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24 घंटे में 26 जगह धधकी पराली, मंडी गोबिंदगढ़ का एक्यूआई लाल

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Last updated: October 5, 2024 3:30 pm
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24 घंटे में 26 जगह धधकी पराली, मंडी गोबिंदगढ़ का एक्यूआई लाल
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  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की पैनी नजर तले ये शहर।
  • हरियाणा में भी तैनात हुईं नियंत्रण बोर्ड की विशेष टीमें।
  • प्रमुख शहरों का एक्यूआई स्तर चिंताजनक।
  • दिल्ली से पंजाब पहुंचीं सीपीसीबी की उड़नदस्ता टीमें।
  • 131 शहरों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए चल रहा विशेष अभियान।
  • आठ नए मामलों के साथ कुल संख्या पहुंची 179।

सर्वोच्च न्यायालय का पराली दहन पर कड़ा रुख

मंगलवार को एक साथ 26 जगहों पर पराली दहन के मामले सामने आए। 15 सितंबर से 1 अक्टूबर तक कुल 155 घटनाएं दर्ज। प्रदूषण का कहर अब पर्यावरण पर स्पष्ट दिखने लगा है। पराली की लगातार धधकती आग से पंजाब के तीन शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 के पार। मंडी गोबिंदगढ़ में 122, पटियाला में 101 और अमृतसर में 105 का एक्यूआई दर्ज।

Contents
सर्वोच्च न्यायालय का पराली दहन पर कड़ा रुखकेंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में ये शहर:- हरियाणा में भी नियंत्रण बोर्ड द्वारा गठित की गईं विशेष टीमें:- प्रमुख शहरों का एक्यूआई स्तर:-सीपीसीबी की उड़नदस्ता टीमें दिल्ली से पंजाब पहुंचीं:- 131 शहरों में प्रदूषण स्तर सुधार के लिए शुरू किया गया विशेष अभियान:- आठ नए मामलों के साथ कुल संख्या 179 पहुंची:- सर्वोच्च न्यायालय का पराली दहन पर कड़ा रुख:- 

The Supreme Court slammed the Commission for Air Quality Management for failing to control incidents of stubble burning and said it has made no effort to implement its direction to prevent such incidents.https://t.co/XOQ2xqHxcr

— The Hindu (@the_hindu) October 3, 2024

हालांकि ये मध्यम श्रेणी में है, लेकिन चिकित्सकों के अनुसार, इस स्तर पर फेफड़े, दमा और हृदय रोगियों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। मंडी गोबिंदगढ़ की हवा देर रात से सुबह 4 बजे तक रही लाल (अत्यंत खराब), जबकि अमृतसर और रूपनगर का एक्यूआई सुबह हरा और दिन में पीला हो गया। प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है।

खरीफ सीजन की दस्तक के साथ ही पंजाब में पराली दहन के मामले सामने आने लगे हैं। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने इस पर कड़ी नजर रखने की कवायद शुरू कर दी है। विशेष रूप से 9 शहरों पर ड्रोन से निगरानी की जा रही है, क्योंकि इन्हें केंद्र द्वारा गैर-प्राप्ति शहरों की सूची में शामिल किया गया था। एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन ने भी 16 उड़नदस्ता दलों का गठन किया है, जो पराली दहन पर नजर रखेंगे। ये दल 16 जिलों – अमृतसर, बरनाला, बठिंडा, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, फाजिल्का, फिरोजपुर, जालंधर, कपूरथला, लुधियाना, मानसा, मोगा, श्री मुक्तसर साहिब, पटियाला, संगरूर और तरनतारन में सक्रिय रहेंगे।

चंडीगढ़ व मोहाली में धान पराली प्रबंधन केंद्र की स्थापना की जा रही है। इसके माध्यम से आयोग खरीफ सीजन के दौरान कृषि व संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित करेगा। उड़नदस्ते द्वारा प्रतिदिन जमीनी स्तर पर स्थिति का आकलन किया जाएगा और पराली दहन से संबंधित जानकारी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व आयोग को प्रेषित की जाएगी।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में ये शहर:- 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदेश में अपनी निगरानी तेज कर दी है। ये 9 शहर हैं – डेराबस्सी, गोबिंदगढ़, जालंधर, खन्ना, लुधियाना, नया नंगल, पठानकोट, पटियाला और अमृतसर।

हरियाणा में भी नियंत्रण बोर्ड द्वारा गठित की गईं विशेष टीमें:- 

हरियाणा के 10 जिलों के लिए भी टीमों का गठन किया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को इनमें शामिल किया गया है। ये दल प्रदेश के नोडल अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करेंगे कि पराली दहन रोकने के लिए वे कैसे कार्य कर रहे हैं। पराली दहन के हॉटस्पॉट जिलों की पहचान के लिए आयोग कार्यरत है।

केंद्र ने 9 शहरों को गैर-प्राप्ति शहरों की सूची में शामिल किया था। गैर-प्राप्ति उन शहरों को घोषित किया जाता है, जो 5 वर्षों की अवधि में लगातार वायु गुणवत्ता स्तर पीएम 10 के लिए राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक को पूरा नहीं करते। पीएम 10 वायु प्रदूषण का एक स्तर है, जो सभी के स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। जब प्रदूषक कणों का स्तर वायु में बढ़ जाता है, तो सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

सोमवार को बताया गया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से पराली जलाने के मामले में जानकारी की आवश्यकता है। इस पर शुक्रवार को सुनवाई की संभावना है। पिछले साल, पराली जलाने को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया था, और इसे फिर से रोकने के लिए न्यायिक निगरानी की आवश्यकता बताई गई थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस खरीफ सीजन में अकेले पंजाब में पराली जलाने की 81 घटनाएं दर्ज की गई हैं।

प्रमुख शहरों का एक्यूआई स्तर:-

  • जिला एक्यूआई पीएम-2.5 पीएम-10
  • अमृतसर 150 272 231
  • रूपनगर 136 174 303
  • लुधियाना 77 93 104
  • जालंधर 97 197 120
  • मंडी गोबिंदगढ़ 254 497 474
  • खन्ना 77 92 94
  • पटियाला 83 82 104
  • बठिंडा 63 85 88
AD 4nXchN7RUBBwjnfTtx m6EosPwg4bAY4TGOMyoOjeLBL6LeWvWOxGP5l2SlOd773Ew cQufMXDZ9D0jacjaDcce3JVVHkDlzniHzZa DK53QgDHQ RSC2 qFnihuZQMixKovovbGuoQJHiDtpF

सीपीसीबी की उड़नदस्ता टीमें दिल्ली से पंजाब पहुंचीं:- 

दिल्ली से सीपीसीबी की उड़नदस्ता टीमें पंजाब पहुंच गई हैं। 16 जिलों और 663 गांवों को हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित किया गया है। 2023 में 23,410 मामले दर्ज हुए, जो 15 सितंबर से 30 नवंबर तक दर्ज 36,663 मामलों का 64% था।

131 शहरों में प्रदूषण स्तर सुधार के लिए शुरू किया गया विशेष अभियान:- 

131 शहरों में केंद्र सरकार ने प्रदूषण स्तर में सुधार हेतु राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसमें प्रदेश के उक्त 9 शहर भी सम्मिलित हैं। इसके सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं, परंतु हाल ही में जारी एक सूची के अनुसार लुधियाना अधिक प्रदूषित टॉप 10 शहरों में शामिल था। यही कारण है कि प्रदेश में और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है। नगर निकायों द्वारा यांत्रिक सफाई व हरियाली को बढ़ावा दिया जा रहा है।

आठ नए मामलों के साथ कुल संख्या 179 पहुंची:- 

पंजाब में गुरुवार को फिर पराली जलाई गई। आठ नए मामलों के साथ कुल गिनती 179 हो गई। इनमें सर्वाधिक तीन मामले जिला अमृतसर से, दो गुरदासपुर, एक जालंधर और दो तरनतारन से सामने आए। पिछले दो वर्षों में आज के ही दिन 2023 में पराली दहन के 105 मामले हुए थे। 2022 में 79 मामले दर्ज किए गए थे। पंजाब में 15 सितंबर से अब तक पराली दहन के कुल 179 मामले हो गए हैं। जबकि 2023 में इसी अवधि में 561 और 2022 में 350 मामले हुए थे। इस बार पराली दहन में 86 मामलों के साथ जिला अमृतसर सबसे ऊपर है।

सर्वोच्च न्यायालय का पराली दहन पर कड़ा रुख:- 

सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से पराली दहन के बारे में जवाब चाहता है। आज इस मुद्दे पर  सुनवाई होने की संभावना है। पिछले वर्ष, शीर्ष अदालत ने कहा था कि पराली दहन पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया था ताकि यह समस्या दोबारा पैदा न हो। वहीं, सरकारी आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि इस खरीफ सीजन में अकेले पंजाब में पराली दहन की 81 घटनाएं सामने आई हैं।

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