हाल ही में रूस द्वारा तालिबान को आधिकारिक मान्यता मिलने की खबर जोरों पर है। जहाँ अब रूस, अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। जिसके साहस की तारीफ़ पूरे तालिबान ने की है। हालांकि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता के लिए काफ़ी देशों ने विचार किया था। लेकिन रूस ने ही ऐसा कदम उठाया है। रूस ने तालिबान को मान्यता देने के पीछे द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाना बताया है।
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता मिलने से संबंधित मुख्य बिंदु
- रूस, अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता देने वाला बना पहला देश।
- रूस ने तालिबान को आधिकारिक मान्यता देने के पीछे द्विपक्षीय रिश्ते बनाएं रखने को बताया।
- किसी देश को आधिकारिक मान्यता मिलने के मायने उस देश को स्वतंत्र बनाने से है।
- तालिबान को अभी भी कुछ देश आतंकी संगठन मानते हैं जिसके कारण किसी ने तालिबान को आधिकारिक मान्यता नहीं दी।
रूस बना दुनिया का पहला देश
रूस ने तालिबान को हाल ही में आधिकारिक मान्यता दी है। जिसके बाद अब रूस, दुनिया में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता देने वाला पहला देश बन गया है। यह मान्यता गुरूवार को विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्ताकि और अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव के बीच काबुल में हुई।
रूस के इस फैसले को तालिबान ने एक सहासी कदम बताया है। मुत्ताकि ने अपने एक वीडियो में बैठक के बाद बताया कि –
“यह साहसी फैसला दूसरों के लिए एक मिसाल बनेगा। अब मान्यता की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, रूस सबसे आगे रहा।”
इसके अतिरिक्त AFP को स्पष्ट करते हुए तालिबान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अहमद तलाक ने कहा कि रूस पहला देश है जिसने इस्लामिक अमीरात को आधिकारिक मान्यता दी है।
आखिर रूस ने तालिबान को मान्यता क्यों दी
रूस का तालिबान को आधिकारिक मान्यता देने के अनेक रणनीतिक कारण हो सकते है। रूस ने कहा तालिबान को आधिकारिक मान्यता देने से द्विपक्षीय सहयोग तेजी से बढेगा। जिसकी पुष्टि रूस के विशेष प्रतिनिधि जामिर काबुलोव और रिया नोवोस्ती ने तालिबान को आधिकारिक मान्यता देने से की।
जानें किसी देश को आधिकारिक मान्यता मिलने के मायने
जब कोई देश किसी देश को आधिकारिक मान्यता देता है तो वह देश उस देश एक स्वतंत्र देश मानता है। किसी देश को आधिकारिक मान्यता मिलने का मतलब है कि वह देश अब एक स्वतंत्र देश है। उसकी स्वयं की एक सरकार और सीमा है, और वह देश दूसरे देशों से अपने रिश्ते कायम कर सकता है।
इस प्रकार की आधिकारिक मान्यता 1933 की मोटेंवीडियों संधि जैसी अंतरराष्ट्रीय कानूनों पर आधारित होती है। जिसके अंतर्गत किसी देश को आधिकारिक मान्यता मिलने के लिए चार शर्तें जरूरी होती हैं जो इस प्रकार हैं-
- स्थायी आबादी
- सीमा
- सरकार
- विदेशों से संबंध बनाने की क्षमता।
किसी देश को मान्यता मिलने से वह देश किसी देश की वैधता, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में जगह और दूसरे देशों से व्यापार और संबंध बनाने की क्षमता रखता है।
अब तक किसी भी देश ने तालिबान को मान्यता क्यों नहीं दी
रूस के अलावा किसी भी देश ने अभी तक अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है।
क्योंकि अभी भी अन्य देश तालिबान को आतंकी संगठन मानते हैं। भारत ने भी तालिबान को आधिकारिक मान्यता नहीं दी हालांकि पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के बाद दोनों में नजदीकियां बढी़ हैं।
वहीं आस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ ने भी तालिबान को आधिकारिक मान्यता देने से मना किया है।
हालांकि अमेरिका ने काबुल से सेना हटा ली है लेकिन अब भी वह तालिबान को आतंकी संगठन ही मानता है।