आज वर्तमान समय की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में शारीरिक थकान, सुस्ती और ऊर्जा की कमी एक आम समस्या बनती जा रही है। अक्सर लोग इसे काम का दबाव या नींद की कमी समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जबकि इसके पीछे एक बड़ा कारण डिहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) भी हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर में पानी की कमी सीधे तौर पर बॉडी फटीग यानी शारीरिक थकान को बढ़ाती है, जिससे दिनभर काम करने की क्षमता प्रभावित होती है।
क्या है डिहाइड्रेशन और बॉडी फटीग?
डिहाइड्रेशन उस स्थिति में होता है जब शरीर को उसकी ज़रूरत के अनुसार पानी नहीं मिल पाता। हमारा शरीर लगभग 60 प्रतिशत पानी से बना होता है और यही पानी शरीर के तापमान को नियंत्रित करने, पोषक तत्वों को कोशिकाओं तक पहुँचाने और विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।
वहीं बॉडी फटीग वह अवस्था है, जब व्यक्ति शारीरिक या मानसिक रूप से अत्यधिक थकान महसूस करता है, ऊर्जा की कमी रहती है और काम में मन नहीं लगता।
डिहाइड्रेशन और थकान के मुख्य कारण:
विशेषज्ञों के अनुसार, डिहाइड्रेशन और बॉडी फटीग के पीछे कई कारण हो सकते हैं।
- पर्याप्त पानी न पीना: व्यस्त दिनचर्या में लोग प्यास लगने पर भी पानी पीना भूल जाते हैं।
- अधिक पसीना आना: गर्म मौसम, शारीरिक श्रम या व्यायाम के दौरान पसीने के साथ शरीर से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स निकल जाते हैं।
- आजकल व्यस्त दिनचर्या में चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक का ज़्यादा सेवन: ये शरीर में पानी की मात्रा को कम कर सकते हैं।
- नींद की कमी और तनाव: लगातार तनाव और कम नींद शरीर को थका देती है और डिहाइड्रेशन की समस्या को बढ़ा सकती है।
- बीमारी या बुखार: दस्त, उल्टी या बुखार में शरीर से तरल पदार्थ तेज़ी से कम होता है।
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शरीर पर पड़ने वाले लक्षण
डिहाइड्रेशन और बॉडी फटीग के लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं।
- लगातार थकान और सुस्ती
- सिरदर्द और चक्कर आना
- मुंह सूखना और पेशाब का रंग गाढ़ा होना
- मांसपेशियों में दर्द या ऐंठन
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
अगर समय रहते इन संकेतों को नहीं समझा गया, तो समस्या गंभीर भी हो सकती है।
कैसे करें डिहाइड्रेशन से बचाव?
डिहाइड्रेशन और बॉडी फटीग से बचाव के लिए कुछ आसान लेकिन असरदार उपाय अपनाए जा सकते हैं।
- पर्याप्त पानी पिएं: दिनभर थोड़े-थोड़े अंतराल पर पानी पीते रहें, प्यास लगने का इंतज़ार न करें।
- संतुलित आहार लें: फल और सब्ज़ियाँ जैसे तरबूज, खीरा, संतरा और नारियल पानी शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखते हैं।
- कैफीन का सीमित सेवन: चाय और कॉफी की मात्रा को नियंत्रित रखें।
- पर्याप्त नींद लें: रोज़ 7–8 घंटे की नींद शरीर को दोबारा ऊर्जा देती है।
- गर्मी और मेहनत के दौरान अतिरिक्त तरल लें: व्यायाम या धूप में काम करते समय पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन ज़रूरी है।

डिहाइड्रेशन को लेकर विशेषज्ञों की सलाह
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पानी को दवा की तरह नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की ज़रूरत समझकर पीना चाहिए। सही समय पर पानी पीने और संतुलित जीवनशैली अपनाने से न केवल डिहाइड्रेशन बल्कि बॉडी फटीग जैसी समस्याओं से भी बचा जा सकता है।
डिहाइड्रेशन और बॉडी फटीग ऐसी समस्याएँ हैं, जिन्हें थोड़ी सी जागरूकता और सही आदतों से रोका जा सकता है। अगर शरीर के संकेतों को समय पर समझ लिया जाए और पानी व आराम को प्राथमिकता दी जाए, तो ऊर्जा से भरपूर और स्वस्थ जीवन जीना पूरी तरह संभव है।
सर्दियों में भी हो सकता है डिहाइड्रेशन
विशेषज्ञों के अनुसार, शरीर में पानी की कमी केवल गर्मियों की समस्या नहीं है, बल्कि सर्दियों में भी डिहाइड्रेशन हो सकता है, क्योंकि ठंड के मौसम में प्यास कम लगती है और लोग पानी पीना भूल जाते हैं। लंबे समय तक हल्का डिहाइड्रेशन बना रहने से क्रॉनिक बॉडी फटीग की समस्या पैदा हो सकती है, जिसमें व्यक्ति बिना अधिक शारीरिक मेहनत के भी लगातार थकान महसूस करता है।
शोध बताते हैं कि शरीर के वजन का मात्र 1-2 प्रतिशत पानी कम होने पर ही ध्यान केंद्रित करने की क्षमता, याददाश्त और शारीरिक प्रदर्शन पर नकारात्मक असर पड़ने लगता है। इसके अलावा डिहाइड्रेशन के कारण ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो सकता है, जिससे मांसपेशियों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व सही मात्रा में नहीं पहुँच पाते और थकान बढ़ती है।
विशेषज्ञ यह भी सलाह देते हैं कि केवल पानी ही नहीं, बल्कि इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखना भी आवश्यक है। अत्यधिक पसीना आने, दस्त या बुखार की स्थिति में नमक, पोटैशियम और ग्लूकोज़ की कमी हो सकती है, जिससे बॉडी फटीग और कमजोरी और अधिक बढ़ जाती है। इसलिए ऐसी स्थितियों में ओआरएस, नारियल पानी या इलेक्ट्रोलाइट युक्त तरल का सेवन लाभकारी माना जाता है।

