नई दिल्ली। आज की तेज़ रफ्तार जीवनशैली में नींद की कमी और अधिकता दोनों ही बड़े स्वास्थ्य जोखिम बन चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पर्याप्त नींद न सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि शारीरिक कार्यप्रणाली, कार्यक्षमता और दीर्घायु के लिए भी जरूरी है। लेकिन सवाल यह है-आख़िर कितने घंटे की नींद हमारे शरीर के लिए सही मानी जाती है?
नींद की सही मात्रा उम्र, जीवनशैली और स्वास्थ्य पर निर्भर करती है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठनों व स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार औसतन 7 से 9 घंटे की नींद वयस्कों के लिए आदर्श मानी जाती है। यह न केवल शरीर को मरम्मत और पुनर्निर्माण में मदद करती है, बल्कि मन को शांत रखती है और तनाव स्तर को भी कम करती है।
कम नींद के खतरे
नींद की कमी को आधुनिक स्वास्थ्य समस्याओं की जड़ माना जा रहा है। लगातार कम नींद से इन समस्याओं का जोखिम बढ़ता है-
- दिमागी थकान और एकाग्रता की कमी
- मोटापा बढ़ना
- ब्लड प्रेशर असंतुलन
- डायबिटीज़ का खतरा
- हार्मोनल गड़बड़ी
- डिप्रेशन और एंग्जाइटी
रिपोर्ट्स बताती हैं कि 6 घंटे से कम सोने वाले लोगों में हृदय रोग का खतरा 30 से 40 फ़ीसदी तक बढ़ सकता है।
ज्यादा सोना भी क्यों है नुकसानदायक?
नींद ज्यादा लेना भी उतना ही नुकसानदायक हो सकता है। शोध बताते हैं कि लगातार 9–10 घंटे से अधिक नींद लेने से-
- मधुमेह
- स्ट्रोक
- सिरदर्द
- ऊर्जा में कमी
- मोटापा
- सुस्ती
जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। यानी न कम, न ज़्यादा-सही मात्रा में नींद ही स्वास्थ्य का आधार है।
किस उम्र में कितनी नींद चाहिए?
विशेषज्ञों के अनुसार-
- बच्चे (6–12 वर्ष): 9–12 घंटे
- किशोर (13–18 वर्ष): 8–10 घंटे
- वयस्क (18–60 वर्ष): 7–9 घंटे
- वरिष्ठ नागरिक (60+): 7–8 घंटे
बेहतर नींद के लिए विज्ञान जो सलाह देता है
- सोने का समय निश्चित रखें
- सोने से 1 घंटे पहले मोबाइल/स्क्रीन से दूर रहें
- रात को भारी भोजन न करें
- कैफीन से बचें
- सोने का कमरा शांत और ठंडा रखें
- दिन में 20–30 मिनट सूर्यप्रकाश और हल्की एक्सरसाइज लें
श्रीमद्भगवदगीता जी के अनुसार नींद कितनी होनी चाहिए ?
संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संग प्रवचनों में शास्त्रों के ज्ञान को विस्तार पूर्वक बताते हैं। उन्हीं के सत्संग प्रवचनों से लेख का ये हिस्सा संग्रहित किया गया है। अपने सत्संग में संत रामपाल जी महाराज गीता जी अध्याय 6 का श्लोक नंबर 16 खोलकर दिखाते हैं, जो संस्कृत में नीचे लिखा गया है।
न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः,
न, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन।।16।।

इस श्लोक का भावार्थ यही है कि हे अर्जुन, ये योग न तो ज्यादा खाने वाले का न ही कम खाने वाले का (यानि व्रत रखने वाले का), न ही ज्यादा सोने वाले का, न ही कम सोने वाले का सिद्ध होता है। साफ तौर पर हठ को बुरा बताया गया है, हठ न करने का आदेश दिया गया है। अर्थात गीता जी भी पर्याप्त नींद लेने के लिए संकेत दे रही, जिससे आध्यात्मिक जीवन ठीक चल सकता है।
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नींद की कमी या अधिकता पर FAQs:
Q1. नींद की कमी का शरीर पर पहला प्रभाव क्या पड़ता है?
Ans: नींद की कमी सबसे पहले दिमाग पर असर डालती है, जिससे एकाग्रता और मानसिक ऊर्जा घटती है।
Q2. क्या रोज़ 5 घंटे की नींद लेना खतरनाक है?
Ans: हां, 5 घंटे से कम नींद लगातार लेने से हृदय रोग, मोटापा और तनाव का जोखिम बढ़ जाता है।
Q3. ज्यादा सोने से कौन-सी बीमारी बढ़ सकती है?
Ans: 9–10 घंटे से अधिक सोना मधुमेह, स्ट्रोक और मोटापे का खतरा बढ़ा सकता है।
Q4. अच्छी नींद का सबसे बड़ा फायदा क्या है?
Ans: अच्छी नींद प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाती है और मानसिक शांति व ऊर्जा बनाए रखती है।
Q5. क्या दिन में थोड़ी देर की झपकी फायदेमंद है?Ans: हां, 15–20 मिनट की पावर नैप दिमाग को तरोताज़ा करती है और उत्पादकता बढ़ाती है।

