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Home » पृथ्वी पर खूंखार डायर वुल्फ़ की वापसी, क्या अब विशालकाय मैमथ हाथी की बारी है?

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पृथ्वी पर खूंखार डायर वुल्फ़ की वापसी, क्या अब विशालकाय मैमथ हाथी की बारी है?

SA News
Last updated: April 20, 2025 1:51 pm
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पृथ्वी पर खूंखार डायर वुल्फ़ की वापसी, क्या अब विशालकाय मैमथ हाथी की बारी है?
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अमेरिकी वैज्ञानिकों ने लगभग 12,000 साल पहले विलुप्त हो चुके डायर वुल्फ़ को जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से फिर से पृथ्वी पर लाने का दावा किया है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह डायर वुल्फ़ नहीं, बल्कि ग्रे वुल्फ़ के हाइब्रिड हैं जिनमें CRISPR तकनीक द्वारा डायर वुल्फ़ जैसे लक्षण जोड़े गए हैं।

Contents
डायर वुल्फ़ के बारे में मुख्य बिंदुवैज्ञानिक प्रक्रिया:डायर वुल्फ़ के बारे में:कौन-कौन सी प्रजातियाँ वापस लाई जा रही हैं?अध्यात्म विज्ञान से बड़ा है:FAQs on डायर वुल्फ़ प्रजाति

डायर वुल्फ़ के बारे में मुख्य बिंदु

  • डायर वुल्फ़ विलुप्त होने के पीछे शिकार की कमी और मानवीय हस्तक्षेप प्रमुख कारण थे।
  • CRISPR तकनीक से ग्रे वुल्फ़ के 20 जीन बदलकर डायर वुल्फ़ जैसे लक्षण उत्पन्न किए गए।
  • सरोगेसी तकनीक से तीन पिल्ले जन्मे: रोमुलस, रेमस और खलेसी।
  • विशेषताएं: सफेद घना फर, ताकतवर जबड़े, विशाल शरीर, विशेष आवाजें।
  • छह माह में ही ये पिल्ले चार फीट लंबे और 36 किलो से अधिक वजनी हो चुके हैं।

वैज्ञानिक प्रक्रिया:

ओहायो और इडाहो से मिले प्राचीन डायर वुल्फ़ के DNA का विश्लेषण कर ग्रे वुल्फ़ के DNA से तुलना की गई। CRISPR तकनीक द्वारा चुने गए जीन में बदलाव कर उन्हें डॉग एग सेल में डाला गया। सरोगेट डॉग्स में प्रत्यारोपण के बाद 62 दिनों में पिल्लों का जन्म हुआ।

डायर वुल्फ़ के बारे में:

ये भेड़िए दक्षिणी कनाडा व अमेरिका में पाए जाते थे। आधुनिक ग्रे वुल्फ़ से 20% बड़े होते थे। इनका औसत वजन 140 पाउंड, ऊँचाई 3.5 फीट और लंबाई 6 फीट तक होती थी। ये बर्फीले क्षेत्रों में घोड़े, बाइसन और मैमथ जैसे बड़े शिकार करते थे।

कौन-कौन सी प्रजातियाँ वापस लाई जा रही हैं?

Colossal Biosciences कंपनी की योजना डायर वुल्फ़ के अलावा वूली मैमथ, डोडो और तस्मानियन टाइगर जैसे विलुप्त प्रजातियों को पुनर्जीवित करने की है। कंपनी का लक्ष्य है कि 2028 तक वूली मैमथ को धरती पर वापस लाया जाए।

अध्यात्म विज्ञान से बड़ा है:

जहाँ आज विज्ञान वर्षों की रिसर्च से मृत जीवों के DNA से जीवन देने की कोशिश कर रहा है, वहीं अध्यात्म में ये कार्य क्षण भर में संभव है। संत गोरखनाथ जी द्वारा अपने गुरु मछंदरनाथ को राख से पुनर्जीवित करना, और परमात्मा कबीर जी द्वारा मृत कमाल-कमाली को जीवित करना, यह सिद्ध करता है कि अध्यात्म विज्ञान से भी महान है।

सतभक्ति करने वाले अनेक संतों के माध्यम से ऐसे चमत्कार अध्यात्म में सहज रूप से संभव होते रहे हैं। लेकिन ये चमत्कार दिखाने के लिए नहीं, मानव कल्याण के लिए किए जाते थे।

इसलिए कहा गया है:

“विज्ञान सीमित है, अध्यात्म अनंत।”

जब परमात्मा की शक्ति काम करती है, तब मृत जीव केवल जीवित ही नहीं होते, बल्कि पुनः मोक्ष के अधिकारी बन जाते हैं।

FAQs on डायर वुल्फ़ प्रजाति

1. डायर वुल्फ़ प्रजाति के तीन पिल्लों के क्या नाम हैं?

रोमुलस, रेमस और खलेसी।

2. क्या डायर वुल्फ़ पिल्ले शिकार करना सीख पाएंगे?

प्राकृतिक प्रवृत्तियाँ विकसित हो सकती हैं, लेकिन शिकार की कला वंशानुगत सीखने से आती है, जो इनके पास नहीं है।

3. क्या यह पूरी तरह डायर वुल्फ़ हैं?

नहीं, ये ग्रे वुल्फ़ के हाइब्रिड हैं जिनमें डायर वुल्फ़ जैसे जीन डाले गए हैं।

4. क्या वूली मैमथ भी जल्द वापस आ सकता है?

Colossal कंपनी का दावा है कि 2028 तक वूली मैमथ को पुनर्जीवित किया जाएगा।

5. क्या यह तकनीक पर्यावरणीय असंतुलन का कारण बन सकती है?

हां, विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे प्रयोग जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं।

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