भारत निर्वाचन आयोग( ECI) ने 17 अगस्त 2025 को दिल्ली स्थित नेशनल मीडिया सेंटर में एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस की । यह प्रेस कॉन्फ्रेंस उस समय हुई जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आयोग पर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी और” वोट चोरी” के गंभीर आरोप लगाए थे । यह प्रेस कॉन्फ्रेंस बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों और वहां हुई विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण( Special Intensive Revision- SIR) के संदर्भ में थी ।
वोट चोरी के आरोप क्या हैं?
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि बिहार में SIR प्रक्रिया के दौरान लाखों वैध मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए । उन्होंने दावा किया कि यह प्रक्रिया जानबूझकर की गई ताकि सत्तारूढ़ दल को फायदा मिल सके । उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास इस कथित” वोट चोरी” का पुख्ता सबूत है और उन्होंने इसे” 100 प्रतिशत प्रमाणित” बताया ।
गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव परिणामों को प्रभावित किया और मतदाता सूची में हेरफेर किया । उन्होंने इस मुद्दे को लेकर बिहार में 1300 किलोमीटर लंबी” वोटर अधिकार यात्रा” शुरू की है ।
ECI का जवाब
निर्वाचन आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि SIR प्रक्रिया पूरी तरह से नियमों के अनुसार की गई थी । आयोग ने बताया कि बिहार में जून- जुलाई 2025 के दौरान करीब 6.5 करोड़ मतदाताओं की सूची की समीक्षा की गई, जिसमें मृत, दोहराए गए और स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाए गए ।
ECI ने यह भी कहा कि सभी राजनीतिक दलों को समय पर वोटर लिस्ट दी गई थी ताकि वे उसमें त्रुटियों की पहचान कर सकें । आयोग ने यह तर्क दिया कि अगर किसी पार्टी को आपत्ति थी, तो उसे निर्धारित समय में औपचारिक रूप से दर्ज कराना चाहिए था ।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ग्यानेश कुमार ने कहा, “ ECI सभी दलों के लिए समान है और किसी के पक्ष में काम नहीं करता । ” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वोट चोरी जैसी कोई बात संभव नहीं है ।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
इस विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए ECI को निर्देश दिया कि वह हटाए गए 6.5 मिलियन नामों की जानकारी सार्वजनिक करे और अखबारों, टीवी व रेडियो के माध्यम से इसकी जानकारी दे । कांग्रेस ने इस फैसले को लोकतंत्र की जीत बताया ।
निष्कर्ष
भारत में चुनाव की निष्पक्षता बनाए रखना लोकतंत्र की नींव है । ECI की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि SIR प्रक्रिया पारदर्शी थी और सभी राजनीतिक दलों को बराबरी का अवसर दिया गया । हालांकि विपक्ष के आरोप और जनता की चिंताएं इस मुद्दे को और गंभीर बना रही हैं ।
आगामी बिहार चुनावों के मद्देनज़र यह विवाद और भी महत्वपूर्ण हो गया है । अब देखना यह होगा कि ECI की सफाई जनता और विपक्ष को कितनी संतुष्टि देती है ।