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Home » उत्तराखंड में पांच वर्षों के बाद 97 मदरसों को मिली मान्यता, एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू

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उत्तराखंड में पांच वर्षों के बाद 97 मदरसों को मिली मान्यता, एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू

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Last updated: March 23, 2025 7:44 pm
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उत्तराखंड में पांच वर्षों के बाद 97 मदरसों को मिली मान्यता, एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू
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उत्तराखंड में पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद सरकार ने 97 मदरसों को मान्यता दी है। अब राज्य में कुल मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या बढ़कर 466 हो गई है। सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय से मदरसा संचालकों और मुस्लिम समाज में उत्साह है। मदरसा बोर्ड ने घोषणा की है कि सभी मान्यता प्राप्त मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा, जिससे छात्र आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जुड़ सकें।

Contents
97 मदरसों को मिली मान्यता से जुड़े मुख्य बिंदुपांच वर्षों तक नहीं मिली थी कोई मान्यताएनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू, मुख्यधारा की शिक्षा से जुड़ेंगे छात्रसंस्कृत शिक्षा की होगी शुरुआतमदरसा संचालकों और मुस्लिम समाज में खुशीमदरसों में पढ़ाई और बाखबर संत रामपाल जी के आध्यात्मिक विचारमदरसा मान्यता और शिक्षा सुधार से जुड़े प्रमुख FAQs

97 मदरसों को मिली मान्यता से जुड़े मुख्य बिंदु

✔ 97 नए मदरसों को मान्यता – पांच साल बाद राज्य में नए मदरसों को मान्यता दी गई।

✔ कुल संख्या 466 हुई – अब उत्तराखंड में मान्यता प्राप्त मदरसों की कुल संख्या 466 हो गई है।

✔ एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू – राज्य सरकार ने सभी मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम अनिवार्य कर दिया है।

✔ शिक्षा सुधार की पहल – मदरसों में आधुनिक और मुख्यधारा की शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

✔ संस्कृत शिक्षा की पहल – धार्मिक और आधुनिक शिक्षा का संतुलन बनाने के लिए संस्कृत भी पढ़ाई जाएगी।

पांच वर्षों तक नहीं मिली थी कोई मान्यता

पिछले पांच वर्षों में उत्तराखंड में किसी भी नए मदरसे को मान्यता नहीं दी गई थी, जिससे मदरसा संचालकों में असंतोष था। प्रशासन द्वारा कई अवैध मदरसों को सील करने के कारण मुस्लिम समाज में नाराज़गी भी थी। देहरादून में इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिनमें कई लोगों को हिरासत में लिया गया था।

अब सरकार ने एक साथ 97 मदरसों को मान्यता देकर राहत प्रदान की है। इनमें से कई वे मदरसे भी हैं, जिन्हें हाल ही में प्रशासन की सख्ती के चलते सील किया गया था। अब मान्यता मिलने से न केवल मदरसा संचालकों को कानूनी सुरक्षा मिली है, बल्कि छात्रों की शिक्षा भी सुचारु रूप से जारी रहेगी।

एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू, मुख्यधारा की शिक्षा से जुड़ेंगे छात्र

मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ़्ती शमून कासमी ने बताया कि अब उत्तराखंड के सभी मान्यता प्राप्त मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया गया है। इससे मदरसा छात्रों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ा जाएगा और उनके करियर के नए अवसर खुलेंगे।

सरकार मदरसों की डिग्रियों को अन्य शिक्षण संस्थानों की डिग्री के समकक्ष मान्यता दिलाने की प्रक्रिया पर भी काम कर रही है, जिससे मदरसा छात्र उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों के लिए भी पात्र हो सकेंगे।

संस्कृत शिक्षा की होगी शुरुआत

मदरसा बोर्ड ने राज्य के मदरसों में संस्कृत शिक्षा की पहल भी की है। यह कदम धार्मिक और आधुनिक शिक्षा के बीच संतुलन स्थापित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। संस्कृत शिक्षा से छात्रों को भारतीय परंपरा और भाषाओं की गहरी समझ मिलेगी, जिससे उनका शैक्षिक और बौद्धिक विकास होगा।

मदरसा संचालकों और मुस्लिम समाज में खुशी

सरकार के इस फैसले से मदरसा संचालकों और मुस्लिम समाज में उत्साह देखा जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में अवैध मदरसों पर प्रशासन की सख्ती के कारण कई संचालक परेशान थे, लेकिन अब मान्यता मिलने से उन्हें राहत मिली है। मदरसा संचालकों ने सरकार और मदरसा बोर्ड का आभार व्यक्त किया और आशा जताई कि इस निर्णय से मदरसा शिक्षा को मुख्यधारा में लाने और छात्रों के भविष्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

मदरसों में पढ़ाई और बाखबर संत रामपाल जी के आध्यात्मिक विचार

मदरसों में पारंपरिक इस्लामिक शिक्षा दी जाती है, जिसमें अरबी, उर्दू, इस्लामिक कानून (शरीयत) और धार्मिक ग्रंथों की शिक्षा शामिल होती है। अब कई राज्यों में मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम को शामिल किया जा रहा है, जिससे छात्रों को गणित, विज्ञान और अन्य आधुनिक विषयों की भी पढ़ाई कराई जा सके। यह पहल छात्रों को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ने और उनके करियर के नए अवसर खोलने में मदद कर सकती है।

बाखबर संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, केवल धार्मिक शिक्षा ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि जीवन का असली उद्देश्य सत्य भक्ति और मोक्ष प्राप्त करना है। वे कहते हैं कि कोई भी शिक्षा तब तक अधूरी है जब तक वह परमात्मा के सही ज्ञान से जुड़ी न हो। संत रामपाल जी वैज्ञानिक और आध्यात्मिक ज्ञान दोनों को महत्वपूर्ण मानते हैं, लेकिन वे बताते हैं कि सत्य आध्यात्मिक ज्ञान केवल पूर्ण गुरु से ही प्राप्त किया जा सकता है। वे सभी धर्मों के ग्रंथों का गहन अध्ययन कर बता चुके हैं कि सच्चा ज्ञान सतगुरु द्वारा बताए गए विधान के अनुसार भक्ति करने से ही मिलता है।

उनका कहना है कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल रोजगार पाना नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरूकता और जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझना होना चाहिए। इसलिए, चाहे कोई भी संस्थान हो मदरसा, स्कूल या कॉलेज वहां केवल सांसारिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि मोक्षदायक आध्यात्मिक ज्ञान भी दिया जाना चाहिए।

मदरसा मान्यता और शिक्षा सुधार से जुड़े प्रमुख FAQs

1. उत्तराखंड में कितने मदरसों को हाल ही में मान्यता मिली है?

उत्तराखंड सरकार ने 97 मदरसों को मान्यता दी है, जिससे अब कुल मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या 466 हो गई है।

2. क्या इन मदरसों में कोई नया पाठ्यक्रम लागू किया गया है?

हाँ, उत्तराखंड के सभी मान्यता प्राप्त मदरसों में एनसीईआरटी (NCERT) का पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है, जिससे छात्र आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जुड़ सकें।

3. क्या सरकार ने मदरसों में अन्य विषयों की पढ़ाई को भी बढ़ावा दिया है?

हाँ, सरकार ने मदरसों में संस्कृत शिक्षा की भी पहल की है, जिससे छात्र बहुभाषी शिक्षा प्राप्त कर सकें और भारतीय संस्कृति से अधिक जुड़ाव महसूस करें।

4. मदरसा संचालकों ने सरकार के इस फैसले पर क्या प्रतिक्रिया दी?

मदरसा संचालकों ने सरकार और मदरसा बोर्ड का आभार व्यक्त किया और इसे शिक्षा के विकास की दिशा में सकारात्मक कदम बताया।

5. इस फैसले से मुस्लिम समाज में कैसा माहौल है?

सरकार द्वारा 97 मदरसों को मान्यता दिए जाने से मुस्लिम समाज में राहत और संतोष का माहौल है। लोग इसे शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मान रहे हैं।

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