देश की रक्षा के लिहाज से एक बेहद अहम मोड़ पर, Exercise Trishul नामक विशाल त्रि-सेनाई अभ्यास का शुभारंभ हुआ है, जिसमें Indian Army, Indian Navy एवं Indian Air Force संयुक्त रूप से भाग ले रही हैं। इस अभ्यास का उद्देश्य सीमापार गतिविधियों व संभावित खतरों के मद्देनज़र रक्षा-सुसज्जन एवं परिचालन तत्परता को बढ़ाना है।
अभ्यास की पृष्ठभूमि
- भारत ने 30 अक्टूबर 2025 से 10 नवम्बर 2025 तक पश्चिमी सीमा पर इस त्रि-सेनाई अभ्यास को आयोजित किया है।
- इसमें सीमा के बेहद संवेदनशील क्षेत्र, जैसे कि Sir Creek तथा राजस्थान-गुजरात के रेगिस्तान-तटीय इलाकों में विविध प्रकार के परिचालन शामिल हैं।
- रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि यह अभ्यास सेनाओं की संयुक्त क्षमता (“जॉइंटनेस”), आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbharta) तथा नवोन्मेष (Innovation) को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया गया है।
क्या शामिल होगा अभ्यास में?
- थल सेना द्वारा टैंक, आक्रमक हेलीकॉप्टर, मिसाइल-सिस्टम्स और विशेष बलों की तैनाती की जाएगी।
- नौसेना द्वारा तटीय एवं अम्फीबियस परिचालन होंगे, विशेष रूप से सौराष्ट्र तट क्षेत्र में।
- वायु सेना का योगदान अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, ड्रोन एवं मल्टी-डोमेन (साइबर, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध) क्षमताओं के माध्यम से होगा।
- अभ्यास के दौरान विशेष ध्यान ‘क्रीक’ (घाघरा/महल) तथा रेगिस्तानी क्षेत्रों में आक्रामक manoeuvres पर रखा गया है।
सीमाप्रदेश एवं रणनीतिक महत्त्व
Sir Creek क्षेत्र पाकिस्तानी सिंध प्रांत व गुजरात-थर रेंज के बीच स्थित है और सीमाएँ, समुद्री सीमाएँ तथा प्रभाव-क्षेत्र (EEZ) इस विवाद-क्षेत्र के चलते रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील हैं।
- दूसरे देश की ओर से भी प्रतिक्रिया मिल रही है – Pakistan ने इसके पूर्व ही अपनी केंद्रीय व दक्षिणी विमान मार्गों एवं एयरस्पेस में NOTAM जारी किया है, जो इस अभ्यास की गंभीरता को दर्शाता है।
“युद्ध जैसी” तैयारी संकेत
इस अभ्यास की रूप-रेखा ऐसे संकेत देती है कि स्थिति सामान्य प्रतिरक्षा-अभ्यास से आगे है।
- भू-नक्शा एवं सैटेलाइट इमेजों से पता चला है कि इस बार 28,000 फीट तक हवाई क्षेत्र आरक्षित किया गया है, जो परंपरागत अभ्यास से काफी व्यापक है।
- सहभागी सेनाओं ने मल्टी-डोमेन (भूमि, वायु, समुद्र, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक) परिचालन हेतु तैयारी की है – यह समन्वित युद्ध-परिस्थिति (joint war-scenario) की दिशा में एक कदम है।
- भारत ने इस अभ्यास को अपने “तैयारी, समन्वय और चेतना” का संदेश माना है, विशेष रूप से सीमा पार किसी भी अप्रत्याशित चुनौति से निपटने के लिए।
सीमित उत्तर नहीं, उच्च चेतना
इस अभ्यास का उद्देश्य सिर्फ “रक्षा करना” नहीं बल्कि “सक्रियता” दिखाना है – यह स्पष्ट संकेत है कि यदि आवश्यकता पड़ी तो भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए तैयार है। इस प्रकार, यह न सिर्फ एक सैन्य अभ्यास है, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है।
युद्ध अभ्यास के साथ साथ ये भी समझिए कि भारत युद्ध का देश नहीं हैं
आपने अक्सर सुना होगा कि भारत युद्ध की नहीं, संतों की भूमि है। आज कलयुग में सच्चे राम यानि आदिराम का प्रचार करने वाले तत्वदर्शी और जगत उद्धारक संत रामपाल जी महाराज भी भारत देश में ही मौजूद हैं। संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संग प्रवचनों में ये संदेश देते हैं कि हम सभी (पृथ्वी के सारे जीव) एक पिता की संतान हैं। एक भगवान के बच्चे हैं। भगवान ने हम में कोई भेद नहीं किया है, बल्कि धर्म के नकली ठेकेदारों ने हमें बांट रखा है।
वो अपने सत्संग के दौरान कहते हैं कि,
“जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं है न्यारा।।”
संत रामपाल जी महाराज मानवता धर्म का पालन करना सिखाते हैं। इसी मानवता धर्म का पालन करते हुए उन्होंने पिछले कुछ महीनों में चमत्कारिक कार्य किए है। अन्नपुर्णा मुहिम उन्हीं में से एक है। इसीलिए उनकी शिक्षा के अनुसार संपूर्ण मानव जाति को युद्ध का रास्ता भूलकर मानवता के रास्ते पर चलना चाहिए। संत रामपाल जी महाराज के सत्संग प्रवचन यहां सुने जा सकते हैं।
FAQs on Exercise Trishul
Q1. “Exercise Trishul” किसके लिए और कब आयोजित हो रहा है?
यह त्रि-सेनाई (थल सेना, नौसेना, वायु सेना) अभ्यास है, जिसे भारत ने 30 अक्टूबर 2025 से 10 नवम्बर 2025 तक पश्चिमी सीमा के निकट आयोजित किया है।
Q2. इस अभ्यास में कौन-कौन सी प्रमुख गतिविधियाँ होंगी?
इसमें टैंक एवं विशेष बल ऑपरेशन, नौसेना की तटीय एवं अम्फीबियस कार्रवाइयाँ, वायु सेना के लड़ाकू विमान-मिशन और मल्टी-डोमेन (साइबर, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध) परिचालन शामिल हैं।
Q3. क्या इस अभ्यास का संबंध वर्तमान सीमा तनाव से है?
हाँ। इस अभ्यास को पिछले वर्ष के Operation Sindoor के बाद और सीमा-क्षेत्र में बढ़ी सतर्कता के संदर्भ में देखा जा रहा है।
Q4. पाकिस्तान ने इस अभ्यास के संबंध में क्या प्रतिक्रिया दी है?
पाकिस्तान ने इस अभ्यास तक पहुँचने से पहले अपनी केंद्रीय व दक्षिणी हवाई मार्गों में एयरस्पेस भू-अवरोध (NOTAM) जारी किया है जिसे भारत की तैयारी पर लगाम की तरह देखा जा रहा है।
Q5. इस अभ्यास का महत्व भारत-रक्षा रणनीति के लिए क्या है?
यह भारत की सीमा-सुरक्षा, सबसेट इंटीग्रेशन एवं आत्मनिर्भर रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देता है, साथ ही यह यह बताता है कि भारत युद्ध-स्थिति जैसी तैयारी कर रहा है और किसी भी अप्रत्याशित खतरे के लिए सजग है।

