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Home » IMD का बड़ा अलर्ट: अक्टूबर में लौट सकता है ला नीना, बढ़ेगी ठंडक

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IMD का बड़ा अलर्ट: अक्टूबर में लौट सकता है ला नीना, बढ़ेगी ठंडक

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Last updated: September 21, 2025 10:47 am
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IMD का बड़ा अलर्ट: अक्टूबर में लौट सकता है ला नीना, बढ़ेगी ठंडक
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भारत में इस साल मानसून सीज़न के दौरान सामान्य से अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है। अब मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि साल के अंत तक ला नीना की स्थिति फिर से लौट सकती है। अमेरिका के जलवायु केंद्र के अनुसार, अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला नीना लौटने की संभावना लगभग 71 प्रतिशत है। इसके कारण उत्तर भारत में ठंड का असर सामान्य से अधिक हो सकता है और हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी देखी जा सकती है।

Contents
  • क्या है ला नीना?
  • ला नीना की 71% संभावना, भारत में बढ़ सकती है सर्दी की तीव्रता
  • मॉनसून के बाद बढ़ सकती है ला नीना की संभावना, सर्दियां होंगी सामान्य से अधिक ठंडी
  • अल्पकालिक ला नीना की संभावना, भारत में बढ़ सकती है कड़ाके की ठंड
  • ला नीना के कारण उत्तर भारत में बढ़ती हैं ठंडी लहरें
  • अक्टूबर में लौट सकता है ला नीना, बढ़ेगी ठंड से जुड़े FAQs 
  • अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस ने अनुमान लगाया है कि अक्टूबर–दिसंबर 2025 में ला नीना बनने की लगभग 71% संभावना है।
  • दिसंबर 2025–फरवरी 2026 के बीच संभावना घटकर लगभग 54% रह सकती है, लेकिन ला नीना वॉच प्रभावी है।
  • भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार फिलहाल स्थितियां तटस्थ हैं, पर मॉनसून के बाद ला नीना विकसित होने की संभावना 50% से अधिक है।
  • निजी संस्था स्काइमेट वेदर का कहना है कि अल्पकालिक ला नीना की स्थिति से इंकार नहीं किया जा सकता, उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड और हिमालयी क्षेत्रों में अधिक बर्फबारी की संभावना है।
  • प्रशांत महासागर का लगातार -0.5 °C से कम तापमान तीन तिमाहियों तक रहने पर इसे औपचारिक रूप से ला नीना घोषित किया जाता है।
  • 2024 में आईआईएसईआर मोहाली और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च (ब्राज़ील) के अध्ययन ने पाया कि ला नीना वर्षों में उत्तर भारत में ठंडी लहरें ज्यादा और लंबे समय तक रहती हैं।

क्या है ला नीना?

ला नीना एक प्राकृतिक जलवायु घटना है, जो तब होती है जब प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय क्षेत्र का समुद्री सतह तापमान सामान्य से काफी ठंडा हो जाता है। यह घटना आमतौर पर हर 2–7 साल में विकसित होती है और कई महीनों तक बनी रह सकती है।

ला नीना की 71% संभावना, भारत में बढ़ सकती है सर्दी की तीव्रता

अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने 11 सितंबर को बताया कि अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच ला नीना बनने की लगभग 71% संभावना है। यह संभावना दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के दौरान कुछ घटकर करीब 54% रह सकती है, लेकिन ला नीना वॉच अभी भी प्रभावी है।

मॉनसून के बाद बढ़ सकती है ला नीना की संभावना, सर्दियां होंगी सामान्य से अधिक ठंडी

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अपने ताज़ा ENSO बुलेटिन में बताया कि फिलहाल प्रशांत महासागर में परिस्थितियां तटस्थ हैं न तो एल नीनो और न ही ला नीना का असर है। हालांकि विभाग का मानना है कि मॉनसून के बाद ला नीना बनने की संभावना बढ़ सकती है।

आईएमडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमारे नवीनतम मॉडल अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला नीना विकसित होने की 50% से अधिक संभावना दिखा रहे हैं। ला नीना के दौरान भारत में सर्दियां सामान्य से अधिक ठंडी होती हैं। हालांकि जलवायु परिवर्तन से बढ़ती गर्माहट इसका असर कुछ कम कर सकती है, लेकिन ठंडी लहरें अधिक तीव्र हो सकती हैं।”

अल्पकालिक ला नीना की संभावना, भारत में बढ़ सकती है कड़ाके की ठंड

निजी मौसम संस्था स्काइमेट वेदर के अध्यक्ष जी.पी. शर्मा ने कहा कि अल्पकालिक ला नीना की स्थिति से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया, “प्रशांत महासागर का तापमान पहले से ही सामान्य से ठंडा है। यदि यह तापमान लगातार तीन तिमाहियों तक -0.5°C से नीचे रहता है, तो इसे ला नीना घोषित किया जाएगा। 2024 के अंत में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी, जब नवंबर से जनवरी तक अल्पकालिक ला नीना दर्ज किया गया था।” शर्मा के अनुसार, भले ही औपचारिक घोषणा न हो, लेकिन प्रशांत महासागर का ठंडा होना वैश्विक मौसम को प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा, “अमेरिका में सूखी सर्दियों का खतरा है, जबकि भारत में यह कड़ाके की ठंड और हिमालयी क्षेत्रों में अधिक बर्फबारी ला सकता है।”

ला नीना के कारण उत्तर भारत में बढ़ती हैं ठंडी लहरें

आईआईएसईआर मोहाली और ब्राज़ील के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च द्वारा 2024 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि ला नीना वर्षों के दौरान उत्तर भारत में ठंडी लहरें अधिक बार और लंबे समय तक बनी रहती हैं।

अध्ययन के अनुसार, “ला नीना के समय निचले वायुमंडलीय स्तर पर बनने वाली चक्रीय हवाएं उत्तरी अक्षांशों से ठंडी हवा को भारत की ओर खींच लाती हैं, जिससे ठंड की तीव्रता और अवधि दोनों बढ़ जाती हैं।”

अक्टूबर में लौट सकता है ला नीना, बढ़ेगी ठंड से जुड़े FAQs 

1. ला नीना क्या है?

उत्तर: ला नीना एक प्राकृतिक जलवायु घटना है जिसमें प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय हिस्से का समुद्री सतह तापमान सामान्य से ठंडा हो जाता है। यह दुनिया भर के मौसम पैटर्न को प्रभावित करता है और भारत में सामान्य से अधिक ठंड ला सकता है।

2.  2025–26 में ला नीना की कितनी संभावना है?

उत्तर : अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस के अनुसार अक्टूबर–दिसंबर 2025 में लगभग 71% संभावना है। दिसंबर 2025–फरवरी 2026 के दौरान यह संभावना घटकर 54% रह सकती है।

3. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का क्या अनुमान है?

उत्तर : आईएमडी का कहना है कि फिलहाल स्थितियां तटस्थ हैं, लेकिन मॉनसून के बाद अक्टूबर–दिसंबर में ला नीना बनने की 50% से अधिक संभावना है।

4. वैज्ञानिक अध्ययनों ने क्या बताया है?

उत्तर : 2024 में आईआईएसईआर मोहाली और ब्राज़ील के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च के अध्ययन के अनुसार ला नीना वर्षों में उत्तर भारत में ठंडी लहरें ज्यादा और लंबी होती हैं, क्योंकि निचले स्तर पर बनने वाली चक्रीय हवाएं ठंडी हवा को भारत तक खींच लाती हैं।

5. ला नीना और एल नीनो में क्या अंतर है?

उत्तर: एल नीनो:  प्रशांत महासागर का समुद्री सतह तापमान सामान्य से ज्यादा गर्म हो जाता है।

ला नीना  : यही तापमान सामान्य से काफी ठंडा हो जाता है। दोनों घटनाएं वैश्विक मौसम पैटर्न को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करती

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