीं हो रहा। जस्टिस विक्रम नाथ ने टिप्पणी की थी कि इंसान और पशु दोनों पीड़ित हो रहे हैं। कोर्ट ने सभी पक्षकारों को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था ताकि ठोस सबूत सामने आ सकें।
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सुप्रीम कोर्ट का संतुलन: इंसान और आवारा कुत्तों के अधिकारों पर ऐतिहासिक फैसला
भारत में आवारा कुत्तों की संख्या लाखों में है। एक ओर यह कुत्ते लोगों के साथी बनते हैं, वहीं दूसरी ओर उनके काटने और रेबीज जैसी बीमारियों से हर साल सैकड़ों लोग प्रभावित होते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इंसान और जानवर दोनों के अधिकारों को संतुलित करने की कोशिश माना जा रहा है।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारत में इंसानों और जानवरों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। यह न केवल कुत्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा पर भी ध्यान देता है। अब जिम्मेदारी प्रशासन की है कि वह कोर्ट के आदेशों को जमीनी स्तर पर लागू करे।

