इंदौर में नशामुक्त भारत के संकल्प के साथ ADDICON-2025 का समापन हुआ। इस सम्मेलन में WHO, AIIMS और NIMHANS के विशेषज्ञों ने शामिल होकर नशा और व्यसनों की बढ़ती चुनौतियों पर मंथन किया। समापन समारोह में विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने सामूहिक रूप से नशा-नियंत्रण और पुनर्वास के लिए ठोस नीति निर्माण हेतु भारत सरकार को सुझाव एवं आवेदन भेजने का संकल्प लिया। इस दौरान एक्स्ट्रा-मेरिटल अफेयर और नशे के बीच के संबंधों पर प्रकाश डाला गया।
आइए जानते हैं ADDICON-2025 समारोह में हुई मनोचिकित्सकों और नशा विशेषज्ञों की गहन चर्चा विस्तार से….
अंतर्राष्ट्रीय ADDICON – 2025 सम्मेलन
मध्यप्रदेश के इंदौर में 05 नवंबर से 07 नवंबर 2025 तक तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘ADDICON-2025’ आयोजित किया गया, जो 07 नवंबर को प्राइड होटल एंड कन्वेंशन सेंटर में संपन्न हुआ। देश-विदेश से आए मनोचिकित्सकों, नशा विशेषज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नीति-निर्माताओं ने नशा एवं तकनीक की लत की बढ़ती समस्या पर अपने विचार साझा किए और इसके समाधान के लिए ठोस सामाजिक एवं सरकारी कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। इस वर्ष की थीम थी — “वर्तमान में रणनीतियों, नीतियों और दृष्टिकोण के माध्यम से नशे की बढ़ती समस्या से निपटना।”
महिलाओं में बढ़ रही नशे की प्रवृत्ति
ADDICON-2025 सम्मेलन में विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में 60% से अधिक सड़क हादसे नशे की लत के कारण हो रहे हैं और लोग हिंसा व अपराध की ओर बढ़ रहे हैं। नशा अब केवल पुरुषों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि महिलाओं को भी गहराई से प्रभावित कर रहा है।
व्यसन विशेषज्ञ डॉ. रविंद्र राव (AIIMS, दिल्ली) ने बताया कि नशे के प्रभाव में व्यक्ति की आत्म-नियंत्रण और निर्णय लेने की क्षमता समाप्त हो जाती है, जिससे वह अपराध या सड़क हादसे का शिकार बन जाता है। विशेषज्ञों ने महिलाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की। डॉ. अतुल अंबेडकर (AIIMS, नई दिल्ली) ने बताया कि नशे की लत के कारण महिलाएं स्वयं को या दूसरों को नुकसान पहुंचा रही हैं।
रिश्तों पर नशे का प्रभाव एक गंभीर समस्या
डॉ. टी.एस. राव ने बताया कि नशे की आदत व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक नियंत्रण को नष्ट कर देती है, जिससे वैवाहिक संबंधों में दूरी, अविश्वास और एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर जैसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं। नशे के प्रभाव से रिश्तों में झूठ, बेईमानी और अविश्वास बढ़ता है। आज कुटुंब न्यायालयों में तलाक के बढ़ते मामलों में नशे की लत एक प्रमुख कारण के रूप में उभर रही है, जो केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामाजिक संकट का संकेत है।
समापन समारोह में उपस्थित सभी विशेषज्ञों, डॉक्टरों और संगठनों ने सामूहिक रूप से यह संकल्प लिया कि भारत सरकार को नशा नियंत्रण और पुनर्वास के लिए एक ठोस नीति बनाने के लिए लिखित सुझाव और आवेदन भेजे जाएंगे। विशेष रूप से यह निर्णय लिया गया कि देशभर के पुनर्वास केंद्रों, चिकित्सा संस्थानों और सामाजिक संगठनों को एकजुट करके “नशामुक्त भारत अभियान” को और अधिक प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाकर नशा मुक्त समाज का निर्माण किया जाना चाहिए।
नशामुक्ति की दिशा में एक संत का अनोखा अभियान
इसी कड़ी में संपूर्ण भारत को नशा-मुक्त एवं व्यसन-मुक्त करने हेतु समाज सुधारक संत रामपाल जी महाराज 1997 से सतत प्रयत्नशील हैं। उनके सभी अनुयायी किसी भी प्रकार का नशा नहीं करते और नशा करने में किसी का सहयोग भी नहीं करते। इस नशामुक्त अभियान से समाज की बुराइयां जड़मूल रूप से समाप्त हो रही हैं और एक बेहतर समाज का निर्माण हो रहा है। अपराध और हादसों पर प्रभावी अंकुश लग रहा है।
फिर भी संपूर्ण भारत को नशा-मुक्त और अपराध-मुक्त बनाने तथा एक आदर्श समाज के निर्माण हेतु हम सभी को एकजुट होकर संत रामपाल जी महाराज के नशामुक्त अभियान में सहयोग करना चाहिए। अधिक जानकारी हेतु आप संत रामपाल जी महाराज के YouTube चैनल और Facebook पेज पर विजिट करें, तथा जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से निःशुल्क नामदीक्षा प्राप्त कर उनके परोपकारी मिशन में सहयोग करें।
