राजस्थान के अलवर जिले में स्थित सिलीसेढ़ झील को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पहचान मिली है। रामसर कन्वेंशन के तहत सिलीसेढ़ झील को वैश्विक महत्व की आर्द्रभूमि यानी Ramsar Site घोषित किया गया है। यह उपलब्धि न केवल अलवर बल्कि पूरे राजस्थान के लिए गर्व का विषय है। इसके साथ ही सिलीसेढ़ झील राजस्थान की पांचवीं रामसर साइट बन गई है, जो राज्य में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
- सिलीसेढ़ झील का ऐतिहासिक महत्व
- सिलीसेढ़ झील और रामसर कन्वेंशन
- पक्षियों और जैव विविधता का केंद्र: सिलीसेढ़ झील
- राजस्थान की पांचवीं रामसर साइट बनी सिलीसेढ़ झील
- सिलीसेढ़ झील से स्थानीय पर्यटन और रोजगार को लाभ
- पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सिलीसेढ़ झील का योगदान
- निष्कर्ष: सिलीसेढ़ झील बनी वैश्विक विरासत का हिस्सा
सिलीसेढ़ झील का ऐतिहासिक महत्व
सिलीसेढ़ झील का निर्माण वर्ष 1845 में तत्कालीन शासक द्वारा कराया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य अलवर शहर को पेयजल उपलब्ध कराना था। अरावली पर्वतमाला के बीच स्थित सिलीसेढ़ झील समय के साथ एक महत्वपूर्ण जल स्रोत के साथ-साथ ऐतिहासिक धरोहर के रूप में भी जानी जाने लगी। आज भी यह झील अपने इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।
सिलीसेढ़ झील और रामसर कन्वेंशन
रामसर कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जिसके अंतर्गत विश्व की चुनिंदा आर्द्रभूमियों को संरक्षण के लिए सूचीबद्ध किया जाता है। सिलीसेढ़ झील को रामसर साइट घोषित होने का अर्थ है कि यह क्षेत्र:
- जैव विविधता के संरक्षण में अहम भूमिका निभाता है
- प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिए सुरक्षित आश्रय है
- जल संरक्षण और जलवायु संतुलन में सहायक है
अब सिलीसेढ़ झील का संरक्षण वैश्विक मानकों के अनुसार किया जाएगा, जिससे इसका प्राकृतिक स्वरूप सुरक्षित रह सकेगा।
पक्षियों और जैव विविधता का केंद्र: सिलीसेढ़ झील
सर्दियों के मौसम में सिलीसेढ़ झील प्रवासी पक्षियों से भर जाती है। यहां कई दुर्लभ पक्षी प्रजातियां देखने को मिलती हैं। इसके अलावा सिलीसेढ़ झील में मछलियों, जलीय वनस्पतियों और स्थानीय जीव-जंतुओं की अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं।
सारिस्का टाइगर रिज़र्व के नजदीक स्थित होने के कारण सिलीसेढ़ झील का पारिस्थितिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
राजस्थान की पांचवीं रामसर साइट बनी सिलीसेढ़ झील
सिलीसेढ़ झील के जुड़ने से राजस्थान में अब कुल पांच रामसर साइटें हो गई हैं। इससे पहले केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान, सांभर झील, खींचन वेटलैंड और मेनार वेटलैंड को यह दर्जा मिल चुका है। सिलीसेढ़ झील का इस सूची में शामिल होना यह दर्शाता है कि राजस्थान प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
सिलीसेढ़ झील से स्थानीय पर्यटन और रोजगार को लाभ
रामसर साइट घोषित होने के बाद सिलीसेढ़ झील के आसपास पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। होटल, होमस्टे, टूर गाइड, हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों को भी सिलीसेढ़ झील के कारण नई पहचान मिलेगी।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सिलीसेढ़ झील का योगदान
आज जब जलवायु परिवर्तन और जल संकट वैश्विक चुनौती बन चुके हैं, ऐसे समय में सिलीसेढ़ झील को रामसर साइट का दर्जा मिलना बेहद महत्वपूर्ण है। यह निर्णय आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ जल, संतुलित पर्यावरण और सुरक्षित जैव विविधता सुनिश्चित करने में सहायक होगा।
निष्कर्ष: सिलीसेढ़ झील बनी वैश्विक विरासत का हिस्सा
सिलीसेढ़ झील का रामसर साइट बनना केवल एक सरकारी घोषणा नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक है। आज सिलीसेढ़ झील केवल राजस्थान की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की साझा प्राकृतिक विरासत बन चुकी है। यह उपलब्धि अलवर और राजस्थान दोनों के लिए एक ऐतिहासिक और गर्वपूर्ण क्षण है।

