अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से आग्रह किया कि वे घिरे हुए यूक्रेनी सैनिकों की जान बख्शें। ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि इस संघर्ष को नहीं रोका गया, तो यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे भीषण नरसंहार बन सकता है। उनकी इस अपील ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में हलचल मचा दी है, क्योंकि यह ऐसे समय आई है जब युद्धविराम को लेकर कूटनीतिक चर्चाएं तेज हो रही हैं।
डोनाल्ड ट्रंप की पुतिन से अपील
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्रूथ” पर पोस्ट कर कहा कि उन्होंने पुतिन से बात की और उनसे अनुरोध किया कि वे घिरे हुए यूक्रेनी सैनिकों को सुरक्षित निकलने दें। ट्रंप ने लिखा, “यह युद्ध अब खत्म होना चाहिए। अगर इसे जारी रखा गया, तो यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा नरसंहार साबित हो सकता है।”
उनकी इस अपील के बाद अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या ट्रंप वास्तव में रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं या यह केवल उनकी आगामी राष्ट्रपति चुनावी रणनीति का हिस्सा है।
पुतिन का जवाब और वैश्विक प्रतिक्रिया
ट्रंप की अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए पुतिन ने कहा कि यूक्रेनी सैनिकों की जान बख्शी जा सकती है, लेकिन केवल तभी जब वे आत्मसमर्पण करें। हालांकि, कीव और कई अंतर्राष्ट्रीय विश्लेषकों ने इस दावे को खारिज कर दिया है। यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि यह केवल रूसी प्रचार है और यूक्रेन की सेना की स्थिति उतनी कमजोर नहीं है जितना रूस दावा कर रहा है।
वहीं, पुतिन ने यह भी संकेत दिया कि रूस युद्धविराम पर विचार कर सकता है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब उसकी शर्तें पूरी की जाएं। इसमें नाटो की ओर से किसी भी प्रकार की सैन्य हस्तक्षेप की समाप्ति और यूक्रेन के कुछ क्षेत्रों पर रूसी नियंत्रण को स्वीकार किए जाने जैसी मांगें शामिल हो सकती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरू से ही शांति वार्ता की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह युद्ध का युग नहीं है और सभी विवादों का हल बातचीत से ही निकल सकता है।
- मोदी ने हमेशा शांति वार्ता की वकालत की
- उन्होंने कहा कि यह युद्ध का युग नहीं है
- भारत ने रूस और यूक्रेन दोनों के साथ संतुलन बनाए रखा
- मोदी ने ट्रंप के प्रयासों की सराहना की और कहा कि भारत दोनों देशों के संपर्क में है
ज़ेलेंस्की की प्रतिक्रिया: रूस पर आरोप
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने पुतिन के इन बयानों को खारिज करते हुए कहा कि रूस युद्ध को केवल लंबा खींचना चाहता है। ज़ेलेंस्की ने कहा, “पुतिन बिना शर्त युद्धविराम के लिए तैयार नहीं हैं। वह युद्ध को जारी रखना चाहते हैं ताकि वह अपनी सत्ता को और मजबूत कर सकें।”
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यूक्रेन ने पहले भी युद्धविराम की संभावना को खारिज किया था, क्योंकि उनका मानना है कि रूस इसे अपनी सैन्य स्थिति को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल करेगा।
ट्रंप के सहयोगी की मध्यस्थता: 30-दिवसीय युद्धविराम पर चर्चा
ट्रंप के एक करीबी सहयोगी, स्टीव विटकॉफ़, ने हाल ही में मॉस्को का दौरा किया और पुतिन के अधिकारियों के साथ 30-दिन के युद्धविराम पर चर्चा की। रूस ने इस प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति जताई है, लेकिन वह इसे कुछ शर्तों के साथ लागू करना चाहता है। ट्रंप ने इस वार्ता को *”उत्पादक”* बताया और कहा कि यह युद्ध जल्द ही समाप्त हो सकता है।
इस बीच, अमेरिका ने यूक्रेन को फिर से सैन्य सहायता देने का फैसला किया है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वॉशिंगटन अभी भी कीव के साथ मजबूती से खड़ा है।
युद्ध के मौजूदा हालात: संघर्ष जारी
जहां एक तरफ कूटनीतिक चर्चाएं हो रही हैं, वहीं रूस ने दावा किया है कि उसने कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेनी सैनिकों को पीछे धकेल दिया है। इसके अलावा, रूस ने कहा कि उसने सुदजा शहर पर फिर से कब्जा कर लिया है। हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है।
रूस के मिसाइल हमलों से यूक्रेन के कई शहर प्रभावित हो रहे हैं, जिससे आम नागरिकों की जान जा रही है और मानवीय संकट और गहरा रहा है। वहीं, अमेरिका और यूरोपीय देशों का समर्थन यूक्रेन को मिलता जा रहा है, जिससे यह संघर्ष और जटिल होता जा रहा है।
युद्ध, हिंसा और शांति की वास्तविक राह
रूस और यूक्रेन के बीच कूटनीतिक प्रयास जारी हैं, लेकिन युद्धविराम की संभावना अब भी अनिश्चित बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक रूस और पश्चिमी देश किसी ठोस समझौते पर नहीं पहुंचते, तब तक युद्ध समाप्त होने की संभावना कम है।
इस संघर्ष में लाखों निर्दोष लोग प्रभावित हो रहे हैं। युद्ध और हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं होते, बल्कि यह और अधिक पीड़ा और विनाश लाते हैं। इतिहास इस बात का गवाह है कि कोई भी युद्ध अंततः वार्ता से ही समाप्त होता है। ऐसे समय में हमें यह समझने की आवश्यकता है कि स्थायी शांति केवल अहिंसा, सहानुभूति और समझदारी से ही आ सकती है।
संत रामपाल जी महाराज हमेशा शांति और सत्य के मार्ग पर चलने की शिक्षा देते रहे हैं। उनका मानना है कि “सत्य, प्रेम और धर्म के मार्ग पर चलकर ही सच्ची शांति और सुकून प्राप्त किया जा सकता है।” जब हम सभी मिलकर सत्य के मार्ग पर चलेंगे, तभी दुनिया में शांति स्थापित होगी।
यदि आप भी युद्ध, संघर्ष और नफरत के इस दौर में शांति, प्रेम और सद्भावना की ओर अग्रसर होना चाहते हैं, तो संत रामपाल जी महाराज के संदेश को अपनाएं और सत्य का मार्ग चुनें। उनके उपदेशों से जीवन के सच्चे उद्देश्य और राह को समझा जा सकता है।