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गिरती जन्म दर से जूझते चीन का बड़ा फैसला, हर बच्चे की परवरिश पर मिलेगी ₹30,000 सालाना सब्सिडी

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Last updated: August 3, 2025 2:07 pm
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गिरती जन्म दर से जूझते चीन का बड़ा फैसला, हर बच्चे की परवरिश पर मिलेगी ₹30,000 सालाना सब्सिडी
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चीन में जन्म दर में लगातार गिरावट एक गहरी चिंता का विषय बन चुकी है। वर्ष 2024 में चीन की जनसंख्या लगातार तीसरे वर्ष घटी, और इसी वर्ष भारत ने जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया।

Contents
  • सरकारी राहत: हर बच्चे पर 3,600 युआन की सालाना सहायता
  • किसे मिलेगा लाभ? जानिए पात्रता और प्रक्रिया
  • स्थानीय सरकारों की भूमिका और अलग-अलग शहरों की पहल
  • विवाह दर और पारिवारिक संरचना में बदलाव
  • भविष्य की दिशा: ‘फर्टिलिटी-फ्रेंडली सोसायटी’ की ओर
  • विश्व गुरु संत रामपाल जी महाराज जी आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझाते हैं 
  • चीन की जनसंख्या में गिरावट आने से जुड़े FAQs

सरकार के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023 में सिर्फ 9.54 मिलियन जन्म दर्ज हुए, जो 2016 में दर्ज 18.8 मिलियन के मुकाबले आधा है। 2016 में चीन ने अपनी “एक बच्चा नीति” को समाप्त कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद जनसंख्या बढ़ने के बजाय गिरने लगी।

संयुक्त राष्ट्र के अनुमान बताते हैं कि यदि यही प्रवृत्ति जारी रही तो 2050 तक चीन की जनसंख्या 1.3 अरब से नीचे जा सकती है और 2100 तक यह 80 करोड़ तक घट सकती है। यह गिरावट चीन के श्रम बल, उत्पादकता, और आर्थिक वृद्धि पर बड़ा असर डाल सकती है।

सरकारी राहत: हर बच्चे पर 3,600 युआन की सालाना सहायता

सरकार ने जन्म दर बढ़ाने के लिए एक नई राष्ट्रव्यापी योजना की घोषणा की है, जिसके तहत तीन साल से कम उम्र के प्रत्येक बच्चे के लिए सालाना 3,600 युआन (लगभग ₹30,000) की नकद सहायता दी जाएगी। यह नीति पहली, दूसरी और तीसरी संतान  सभी पर लागू होगी।

सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ (Xinhua) के अनुसार, यह सहायता 1 जनवरी 2025 से प्रभावी रूप से लागू मानी जाएगी और यह उन बच्चों पर भी लागू होगी जो पहले से जन्म ले चुके हैं लेकिन अभी तीन साल के नहीं हुए हैं।

इस योजना का उद्देश्य है बच्चों की परवरिश की बढ़ती लागत से जूझ रहे युवा दंपतियों को आर्थिक राहत देना, ताकि वे परिवार बढ़ाने को लेकर सहज महसूस करें।

किसे मिलेगा लाभ? जानिए पात्रता और प्रक्रिया

यह योजना देशभर में लागू होगी और परिवार इसे ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यमों से प्राप्त कर सकते हैं। शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, हर प्रांत अपनी स्थानीय परिस्थिति के अनुसार इस सहायता राशि के वितरण की समय-सारणी तय करेगा।

सरकार का अनुमान है कि इस नीति से हर साल 2 करोड़ से अधिक परिवारों को लाभ मिलेगा। इससे पहले भी चीन सरकार ने टैक्स छूट और किफायती डेकेयर सेवाओं जैसी योजनाएं लाई थीं, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर सीधी नकद सहायता पहली बार दी जा रही है।

स्थानीय सरकारों की भूमिका और अलग-अलग शहरों की पहल

राष्ट्रीय योजना से पहले कई स्थानीय प्रशासन अपने स्तर पर इस दिशा में प्रयास कर चुके हैं। उदाहरण के लिए, इनर मंगोलिया की राजधानी होहहोट ने मार्च 2024 में घोषणा की थी कि वे दूसरी संतान पर 50,000 युआन और तीसरी संतान पर 1 लाख युआन की नकद सहायता देंगे।

कुछ शहरों ने बच्चों के लिए नकद राशि के साथ-साथ आवास सब्सिडी भी दी है।

हूबेई प्रांत के टियांमेन शहर ने 2023 में दूसरी संतान पर 90,000 युआन से अधिक की सहायता देना शुरू किया जिसमें नकद भुगतान, बाल देखभाल सहायता और मकान खरीदने में छूट शामिल थी। नतीजा यह रहा कि 2024 में शहर में जन्म दर में 17% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

विवाह दर और पारिवारिक संरचना में बदलाव

चीन में गिरती जन्म दर का एक बड़ा कारण है  विवाह दर में तेजी से गिरावट। 2024 में चीन में विवाह दर पिछले 50 वर्षों में सबसे कम रही, और यह 2023 की तुलना में 20% कम थी।

अगर पिछले एक दशक की बात करें, तो 2013 में जहां 1.34 करोड़ शादियाँ हुई थीं, वहीं 2024 में यह संख्या घटकर सिर्फ 6.11 मिलियन (61 लाख) रह गई।

इसके अलावा, चीनी समाज में विवाह की औसत उम्र भी बढ़ रही है। वर्ष 2010 में पहली शादी की औसत उम्र 24.9 वर्ष थी, जो 2020 तक बढ़कर 28.7 वर्ष हो गई। 

भविष्य की दिशा: ‘फर्टिलिटी-फ्रेंडली सोसायटी’ की ओर

राष्ट्रीय सब्सिडी योजना के साथ-साथ, चीन सरकार ने 2025 की नेशनल पीपल्स कांग्रेस में संकेत दिया कि वह भविष्य में और भी कदम उठाएगी। इनमें प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए विशेष सहायता, मातृत्व अवकाश का विस्तार, और एक “फर्टिलिटी-फ्रेंडली सोसाइटी” बनाने के प्रस्ताव शामिल हैं।

हालांकि, सरकार ने अभी विस्तृत योजना का खाका साझा नहीं किया है, लेकिन कई सांसदों और राजनीतिक सलाहकारों ने ज़ोर दिया है कि चीन को ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे बच्चों की परवरिश एक बोझ नहीं बल्कि उत्साह का कारण बने।

जनसंख्या नीति से आगे बढ़ने की ज़रूरत

चीन की जनसंख्या में गिरावट न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक चिंता का विषय बन चुकी है। सरकार द्वारा दिए जा रहे सब्सिडी, छुट्टियाँ और सामाजिक सहायता कार्यक्रमों से अस्थायी राहत मिल सकती है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालिक सोच, सामाजिक संरचना में संतुलन और वैकल्पिक मूल्यों को अपनाने की आवश्यकता है। बच्चों के पालन-पोषण को आसान और सम्मानजनक बनाना, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना, और मानसिक शांति के विकल्प देना आज के दौर में अहम हैं। नीति और समाज दोनों को मिलकर यह चुनौती सुलझानी होगी।

विश्व गुरु संत रामपाल जी महाराज जी आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझाते हैं 

संत रामपाल जी महाराज जी आज के युग में एकमात्र ऐसे पूर्ण संत हैं जो वेदों, श्रीमद्भगवद्गीता और सभी पवित्र धर्मग्रंथों के प्रमाणों के साथ मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य स्पष्ट करते हैं। वे बताते हैं कि हम  काल भगवान के 21 ब्रह्मांडों में बंधे हुए हैं, जहां हर प्राणी जन्म और मृत्यु के चक्र में फंसा है। इस मायावी संसार से मुक्ति केवल सतगुरु द्वारा दिए गए सत्यज्ञान और नाम-दीक्षा से संभव है। संत रामपाल जी महाराज ही वह तत्वदर्शी संत हैं जिनके पास वह अमोघ साधना है जिससे आत्मा मोक्ष प्राप्त कर सकती है।

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चीन की जनसंख्या में गिरावट आने से जुड़े FAQs

Q1. चीन ने हाल ही में किस उद्देश्य से चाइल्डकैअर सब्सिडी की घोषणा की है?

चीन ने जन्म दर में गिरावट को रोकने और परिवारों को बच्चों के पालन-पोषण के लिए प्रेरित करने हेतु यह सब्सिडी शुरू की है।

Q2. क्या यह सब्सिडी पूरे चीन में लागू की जाएगी?

फिलहाल यह सब्सिडी मुख्य रूप से निम्न-स्तरीय शहरों में लागू की गई है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार की योजना पर विचार चल रहा है।

Q3. इस नीति में और क्या-क्या प्रस्तावित किया गया है?

नीति में मातृत्व अवकाश बढ़ाने, गर्भवती महिलाओं को सहायता देने और ‘फर्टिलिटी-फ्रेंडली सोसाइटी’ बनाने के सुझाव शामिल हैं।

Q4. चीन की जनसंख्या में गिरावट क्यों हो रही है?

बढ़ती जीवन-यापन लागत, बच्चों की परवरिश की कठिनाई, और करियर प्राथमिकताएँ इसके मुख्य कारण माने जा रहे हैं।

Q5. क्या इससे चीन की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ेगा?

हाँ, यदि जनसंख्या दर लगातार घटती रही तो कार्यबल की कमी के चलते उत्पादन, उपभोग और विकास पर असर पड़ सकता है।

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