SA NewsSA NewsSA News
  • Home
  • Business
  • Educational
  • Events
  • Fact Check
  • Health
  • History
  • Politics
  • Sports
  • Tech
Notification Show More
Font ResizerAa
Font ResizerAa
SA NewsSA News
  • Home
  • Business
  • Politics
  • Educational
  • Tech
  • History
  • Events
  • Home
  • Business
  • Educational
  • Events
  • Fact Check
  • Health
  • History
  • Politics
  • Sports
  • Tech
Follow US
© 2024 SA News. All Rights Reserved.

Home » “दो कौड़ी” – एक मुहावरा और इसकी गहराई

Hindi News

“दो कौड़ी” – एक मुहावरा और इसकी गहराई

SA News
Last updated: February 28, 2025 11:08 am
SA News
Share
दो कौड़ी – एक मुहावरा और इसकी गहराई
SHARE

भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं होती, बल्कि यह समाज की सोच, मान्यताओं और भावनाओं को भी दर्शाती है। हिंदी भाषा में कई मुहावरे और लोकोक्तियाँ हैं, जो आम जीवन के अनुभवों को संक्षेप में अभिव्यक्त करती हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण और रोचक मुहावरा है— “दो कौड़ी”। यह मुहावरा अक्सर तब इस्तेमाल किया जाता है जब किसी चीज़, व्यक्ति या विचार को तुच्छ, नगण्य या बेकार समझा जाता है। लेकिन इसके पीछे का इतिहास, सामाजिक परिप्रेक्ष्य और उपयोग के संदर्भ में गहरी समझ आवश्यक है।

Contents
“दो कौड़ी” मुहावरे का अर्थ और उपयोगऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमिव्यावहारिक उपयोग और आधुनिक संदर्भ आध्यात्मिक संदर्भ निष्कर्ष

“दो कौड़ी” मुहावरे का अर्थ और उपयोग

“दो कौड़ी” का शाब्दिक अर्थ होता है बहुत कम मूल्य की वस्तु। कौड़ी, जो एक समय मुद्रा के रूप में उपयोग की जाती थी, उसकी बहुत कम कीमत थी। जब किसी चीज़ को “दो कौड़ी का” कहा जाता है, तो इसका अर्थ यह होता है कि वह अत्यंत सस्ता, बेकार या महत्वहीन है। उदाहरण के लिए—

  • “उसकी बातों की कोई कीमत नहीं है, वह दो कौड़ी का आदमी है।”
  • “ऐसी दो कौड़ी की चीज़ें मत खरीदो, इनका कोई उपयोग नहीं।”

यह मुहावरा आमतौर पर नकारात्मक संदर्भ में प्रयोग किया जाता है, जहां किसी व्यक्ति, वस्तु या विचार को कमतर आंका जाता है।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि

पुराने समय में कौड़ी समुद्री घोंघे का खोल था, जिसे भारत में मुद्रा के रूप में प्रयोग किया जाता था। लेकिन जब धातु के सिक्कों और कागजी मुद्रा का चलन बढ़ा, तो कौड़ी का मूल्य गिरता गया। धीरे-धीरे यह “बेकार” या “तुच्छ” चीज़ का प्रतीक बन गई। यही कारण है कि हिंदी में “दो कौड़ी” का अर्थ नगण्य या महत्वहीन हो गया।

भारतीय समाज में यह मुहावरा उस मानसिकता को भी दर्शाता है, जहां आर्थिक स्थिति को व्यक्ति के मूल्य से जोड़ा जाता है। यदि कोई गरीब है, तो उसे “दो कौड़ी का” समझा जाता है, भले ही उसके गुण कितने भी ऊँचे क्यों न हों। यह सोच सामाजिक असमानता को भी उजागर करती है।

Also Read: कृषि नौकरियाँ और उनका महत्व

यह मुहावरा धीरे-धीरे सामाजिक और साहित्यिक अभिव्यक्ति में जगह बना चुका है। यह उन स्थितियों को दर्शाने के लिए उपयोग होता है जब किसी वस्तु, सेवा या व्यक्ति की बहुतायत के कारण उनकी उपयोगिता घट जाती है।

व्यावहारिक उपयोग और आधुनिक संदर्भ 

आज के समय में “दो कौड़ी” मुहावरे का प्रयोग केवल भौतिक वस्तुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे विचारों, भावनाओं और संबंधों के संदर्भ में भी इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के लिए—

  • बाज़ार और व्यापार: “यह ब्रांड दो कौड़ी का है, इसकी कोई गुणवत्ता नहीं।”
  • राजनीति: “आजकल के दो कौड़ी के नेता सिर्फ वादे करते हैं, काम कुछ नहीं करते।”
  • संबंध: “उसने दोस्ती की इतनी बेइज्जती की, लगता है जैसे यह दो कौड़ी की चीज़ हो।

आध्यात्मिक संदर्भ 

कई बार लोग किसी को तुच्छ बताने के लिए “दो कौड़ी का इंसान” कह देते हैं। वास्तव में, यदि मनुष्य अपने जीवन का सही उपयोग न करे, तो उसका कोई मूल्य नहीं रह जाता।

मनुष्य जन्म दुर्लभ है और इसे बार-बार प्राप्त नहीं किया जा सकता। संतों ने सदैव इस जीवन को सार्थक बनाने के लिए भगवान की भक्ति करने का उपदेश दिया है।

“मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारंबार।

तरूवर से पत्ता टूट गिरा, बहुर न लगता डार।।”

जिस प्रकार वृक्ष से टूटा पत्ता दोबारा शाखा से नहीं जुड़ सकता, उसी प्रकार व्यर्थ में गंवाया गया यह अमूल्य जीवन पुनः प्राप्त नहीं होता। यदि इस जीवन को सत्कर्म और भक्ति में नहीं लगाया गया, तो यह व्यर्थ चला जाता है।

“मानुष जन्म पायकर जो नहीं रटे हरिनाम।

जैसे कुआं जल बिना फिर बनवाया क्या काम।।”

जैसे जल के बिना कुआं व्यर्थ होता है, वैसे ही ईश्वर-भक्ति के बिना मनुष्य जीवन भी निरर्थक हो जाता है। यह संसार क्षणभंगुर है, और यदि इसे केवल सांसारिक सुखों में ही बिता दिया जाए, तो यह एक व्यर्थ यात्रा बन जाती है।

“कबीरा, हरि की भक्ति बिन, धिक जीवन संसार।”

परमात्मा कबीर जी कहते हैं कि ईश्वर की भक्ति के बिना यह जीवन निरर्थक है। इसलिए, इस दुर्लभ मानव जन्म का सदुपयोग करते हुए हमें हरि-स्मरण और सत्कर्मों में संलग्न रहना चाहिए।

निष्कर्ष

“दो कौड़ी” एक सरल लेकिन प्रभावशाली मुहावरा है, जो समाज की सोच और भाषा की जीवंतता को दर्शाता है। हालांकि इसका सामान्य अर्थ नकारात्मक होता है, लेकिन यह इस बात की भी याद दिलाता है कि मूल्य सिर्फ आर्थिक नहीं होता, बल्कि व्यक्ति की सोच, कर्म और व्यवहार भी उसे मूल्यवान बनाते हैं। इसलिए, किसी भी चीज़ को “दो कौड़ी” कहने से पहले उसकी वास्तविक कीमत और महत्व को समझना जरूरी है। मनुष्य जीवन की कीमत अनमोल है उसके वास्तविक लक्ष्य और उद्देश्य को समझ कर अपना अनमोल मनुष्य जीवन को सफल बनाएं।

अब विचार आपको करना है कि दुर्लभ मनुष्य जन्म को हीरा बनाए या कौड़ी के भाव में गवां दें। आज संत रामपाल जी महाराज जी का तत्व ज्ञान कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है आप भी उनके तत्व ज्ञान को समझने हेतु Sant Rampal Ji Maharaj app डाउनलोड करें और वेबसाईट www.jagatgururampalji.org पर visit करें।

Share This Article
Email Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
Previous Article Tech for Mental Health Can Digital Solutions Truly Heal the Mind Tech for Mental Health: Can Digital Solutions Truly Heal the Mind?
Next Article A Quick Guide to Tier 1, Tier 2, and Tier 3 Engineering Colleges in India A Quick Guide to Tier 1, Tier 2, and Tier 3 Engineering Colleges in India
Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

You must be logged in to post a comment.

Sant-Rampal-Ji-App-ads

Popular Posts

अमेरिका ने 487 भारतीय प्रवासियों को निकाला, भारत सरकार सतर्क, अवैध प्रवास पर कार्रवाई की सख्त जरूरत

नई दिल्ली: अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे सैकड़ों भारतीय प्रवासियों को वापस भेजने…

By SA News

Abu Dhabi Solar Revolution: 24/7 Clean Energy & Masdar IPO Plans

The vision of a fossil-free world is becoming a reality with Abu Dhabi’s latest solar…

By SA News

Biography of Franklin D. Roosevelt: The Man Who Led America Through Crisis

Biography of Franklin D. Roosevelt:  Franklin Roosevelt, often referred to as FDR, was the 32nd…

By SA News

You Might Also Like

बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास
Hindi News

बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास

By SA News
बांग्लादेश में हिंदुओं पर नही थम रहे हमले, मोहम्मद यूनुस की धर्मगुरुओं से बैठक पर सवाल
Hindi News

बांग्लादेश में हिंदुओं पर नही थम रहे हमले, मोहम्मद यूनुस की धर्मगुरुओं से बैठक पर सवाल

By SA News
sc-ki-vijay-shah-lgai-fatkar-hindi
Hindi News

SC ने MP के मंत्री विजय शाह को लगाई फटकार, कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई टिप्पणी पर जताई सख्त आपत्ति

By SA News
मजदूरी की 3 मुख्य वजहें और उनका स्थायी समाधान
Hindi News

मजदूरी की 3 मुख्य वजहें और उनका स्थायी समाधान

By SA News
SA NEWS LOGO SA NEWS LOGO
600kLike
300kFollow
11.2kPin
151kFollow
523kSubscribe
2.1kFollow

About US


Welcome to SA News, your trusted source for the latest news and updates from India and around the world. Our mission is to provide comprehensive, unbiased, and accurate reporting across various categories including Business, Education, Events, Health, History, Viral, Politics, Science, Sports, Fact Check, and Tech.

Top Categories
  • Politics
  • Health
  • Tech
  • Business
  • World
Useful Links
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Copyright Notice
  • Contact Us
  • Official Website (Jagatguru Sant Rampal Ji Maharaj)

© SA News 2024 | All rights reserved.