कल, 8 नवंबर को, देश में ₹500 और ₹1000 के पुराने करेंसी नोटों को अचानक चलन से बाहर करने के फैसले यानी नोटबंदी (Demonetisation) की सातवीं वर्षगांठ है। 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिए गए इस ऐतिहासिक निर्णय के पीछे मुख्य उद्देश्य काला धन खत्म करना, नकली मुद्रा पर रोक लगाना और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकना था । हालाँकि, सात साल बाद, जहाँ कुछ मोर्चों पर सफलता मिली है, वहीं इसके आर्थिक प्रभाव और लक्ष्यों की पूर्ति पर राजनीतिक और आर्थिक गलियारों में बहस जारी है।
नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर प्रमुख प्रभाव
नोटबंदी के बाद के वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने कई उतार-चढ़ाव देखे। जहाँ पहले कुछ तिमाहियों में विकास दर प्रभावित हुई, वहीं दीर्घकालिक रूप से कुछ महत्वपूर्ण बदलाव दर्ज किए गए हैं।
नोटबंदी के मुख्य परिणाम
| आर्थिक संकेतक | नोटबंदी से पहले (2016) | नोटबंदी के बाद का रुझान (2023) |
| डिजिटल लेनदेन (UPI) | नाममात्र | अभूतपूर्व वृद्धि (मासिक अरबों में) |
| चलनी में नकदी (CIC) | जीडीपी का 12% से अधिक | वापस पूर्व-नोटबंदी स्तर के करीब (2022-23 तक 13% के आसपास) |
| करदाता आधार | धीरे-धीरे वृद्धि | वृद्धि में तेजी |
डिजिटल क्रांति: एक अप्रत्याशित सफलता
नोटबंदी का सबसे स्पष्ट और निर्विवाद सकारात्मक प्रभाव देश में डिजिटल भुगतान को अपनाने में आया अभूतपूर्व उछाल है।
- UPI की शक्ति: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) :अब वैश्विक स्तर पर एक मानक बन चुका है। इसने छोटे विक्रेताओं से लेकर बड़े खुदरा विक्रेताओं तक, सभी को नकदी-मुक्त लेनदेन की सुविधा प्रदान की है।
- अर्थव्यवस्था का औपचारिकीकरण: बड़ी मात्रा में नकदी को बैंकिंग प्रणाली में वापस लाने से कई अनौपचारिक लेनदेन औपचारिक रूप में आ गए, जिससे कर आधार (tax base) का विस्तार हुआ।
- नकली मुद्रा पर रोक: नोटबंदी के कारण नकली मुद्रा का प्रचलन एक सीमा तक रुक गया, हालाँकि, नए नोटों की नकल बनाने के प्रयास समय-समय पर सामने आते रहे हैं।
काले धन का क्या हुआ ?
हालांकि, काला धन खत्म करने का प्राथमिक लक्ष्य पूर्ण रूप से हासिल नहीं हो सका, क्योंकि चलन से बाहर हुए 99% से अधिक नोट बैंकों में वापस आ गए थे । विपक्ष इसे एक ‘विफल प्रयोग’ बताता है जिसने छोटे उद्योगों और असंगठित क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित किया।
धन उपार्जन असली कार्य है ही नहीं
जी हाँ, सही पढ़ा आपने । धन उपार्जन मनुष्य जीवन का असल मकसद है ही नहीं । मानुष जीवन का सही उद्देशय संत रामपाल जी महाराज जी ने बताया है कि इस शरीर से भगवान प्राप्ति के प्रयत्न के अलावा कोई भी काम हो, वो व्यर्थ है । जैसे कि अनावश्यक धन उपार्जन, इस कार्य को करने के लिए न जाने कितने तरह के पाप कर्म करने पड़ते हैं । संत रामपाल जी महाराज ये ज्ञान देते हैं कि अंत समय में जीव के साथ वो धन नहीं चलता, सिर्फ वो पाप चलते हैं जो उस धन कमाने के प्रयत्न में कमा लिए थे।
फिर जीव को वो पाप भोगने पड़ते हैं । इसिलिए संत रामपाल जी महाराज के आदेशानुसार और उनके ज्ञान के अनुसार उनके शिष्य अनावश्यक धन उपार्जन की क्रियाओं से दूर ही रहते हैं । आप सब भी संत रामपाल जी महाराज के सत्संग प्रवचन रोजाना शाम साढ़े 7 बजे से साढ़े 8 बजे तक साधना चैनल पर देख सकते हैं । उनकी पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा आप घर बैठे फ्री मँगवा सकते हैं । अभी अपना पूरा पता भेजिए +91-7496801825 पर ।
नोटबंदी पर FAQs
प्र1. नोटबंदी किस तारीख को हुई थी?
उत्तर: नोटबंदी की घोषणा 8 नवंबर 2016 को की गई थी।
प्र2. नोटबंदी के तहत कौन से नोट चलन से बाहर किए गए थे?
उत्तर: ₹500 और ₹1000 के पुराने करेंसी नोटों को चलन से बाहर किया गया था।
प्र3. क्या नोटबंदी ने काला धन पूरी तरह समाप्त कर दिया?
उत्तर: RBI के आंकड़ों के अनुसार, चलन से बाहर हुए अधिकांश नोट (99% से अधिक) बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए थे, जिससे यह बहस का विषय बन गया कि क्या काला धन खत्म करने का लक्ष्य पूरी तरह हासिल हो पाया। हालांकि, सरकार का दावा है कि इसने कर अनुपालन (Tax Compliance) और डिजिटलीकरण को बढ़ाया।

