पहले केवल डिग्री धारकों को ही नौकरी के योग्य माना जाता था। लेकिन अब कंपनियां उम्मीदवारों का चयन उनकी प्रैक्टिकल स्किल्स, प्रोजेक्ट अनुभव और वास्तविक प्रदर्शन देखकर कर रही हैं। उदाहरण के लिए, IT और डिजिटल मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में केवल डिग्री से ज्यादा मायने रखता है आपकी कोडिंग स्किल्स, SEO का ज्ञान, कंटेंट राइटिंग या डेटा एनालिसिस की समझ।
भारत में जॉब मार्केट शिफ्ट – स्किल्स ओवर डिग्री
भारत का जॉब मार्केट तेजी से बदल रहा है और अब स्टार्टअप्स, गिग इकॉनमी और टेक्नोलॉजी सेक्टर में नए अवसर बन रहे हैं। कंपनियां ऐसे युवाओं को चाहती हैं जो तुरंत काम संभाल सकें और नए बिज़नेस मॉडल को समझें। इसी वजह से Google, IBM जैसी बड़ी कंपनियों ने डिग्री की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। अब अगर आपके पास सही स्किल और अनुभव है, तो नौकरी के अवसरों की कोई कमी नहीं है।
डिग्री कम, स्किल ज़्यादा: क्यों बदल रही है हायरिंग की दिशा?
टेक्नोलॉजी का असर: नई-नई टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से बदल रही हैं। ऐसे में सिर्फ किताबों से मिली डिग्री काफी नहीं है, बल्कि समय-समय पर स्किल्स को अपडेट करना जरूरी है।
प्रैक्टिकल नॉलेज की ज़रूरत: आज कंपनियां ऐसे लोगों को पसंद करती हैं जो थ्योरी से आगे बढ़कर तुरंत काम कर सकें और असली प्रोजेक्ट्स पर बेहतर प्रदर्शन दें।
गिग और फ्रीलांस काम: Upwork, Fiverr जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर डिग्री से ज्यादा मायने रखता है आपका हुनर। वहीं स्किल ही आपकी असली पहचान है।
ग्लोबल मौके: अब अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भी टैलेंट चुनते समय डिग्री से ज्यादा आपके स्किल्स और काम करने की क्षमता पर ध्यान देती हैं।
स्किल्स ही नई डिग्री: करियर और रोजगार बाज़ार
आज के समय में स्किल्स को ही नई डिग्री माना जा रहा है। अगर आपके पास सही हुनर है, तो अच्छी नौकरी पाना अब मुश्किल नहीं रहा। डिजिटल मार्केटिंग सीखकर आप बिना MBA किए भी मार्केटिंग की नौकरी पा सकते हैं। कोडिंग और वेब डेवलपमेंट जानकर बिना B.Tech की डिग्री के भी IT सेक्टर में करियर बनाया जा सकता है।
ग्राफिक डिजाइनिंग, वीडियो एडिटिंग और कंटेंट राइटिंग जैसे क्रिएटिव स्किल्स युवाओं को न केवल नौकरी दिला रहे हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सफल भी बना रहे हैं।
करियर सफलता की चाबी: हुनर ज़्यादा, डिग्री कम
आज के युवाओं को यह समझना जरूरी है कि सिर्फ डिग्री हासिल कर लेना अब करियर बनाने के लिए काफी नहीं है। लगातार अपस्किलिंग और रीस्किलिंग करना जरूरी है ताकि आप बदलती टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री की ज़रूरतों के साथ कदम मिला सकें।
इसके लिए ऑनलाइन कोर्स, इंटर्नशिप और प्रोजेक्ट-आधारित लर्निंग पर ध्यान देना चाहिए।
साथ ही, अपना काम और स्किल्स दिखाने के लिए LinkedIn, GitHub और Behance जैसे प्लेटफॉर्म पर मजबूत पोर्टफोलियो बनाना भी ज़रूरी है।
भारत में स्किल-आधारित हायरिंग: युवाओं के लिए नए अवसर
सरकार भी युवाओं को रोजगार देने के लिए स्किल डवलपमेंट पर जोर दे रही है। Skill India Mission, PMKVY और अलग-अलग डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए लाखों युवाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसका फायदा यह है कि युवाओं को सिर्फ नौकरी ही नहीं, बल्कि स्टार्टअप शुरू करने और खुद का काम (Self-Employment) करने के अवसर भी मिल रहे हैं।
निष्कर्ष: डिग्री से परे हुनर ही असली पहचान
भारत में भर्ती का तरीका अब काफी बदल चुका है। कंपनियां पहले की तरह सिर्फ डिग्री देखने के बजाय उम्मीदवार के हुनर, किए गए प्रोजेक्ट्स और वास्तविक अनुभव पर ज्यादा ध्यान देती हैं। अगर युवा अपने स्किल्स को मजबूत कर लें, तो उनके लिए करियर के अवसरों की कमी नहीं होगी। यही वजह है कि आज यह बात सच लगती है कि “डिग्री से ज्यादा, हुनर ही असली पहचान है।”
लेकिन इसके साथ यह समझना भी जरूरी है कि करियर की सफलता ही जीवन की पूरी सफलता नहीं है। जैसा कि संत रामपाल जी महाराज जी अपने सत्संग में बताते हैं, असली सफलता तब है जब इंसान सही ज्ञान को अपनाकर परमात्मा को पहचान ले। यह ज्ञान विस्तार से ज्ञान गंगा किताब में बताया गया है, जिसे हर युवा को पढ़ना चाहिए।
इसलिए कहा जा सकता है –
“डिग्री और हुनर करियर बनाने में मदद करते हैं, लेकिन सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान ही जीवन को पूर्ण सफलता देता है।”