प्लास्टिक से दूरी बनाना अर्थात् धरती को बंजर होने से बचाना तो आइए आज हम जानते हैं कि प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं का उपयोग हमारे और अन्यजीवों के जीवन पर संकट के बदल उत्पन्न करने में कैसे जुटा है ।
प्लास्टिक प्रदूषण वर्तमान समय में पूरे पर्यावरण के लिए बहुत ही जठिल समस्या बन चुका है । गांव -कस्बा से लेकर नगर – शहर हर जगह प्लास्टिक बिखरा दिखाई पड़ता है । जब कभी हम रेल यात्रा करते हैं तब विभिन्न नगर – शहरों से निकलते हुए हमें प्लास्टिक प्रदूषण की झलक दिखाई पड़ती है । नदियों से लेकर झीलों तक प्लास्टिक निर्मित कचरा बिखरा पड़ा है जिसका मुख्य उदाहरण गंगा नदी है ।
सरल भाषा में कहें तो – प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं को भूमि या जल में जमा होना प्लास्टिक प्रदूषण कहलाता है । इसके द्वारा पूरे पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है। यह महा जठिल संकट/समस्या दिन – प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है । इसको हम पृथ्वी के पक्ष में एक नकारात्मक प्रभाव कह सकते हैं। यह देश की ही नहीं बल्कि एक वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है ।
प्लास्टिक का न सड़ना न गलना / हरपल गंदगी और प्रदूषण का बढ़ना
(प्लास्टिक प्रदूषण के कुछ मुख्य कारण)
(1) प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं का सस्ता होना, मानवीय गतिविधियाँ और दूसरी ओर आसानी से उपलब्धता एक मुख्य कारण है ।
(2) टायर युक्त वाहन चलाते समय टायरों के घिस जाने से अनगिनत सुक्ष्म प्लास्टिक कण हवा के माध्यम से पर्यावरण में फैलना ।
(3) सिंथेटिक कपड़ों का उपयोग भी कहीं न कहीं एक प्लास्टिक प्रदूषण का कारण कहा जा सकता है।
(4) रीसाइकिल य अप साइकिल करने में कमी भी प्लास्टिक प्रदूषण को बढ़ने में मदद कर रहा है ।
(5) पॉलिमर युक्त पेंट्स सुक्ष्म प्लास्टिक कणों से निर्मित होता है जो पानी के साथ होकर प्लास्टिक प्रदूषण को योगदान देता है।
प्लास्टिक प्रदूषण के दुष्प्रभाव
- मिट्टी में प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं का जमा होने से उसकी उपजाऊपन नष्ट हो जाती है जिससे किसानों को उपज सही नहीं मिल पाती है ।
- समुद्री जीवों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर होने से उनकी मौत हो जाती है क्योंकि पानी में प्लास्टिक कणों को वह भोज्यकण समझकर कर खा जाते हैं ।
- प्लास्टिक को जलाने से उसका धुआं हवा को तो दूषित करने के साथ – साथ हमारे शरीर में भी अनेकों बीमारियां उत्पन्न कर देता है ।
- वन्यजीवों से लेकर घरेलू जानवरों पर भी प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं का दुष्प्रभाव पड़ता है ,कभी – कभी इसके खाने से उनकी मौत भी हो जाती है ।
- प्लास्टिक प्रदूषण द्वारा कैंसर हो जाना , अंतःस्रावी तंत्र और हार्मोनल तंत्र पर दुष्प्रभाव हो जाना, एंडोमेट्रियोसिस, पुरुष प्रजनन संबंधी समस्याएं और दूसरी ओर देखा जाए यह भ्रूण के विकास पर भी असर पड़ता है ।
- प्लास्टिक का पूरी तरह न जलने पर कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्पन्न हो जाना भी पर्यावरण में बहुत ही हानिकारक है । कार्बन डाइऑक्साइड भी प्लास्टिक जलाने पर निकलती है और यह ओजोन परत पर दुष्प्रभाव डालती है ।
प्लास्टिक प्रदूषण से निजात कैसे पा सकते हैं
सर्वप्रथम मानव समाज को प्लास्टिक प्रदूषण के संदर्भ में जागरूक होना अनिवार्य है । प्लास्टिक उत्पादन पर नियंत्रण द्वारा भी इस समस्या से निजात पा सकते हैं । प्लास्टिक बैगों की जगह पेपर या अन्य बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं से बने बैगों का उपयोग करना चाहिए।
हमें चाहिए कि नदियां या समुद्र के तट/ किनारे की सफाई में सयोग करना चाहिए । पर्यावरण की सुरक्षा करना मतलब हम स्वयं हमारे जीवन की सुरक्षा कर रहे हैं ।
कृषि क्षेत्र में या वन्य क्षेत्र में भूलकर भी प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं को न उपयोग करना चाहिए और न ही ले जाने देना चाहिए क्योंकि इससे भूमि और उसमें रहने वाले जीवजंतुओं पर जानलेवा प्रभाव पड़ता है ।
नगरपालिकाएं या नगरनिगम जब भी सफाई अभियान के संदर्भ में शिविर लगाते हैं तो हमें उसमें भाग लेना चाहिए और मानव समाज में इस समस्या से निपटने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए । इसे हमें एक गंभीर और महत्वपूर्ण कार्य समझकर लोगों को बताना चाहिए कि प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं का उपयोग हमें और अन्य जीवधारियों को जीवन संकट उत्पन्न कर जा रहा है ।
इसपर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो किसी को भी भविष्य में जहर खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, अपने आप ही जीवन समाप्त हो जाएगा ।