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अब दिल्ली जल बोर्ड को इन कामों के लिए नहीं लेनी पड़ेगी कैबिनेट की अनुमति

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Last updated: July 15, 2025 11:24 am
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अब दिल्ली जल बोर्ड को इन कामों के लिए नहीं लेनी पड़ेगी कैबिनेट की अनुमत
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दिल्ली सरकार ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को वित्तीय अधिकार प्रदान किए हैं। इससे पहले 5 जून 2020 को पूर्व की AAP सरकार ने डीजेबी की वित्तीय स्वायत्तता को समाप्त कर दिया था, जिसके कारण बोर्ड को कई ज़रूरी परियोजनाओं के लिए कैबिनेट से मंजूरी लेनी पड़ती थी, जिससे कामों में देरी होती थी।

Contents
दिल्ली जल बोर्ड को मिली वित्तीय स्वायत्तता: क्या बदला?यमुना नदी और जल प्रदूषण की चुनौतीदिल्ली सरकार की नई ‘Clean Yamuna Plan’अधिकारियों को मिली वित्तीय शक्तियां और उनका महत्वआम नागरिकों पर असरविशेषज्ञों का क्या कहना है?दिल्ली जल बोर्ड के लिए आगे का रास्ताFAQs डीजेबी को मिली वित्तीय स्वायत्तता 

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की नई सरकार ने इस स्थिति को सुधारते हुए डीजेबी को फिर से वित्तीय अधिकार सौंपे हैं। इस फैसले से राजधानी में जल प्रबंधन और सफाई के कामों में तेज़ी आने की उम्मीद है।

दिल्ली जल बोर्ड को मिली वित्तीय स्वायत्तता: क्या बदला?

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के निर्देश पर संशोधित प्रावधानों के अनुसार, अब डीजेबी अध्यक्ष 50 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को बिना कैबिनेट की मंजूरी के मंजूर कर सकेंगे। इससे पहले यह सीमा केवल 25 करोड़ रुपये थी। इसी तरह, सीईओ को 25 करोड़ रुपये तक और एमएल बोर्ड के सदस्यों को 5 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है।

इस निर्णय के साथ ही, डीजेबी को कैबिनेट की अनुमति के बंधन से मुक्त कर दिया गया है, जिससे जल बोर्ड अपनी गतिविधियों को तेजी से संचालित कर सकेगा।

यमुना नदी और जल प्रदूषण की चुनौती

दिल्ली में यमुना नदी प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत है, जिसमें राजधानी का 76% प्रदूषण योगदान है। नदी के किनारे जमा होने वाले कचरे, untreated सीवर जल और औद्योगिक अपशिष्ट इसके मुख्य कारण हैं।

दिल्ली जल बोर्ड की वित्तीय सीमाओं के कारण यमुना नदी और शहर के नालों की सफाई के कामों में बाधा आ रही थी। नए वित्तीय अधिकार मिलने के बाद, डीजेबी स्वच्छता और प्रदूषण नियंत्रण के कामों को तेज गति से कर पाएगा।

दिल्ली सरकार की नई ‘Clean Yamuna Plan’

‘Clean Yamuna Plan’ दिल्ली सरकार की 45 सूत्रीय कार्य योजना है, जिसका उद्देश्य यमुना नदी को पुनर्जीवित करना और उसे प्रदूषण मुक्त बनाना है। इस योजना के तहत नदी की सफाई, जल गुणवत्ता सुधार, नालों के उपचार और पेयजल आपूर्ति को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया है।

अब जब डीजेबी को वित्तीय स्वायत्तता मिली है, तो वह इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू कर सकेगा, जिससे यमुना नदी का प्रदूषण कम होगा और नदी पुनः जीवनदायिनी बन सकेगी।

अधिकारियों को मिली वित्तीय शक्तियां और उनका महत्व

  • डीजेबी अध्यक्ष: अब 50 करोड़ रुपये तक की परियोजनाएं मंजूर कर सकेंगे। इससे बड़े पैमाने पर जल प्रबंधन योजनाओं को शीघ्रता से लागू किया जा सकेगा।
  • सीईओ: 25 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को स्वीकृति दे सकेंगे, जिससे प्रशासनिक स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज होगी।
  • एमएल बोर्ड सदस्य: 5 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी दे सकेंगे, जिससे स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे सुधार भी जल्दी किए जा सकेंगे।

इस वित्तीय अधिकार का मतलब यह है कि हर छोटी-बड़ी परियोजना के लिए कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार नहीं करना पड़ेगा, जिससे कामों में विलंब कम होगा और जनता को बेहतर सेवाएं जल्दी मिलेंगी।

आम नागरिकों पर असर

यह निर्णय सीधे तौर पर दिल्ली के आम नागरिकों के लिए फायदेमंद साबित होगा। यमुना नदी की सफाई और नालों के उपचार से जल प्रदूषण में कमी आएगी, जिससे स्वास्थ्य समस्याओं जैसे जल जनित बीमारियों में गिरावट संभव है।

साथ ही पेयजल आपूर्ति के बेहतर प्रबंधन से राजधानी में साफ और पर्याप्त पानी की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। जल बोर्ड की तेज निर्णय क्षमता से जल संकट से निपटने में भी मदद मिलेगी।

विशेषज्ञों का क्या कहना है?

जल प्रदूषण और जल प्रबंधन विशेषज्ञों का मानना है कि वित्तीय स्वायत्तता के बिना जल बोर्ड का काम सुचारू रूप से चलाना मुश्किल होता है। कैबिनेट से हर परियोजना की मंजूरी लेने में लगने वाला समय और नौकरशाही कामों में बाधा डालता है।

नई व्यवस्था से जल बोर्ड को अपने बजट का अधिक नियंत्रण मिलेगा और वह त्वरित निर्णय लेकर जल संकट को कम करने में सक्षम होगा।

दिल्ली जल बोर्ड के लिए आगे का रास्ता

अब जब डीजेबी को वित्तीय अधिकार मिल गया है, तो यह जरूरी हो जाता है कि वह अपने संसाधनों का प्रभावी उपयोग करे। पेयजल आपूर्ति में सुधार, नालों की सफाई और यमुना नदी के प्रदूषण नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

सरकार की नई ‘Clean Yamuna Plan’ के तहत जल बोर्ड को यमुना नदी को साफ करने के साथ ही जल प्रदूषण के अन्य स्रोतों पर भी कड़ी निगरानी रखनी होगी।

FAQs डीजेबी को मिली वित्तीय स्वायत्तता 

1. डीजेबी को वित्तीय स्वायत्तता मिलने का मतलब क्या है?

इसका मतलब है कि डीजेबी बिना कैबिनेट की मंजूरी के बड़े पैमाने पर परियोजनाएं स्वीकृत कर सकता है, जिससे कामों में तेजी आएगी।

2. दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष को कितनी वित्तीय सीमा मिली है?

अध्यक्ष को अब 50 करोड़ रुपये तक की परियोजनाएं मंजूर करने का अधिकार मिला है।

3. इस फैसले से आम जनता को क्या लाभ होगा?

जल प्रदूषण में कमी, बेहतर पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता में सुधार आम जनता को मिलेगा।

4. क्या इससे यमुना नदी की सफाई में असल बदलाव आएगा?

वित्तीय अधिकार मिलने से डीजेबी को तेज़ी से काम करने में मदद मिलेगी, जिससे यमुना की सफाई बेहतर होगी।

5. ‘Clean Yamuna Plan’ क्या है?

यह योजना यमुना नदी को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए दिल्ली सरकार की 45 सूत्रीय कार्य योजना है।

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