राजस्थान के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना ब्लॉक स्थित पीपलोदी गांव में शुक्रवार सुबह एक सरकारी प्राइमरी स्कूल की छत गिरने से दर्दनाक हादसा हुआ। यह हादसा सुबह 8 बजे के करीब हुआ, जब बच्चे पढ़ाई कर रहे थे। अचानक छत गिरने से 5 मासूम बच्चों की मौत हो गई और लगभग 17 घायल हो गए। 60 से ज्यादा बच्चों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई गई। घटना के तुरंत बाद पुलिस, प्रशासन और NDRF की टीमों ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया।
हादसे के पीछे लापरवाही की आशंका
स्थानीय प्रशासन के अनुसार स्कूल भवन काफी पुराना और जर्जर हालत में था। समय रहते मरम्मत या पुनर्निर्माण नहीं कराया गया, जिससे यह दर्दनाक दुर्घटना घट गई। यह हादसा बताता है कि सरकारी स्कूलों में भवनों की दशा और बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर खामियां हैं। इस हादसे ने पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि पीड़ित परिवारों के साथ उनकी संवेदनाएं हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी इस हृदयविदारक घटना पर दुःख जताया और घायलों के समुचित उपचार के निर्देश दिए। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी हादसे पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से जवाब मांगा।
पहले भी हुए हैं ऐसे हादसे
यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी सरकारी स्कूल की इमारत गिरने से बच्चों की जान गई हो। देशभर में समय-समय पर ऐसे हादसे होते रहे हैं, जिनमें बच्चों की जान जोखिम में पड़ी है। ऐसे मामलों के बाद जांच के आदेश तो दिए जाते हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर सुधार बहुत कम दिखता है।
शिक्षा व्यवस्था पर उठते सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। स्कूलों की जर्जर और असुरक्षित इमारतें, सीमित वित्तीय संसाधन और समय पर निगरानी की कमी – ये सभी समस्याएं शिक्षा व्यवस्था की बड़ी चुनौतियां हैं। जब तक सरकारें स्कूल के बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता नहीं देंगी, तब तक छात्रों की सुरक्षा हमेशा खतरे में बनी रहेगी।
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प्रशासन ने किया तत्काल एक्शन
हादसे की जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। राहत और बचाव कार्य तेजी से शुरू किया गया, जबकि घायलों को नजदीकी अस्पतालों में उपचार के लिए भर्ती कराया गया। सरकार ने हादसे की जांच के आदेश भी दे दिए हैं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।
ज़रूरत है सख्त और ठोस कदम उठाने की
इस तरह की घटनाओं के बाद केवल मुआवजा या बयानबाज़ी से समस्या हल नहीं होती। ज़रूरत है सख्त और ठोस कदम उठाने की ताकि भविष्य में ऐसा कोई हादसा न हो। जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए और पुराने स्कूल भवनों का ऑडिट कर उन्हें सुरक्षित बनाना चाहिए।
निष्कर्ष: एक चेतावनी है ये हादसा
झालावाड़ की यह घटना एक गंभीर चेतावनी है। यह दर्शाती है कि हमारे देश में शिक्षा व्यवस्था और बच्चों की सुरक्षा दोनों ही खतरे में हैं। अब समय आ गया है कि सरकार और प्रशासन इस ओर गंभीरता से ध्यान दें और भविष्य की पीढ़ी को सुरक्षित वातावरण प्रदान करें। वरना ऐसे हादसे बार-बार हमें झकझोरते रहेंगे।