SA NewsSA NewsSA News
  • Home
  • Business
  • Educational
  • Events
  • Fact Check
  • Health
  • History
  • Politics
  • Sports
  • Tech
Notification Show More
Font ResizerAa
Font ResizerAa
SA NewsSA News
  • Home
  • Business
  • Politics
  • Educational
  • Tech
  • History
  • Events
  • Home
  • Business
  • Educational
  • Events
  • Fact Check
  • Health
  • History
  • Politics
  • Sports
  • Tech
Follow US
© 2024 SA News. All Rights Reserved.

Home » मदर टेरेसा: अल्बानियाई-भारतीय कैथोलिक नन और मिशनरी 

History

मदर टेरेसा: अल्बानियाई-भारतीय कैथोलिक नन और मिशनरी 

SA News
Last updated: August 21, 2024 1:44 pm
SA News
Share
मदर टेरेसा की जीवनी, शिक्षा, मृत्यु, उद्धरण तथा योगदान
SHARE

मदर टेरेसा (26 अगस्त 1910-5 सितंबर 1997) जिन्हें रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा ‘कोलकाता की संत टेरेसा’ के नाम से नवाजा गया था। मदर टेरेसा का असली नाम एग्नेस गोंजा बोयाजियू था। मदर टेरेसा का जन्म आन्येज़े गोंजा बोयाजियू के नाम से एक अल्बानियाई परिवार में उस्कुब, उस्मान साम्राज्य (वर्तमान स्कोप्जे, मेसेडोनिया गणराज्य) में हुआ था। मदर टेरेसा को मात्र 12 वर्ष की आयु में प्रभु की भक्ति करने का प्रबल अनुभव हुआ था। 

Contents
  • मदर टेरेसा को मिले कई पुरस्कार
  • मदर टेरेसा का जीवन परिचय
  • मदर टेरेसा का भारत आगमन 
  • मदर टेरेसा के सामाजिक कार्य
  • मदर टेरेसा द्वारा ‘मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी’ धार्मिक मंडली की स्थापना
  • मदर टेरेसा का प्रसिद्ध स्वीकृति भाषण
  • मदर टेरेसा नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित
  • मदर टेरेसा के कुछ अनमोल विचार
  • मदर टेरेसा की मृत्यु
  • मनुष्य जन्म में नेक कार्यों के साथ सच्ची साधना भी करनी चाहिए
  • FAQ About मदर टेरेसा
    • प्रश्न.1 मदर टेरेसा का जन्म कब हुआ था? 
    • प्रश्न.2 मदर टेरेसा की मृत्यु कब हुई थी ?
    • प्रश्न.3 मदर टेरेसा का भारत में आगमन कब हुआ? 
    • प्रश्न.4 मदर टेरेसा ने कौन सी धर्म मंडली की स्थापना की थी? 
    • प्रश्न.5 मदर टेरेसा किस देश की मूल निवासी थीं?
    • प्रश्न.6 मदर टेरेसा को किस वर्ष भारत रत्न पुरस्कार मिला था?
    • प्रश्न.7 मदर टेरेसा को नोबेल पुरस्कार कब मिला था?
    • प्रश्न.8 मदर टेरेसा कौन थीं?
  • निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

मदर टेरेसा बचपन से ही जानती थी कि मसीहा बनने के लिए उन्हें मिशनरी बनना होगा। 18 वर्ष की आयु में अपना पैतृक घर छोड़ भारत में एक मिशन के साथ नैनो के एक आयरिश समुदाय ‘सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल हो गई। डबलिन में कुछ महीनों के प्रशिक्षण के बाद उन्हें 24 मई 1931 को वापस भारत भेजा गया, जहाँ उन्होंने नन के रूप में कार्य किया। उसके बाद मदर टेरेसा ने 1931 से 1948 तक कोलकाता में सेंट मैरी हाई नामक विद्यालय में पढ़ाया। अपने दैनिक जीवन कार्य में मदर टेरेसा ने कॉन्वेंट की दीवारों के बाहर के गरीब लोगों की दुर्दशा देखी, जिसका उनके जीवन पर काफ़ी प्रभाव पड़ा।

मदर टेरेसा को मिले कई पुरस्कार

मदर टेरेसा ने 1948 में कॉन्वेंट स्कूल छोड़कर गरीब बच्चों की सहायता करने की अनुमति लेकर विद्यालय खुलवाया। हालांकि उनके पास धनराशि भी नहीं थी फिर भी उन्होंने गरीब बच्चों की सहायता के लिए संघर्ष कर, झुग्गी-झोपड़ियों में ओपन स्कूल खोला। भारत रत्न मदर टेरेसा को मानव कल्याण कार्यों के लिए 1979 में नोबेल पुरस्कार के अलावा अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

इनमें जिम पोप जॉन XXIII शांति पुरस्कार (1971) और अंतरराष्ट्रीय शांति और समझ को बढ़ावा देने के लिए नेहरू पुरस्कार 1972 भी शामिल हैं। उन्हें बालज़ान पुरस्कार 1979 टेम्पलटन मैग्से पुरस्कार भी मिले। 7 अक्टूबर 1950 को होली सी से अपना खुद का संगठन द मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी शुरू करने की अनुमति मिली। 

उनका मुख्य मक़सद उन लोगों की सहायता करना था, जिनका कोई नहीं था और वे दुख दर्द पीड़ा से मुक्त होना चाहते थे। मदर टेरेसा का मानना था – “प्यार की भूख रोटी की भूख से कहीं बड़ी है”। मदर टेरेसा का कहना है कि “सेवा का कार्य एक कठिन कार्य है और इसके लिए पूर्ण समर्थन की आवश्यकता है। वही लोग इस कार्य को संपन्न कर सकते हैं जो प्यार एवं सांत्वना की वर्षा करें – भूखों को खिलायें, बेघरों को शरण दें, दम तोड़ने वाले बेबसों को प्यार से सहलायें, अपाहिजों को हर समय ह्रदय से लगाने के लिए तैयार रहें।”

1965 में पोप पॉल VI के आदेश पर यह सोसाइटी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक परिवार बन गई। दुनिया भर में मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी को सह-कार्यकर्ताओं द्वारा सहायता दी जाती है। 29 मार्च 1969 को इसे आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय एसोसिएशन बनाया गया।

मदर टेरेसा का जीवन परिचय

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 में आन्येज़े गोंजा बोयाजियू नामक एक अल्बानियाई परिवार में वर्तमान के सोप्जे, मेसेडोनिया गणराज्य में हुआ। गरीब परिवार से संबंधित होने, जीवन के संघर्षों का सामना करने के बावजूद वह एक महान समाज सेविका के रूप में आगे आईं। भारत रत्न, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मदर टेरेसा को रोमन कैथोलिक संत के नाम से भी नवाजा गया।

मदर टेरेसा के पिता साधारण व्यापारी थे। जब वह केवल 8 वर्ष की थी तभी उनके पिता का निधन हो गया। उसके बाद उनकी मां ने एग्नेस( बचपन का नाम) को जीवन जीने और पीड़ित लोगों की सहायता करने का महत्व सिखाया। मदर टेरेसा अपने सभी पांच भाई बहनों में सबसे छोटी थीं। 

■ Read in English: Mother Teresa: A Life of Compassion and Service

मदर टेरेसा के जन्म के समय उनकी बड़ी बहन की उम्र 7 साल और भाई की उम्र 2 साल थी। बाकी दो भाई बहन बचपन में ही गुजर गए। मदर टेरेसा कर्मठ, परिश्रमी और अध्ययनशील लड़की थीं। पढ़ाई के साथ-साथ वह गायन का भी शौक रखती थीं। माना जाता है कि बचपन में ही इन्होंने मान लिया था कि वह अपना संपूर्ण जीवन समाज सेवा कार्य में ही लगाएगी।

Anjezë Gonxhe Bojaxhiu, known as #MotherTeresa, was born in 1910 and dedicated her life to compassion. She founded the Missionaries of #Charity after joining the Sisters of Loreto at 18 and moving to India to help the "poorest of the poor." Despite criticism, she received the… pic.twitter.com/sBwtW8tXaV

— SA News Channel (@SatlokChannel) August 19, 2024

12 साल की उम्र में मदर टेरेसा को नन बनने और उसके बाद अपना संपूर्ण जीवन परमेश्वर की भक्ति में समर्पित करने का एहसास हुआ। 18 वर्ष की आयु में वह ‘सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल हो गईं। फिर उन्होंने आयरलैंड जाकर अंग्रेज़ी भाषा सीखी क्योंकि ‘लोरेटो’ की सिस्टर्स अंग्रेज़ी माध्यम से भारत में बच्चों को पढ़ाती थीं।

मदर टेरेसा का भारत आगमन 

मदर टेरेसा ने भारत को अपनी कर्मभूमि बनाया और जनसेवा को अपने जीवन का लक्ष्य। वह 6 जनवरी 1929 में भारत आई थीं। 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान मदर टेरेसा ने काफ़ी लोगों की सहायता भी की थी। मदर टेरेसा बंटवारे के दौरान पिछड़े हुए अनाथ बच्चों को पनाह देकर समाज सेविका के रूप में आगे आईं। इसके बाद से ही मदर टेरेसा ने नीले बॉर्डर वाली साड़ी पहनना शुरू किया था।

उसके बाद मदर टेरेसा ने बेसिक मेडिकल की ट्रेनिंग भी ली। इस ट्रेनिंग के बाद मदर टेरेसा ने लोगों का उपचार करना शुरू किया। इतना ही नहीं 1948 में भारत की स्थिति अच्छी ना होने के कारण उन्होंने कई गरीब लोगों की सहायता कर बेसहारों को सहारा दिया था।

मदर टेरेसा के सामाजिक कार्य

मदर टेरेसा को कोलकाता की संत टेरेसा के नाम से भी जाना जाता है। 20वीं शताब्दी में इन्हें महान मानवतावादियों में से एक माना जाता था। इन्होंने अपना संपूर्ण जीवन झुग्गी-झोपड़ियां में रहने वाले गरीब बच्चों की शिक्षा में न्योछावर कर दिया। शुरुआती दिनों में जब वह कोलकाता में बच्चों को पढ़ाया करती थीं, उन्होंने देखा कि गरीब और दुखी लोग अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करते हैं।

उसके बाद मदर टेरेसा ने अनुमति लेकर, धनराशि न होते हुए भी, झुग्गी-झोपड़ी में ओपन स्कूल खोलकर गरीब बच्चों को पढ़ाया। हालांकि आगे जाकर कई लोगों ने उनकी वित्तीय सहायता भी की थी। 

मदर टेरेसा द्वारा ‘मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी’ धार्मिक मंडली की स्थापना

सन् 1950 में कोलकाता की संत मदर टेरेसा ने “मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी” की स्थापना की, जोकि एक स्वंयसेवी धार्मिक मंडली मानी जाती है। यह गरीब निराश्रितों के लिए समर्पित महिलाओं का रोमन कैथोलिक समुदाय है। जो विश्व भर में, गरीब, बीमार, शोषित और वंचित लोगों की सेवा और सहायता में अपना योगदान देते हैं, तथा शरणार्थियों, अनाथों, दिव्यांगों, युद्धपीड़ितों, वयस्कों और एड्स तथा अन्य घातक रोगों से पीड़ित लोगों की सेवा करते हैं।

2023 तक इसमें धार्मिक बहनों के 5,750 सदस्य शामिल थे। इस मंडली का मुख्यालय स्थल 54/ए, आचार्य जगदीशचंद्र बोस रोड, कोलकाता, भारत में स्थित है। इसके सुपीरियर जनरल सीनियर मैरी जोसेफ़ माइकल हैं।

मदर टेरेसा का प्रसिद्ध स्वीकृति भाषण

मदर टेरेसा ने 10 सितंबर 1979 के नॉर्वे के ओस्लो विश्वविद्यालय के सभागार में अपना प्रसिद्ध स्वीकृति भाषण दिया था। आइए, इस भाषण के कुछ अंश देखते हैं:

“आइए, हम सब मिलकर इस सुंदर अवसर के लिए ईश्वर को धन्यवाद दें, जहाँ हम सब मिलकर शांति फैलाने की खुशी, एक दूसरे से प्रेम करने की खुशी तथा यह स्वीकार करने की खुशी का बखान कर सकते हैं कि सबसे गरीब लोग भी हमारे भाई-बहन हैं…

हे प्रभु, मुझे यह वरदान दीजिए कि मैं सांत्वना पाने के बजाय सांत्वना की तलाश करूँ; समझे जाने के बजाय समझने की कोशिश करूँ; प्यार पाने के बजाय प्यार करने की कोशिश करूँ। क्योंकि खुद को भूलने से ही इंसान को कुछ मिलता है। माफ़ करने से ही इंसान को माफ़ किया जाता है। मरने से ही इंसान अनंत जीवन के लिए जागता है।”

मदर टेरेसा नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित

सन 1979 में मदर टेरेसा को मानव-कल्याण कार्यों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया और उन्हें क़रीब 1,90,000 डॉलर का चेक भी दिया गया था, जिसकी वर्तमान में भारतीय मुद्रा संख्या 1 करोड़ 41 लाख रुपए की राशि होती है। इसके साथ पुरस्कार समिति ने मदर टेरेसा के द्वारा हुए समाज सेवा कार्यों का भी उल्लेख किया। उस समय तक मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी में 1,800 से अधिक नन और 1,20,000 से अधिक कार्यकर्ता शामिल थे। 

उसके बाद अगले वर्ष ही मदर टेरेसा को भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया। अनेक सम्मानों और पुरस्कारों के बाद भी मदर टेरेसा आलोचना की शिकार भी बनीं। इसका मुख्य कारण तलाक, गर्भ निरोधक और गर्भपात के खिलाफ उनके कट्टर एवं रूढ़िवादी विचार थे। मदर टेरेसा की समझ में महिलाओं के लिए उनके विचार पारंपरिक थे।

मदर टेरेसा के कुछ अनमोल विचार

मदर टेरेसा ने अपने जीवन में सामाजिक कार्य को लेकर काफ़ी अनमोल वचन कहे थे, जिनका आज भी गुणगान किया जाता है :

“Holiness is not the luxury of the few. It is a simple duty for you and for me…Find your own Calcutta. Don’t search for God in far lands – He is not there. He is close to you; He is with you.”

  • “यदि हमारे मन में शांति नहीं है तो इसका कारण है कि हम भूल चुके हैं कि हम एक दूसरे के हैं।”
  • “शांति की शुरुआत मुसकुराहट से होती है।”
  • “जहाँ जाइए, प्यार फैलाइए। जो भी आपके पास आए वह और खुश होकर लौटे।”
  • “यदि आप सौ लोगो को नहीं खिला सकते तो एक को ही खिलाइए।”
  • “दूसरों के लिए न जिया गया जीवन, जीवन नहीं। आप दयालुता में गलतियाँ करें बजाय निर्दयता में चमत्कार करने के।”
  • “आज के समय सबसे बड़ी बीमारी कुष्ठ रोग या तपेदिक नहीं बल्कि अवांछित होने की है।”
  • “कल बीत चुका है। कल अभी नहीं आया है। हमारे पास सिर्फ़ आज है। चलिए शुरू करते हैं।”

मदर टेरेसा की मृत्यु

मदर टेरेसा सन् 1983 में 73 वर्ष की आयु में रोम में पोप जॉन पॉल द्वितीय से मिलने गई थी। वहां उन्हें पहला हार्ट अटैक आया था। उसके बाद साल 1989 में उन्हें दूसरा दूसरा दौरा पड़ा। मदर टेरेसा लगातार खराब सेहत होने की वजह से 5 सितंबर 1997 को मृत्यु को प्राप्त हो गई। उनकी मृत्यु के समय तक मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी में 4000 सिस्टर और 300 अन्य सहयोगी संस्थाएं काम कर रही थीं।

मदर टेरेसा ने अपने संपूर्ण जीवन से समाज सेवा और गरीबों की सहायता की अनोखी मिसाल कायम की। उसे देखते हुए पोप जॉन पॉल द्वितीय ने 19 अक्टूबर 2003 को रोम में मदर टेरेसा को ‘कोलकाता की धन्य टेरेसा’ की उपाधि से विभूषित किया।

निःस्वार्थ प्रेम, सेवा, शांति की मूर्ति इस महान आत्मा को नमन!

मनुष्य जन्म में नेक कार्यों के साथ सच्ची साधना भी करनी चाहिए

कलयुग में भी मदर टेरेसा जैसे अनेक महापुरुष और समाजसेवी हुए हैं। मदर टेरेसा जैसी महान विभूति, जिन्होंने आजीवन दुखों के साथ रहते हुए भी समाज के लिए अच्छे कार्य किए। उन्होंने गरीब बच्चों और पीड़ित लोगों की सहायता के लिए महान कार्य करके दिखाए। किंतु मनुष्य जन्म प्राप्त प्राणी को नेक कार्य करते हुए भी सतगुरु के अभाव में शास्त्र अनुकूल सद्भक्ति नहीं मिल पाती।

यदि हम मनुष्य जन्म में पूर्ण परमात्मा की भक्ति करते हुए अच्छे कार्य करते है तो हमारी आयु भी परमात्मा बढ़ा देते हैं। सतगुरु से प्राप्त सद्भक्ति से मनुष्य का वर्तमान जीवन तो खुशहाल होता ही है,  साथ ही परमात्मा उसे दीर्घायु कर जन्म मरण के रोग से भी छुटकारा दिलवाते हैं। 

FAQ About मदर टेरेसा

प्रश्न.1 मदर टेरेसा का जन्म कब हुआ था? 

उत्तर. मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को हुआ था।

प्रश्न.2 मदर टेरेसा की मृत्यु कब हुई थी ?

उत्तर. मदर टेरेसा की मृत्यु 5 सितंबर 1997 को हुई थी।

प्रश्न.3 मदर टेरेसा का भारत में आगमन कब हुआ? 

उत्तर. मदर टेरेसा का भारत में आगमन 6 जनवरी 1929 में हुआ। 

प्रश्न.4 मदर टेरेसा ने कौन सी धर्म मंडली की स्थापना की थी? 

उत्तर. मदर टेरेसा ने मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी धर्म मंडली की स्थापना की थी।

प्रश्न.5 मदर टेरेसा किस देश की मूल निवासी थीं?

उत्तर. मदर टेरेसा अल्बेनिया देश की मूल निवासी थीं।

प्रश्न.6 मदर टेरेसा को किस वर्ष भारत रत्न पुरस्कार मिला था?

उत्तर. सन् 1980 में।

प्रश्न.7 मदर टेरेसा को नोबेल पुरस्कार कब मिला था?

उत्तर. सन् 1979 में।

प्रश्न.8 मदर टेरेसा कौन थीं?

उत्तर. मदर टेरेसा एक रोमन कैथोलिक संत थीं।

निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Share This Article
Email Copy Link Print
What do you think?
Love2
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink1
BySA News
Follow:
Welcome to SA News, your trusted source for the latest news and updates from India and around the world. Our mission is to provide comprehensive, unbiased, and accurate reporting across various categories including Business, Education, Events, Health, History, Viral, Politics, Science, Sports, Fact Check, and Tech.
Previous Article Bharat Bandh 21 August आरक्षण को लेकर क्या है विवाद ST, ST आरक्षण को लेकर भारत बंद का ऐलान: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर छिडा विवाद, जानिए क्या है पूरा अपडेट
Next Article Jay Shah The Likely Successor for ICC’s Top Post Jay Shah: The Likely Successor for ICC’s Top Post
Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

You must be logged in to post a comment.

Sant-Rampal-Ji-App-ads

Popular Posts

Viral Hepatitis: दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौती

तेजी से बढ़ रहे हैं Viral Hepatitis के मामले भारत समेत पूरी दुनिया में Viral…

By SA News

The Internet of Things (IoT) Effects: Transforming Our World

The world is becoming more interconnected due to the Internet of Things (IoT). The Internet…

By SA News

India’s Education at Crossroads: 89,441 Government Schools Shut While Private Institutions Expand Rapidly

India, once celebrated for expanding access to primary education post-independence, is now witnessing a major…

By SA News

You Might Also Like

The Spanish Civil War Explained From Causes to Consequences 
History

The Spanish Civil War Explained: From Causes to Consequences 

By SA News
Albert Schweitzer: The Polymath Who Dedicated His Life to Healing and Humanity
HistoryPerson

Albert Schweitzer: The Polymath Who Dedicated His Life to Healing and Humanity

By SA News
The American Civil War: Reshaped America’s Future
History

The American Civil War: Reshaped America’s Future

By SA News
सावित्रीबाई फुले जयंती महिला शिक्षा और सशक्तिकरण का प्रतीक
PersonHistory

सावित्रीबाई फुले जयंती: महिला शिक्षा और सशक्तिकरण का प्रतीक

By SA News
SA NEWS LOGO SA NEWS LOGO
600kLike
300kFollow
11.2kPin
151kFollow
523kSubscribe
2.1kFollow

About US


Welcome to SA News, your trusted source for the latest news and updates from India and around the world. Our mission is to provide comprehensive, unbiased, and accurate reporting across various categories including Business, Education, Events, Health, History, Viral, Politics, Science, Sports, Fact Check, and Tech.

Top Categories
  • Politics
  • Health
  • Tech
  • Business
  • World
Useful Links
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Copyright Notice
  • Contact Us
  • Official Website (Jagatguru Sant Rampal Ji Maharaj)

© SA News 2025 | All rights reserved.