चिकनपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है जो वैरिसेला-जोस्टर वायरस (VZV) के कारण होती है। इसमें खुजली वाले फफोले जैसे दाने होते हैं, जो सबसे पहले छाती, पीठ और चेहरे पर दिखाई देते हैं और धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाते हैं। समय के साथ, ये फफोले फूटते हैं, रिसने लगते हैं, फिर पपड़ी बनकर सूख जाते हैं और अंततः ठीक हो जाते हैं।
यह बीमारी बच्चों में सामान्य रूप से देखी जाती है, लेकिन किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। आमतौर पर यह 1-2 सप्ताह में ठीक हो जाती है। हालांकि वयस्कों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों के लिए यह गंभीर साबित हो सकती है।
चिकन पॉक्स एवं उसके लक्षण
यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। घर का कोई भी सदस्य यदि चिकन पॉक्स जैसी बीमारी से संक्रमित हो गया है, तो उसके साथ घर के बाकी सदस्यों में भी यह बीमारी आमतौर पर फैल जाती है। सर्वप्रथम बच्चों में यह बीमारी फैलती है। इस बीमारी में रोगी को खुजली, साधारण बुखार एवं जलन जैसी पीड़ा होती है। चिकनपॉक्स को आमधारण भाषा में छोटी माता कहकर बोला जाता है। चिकन पॉक्स के लक्षण बहुत आसानी से पहचाने जा सकते हैं।
आइए जाने चिकन पॉक्स से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण लक्षण:
- हल्का बुखार
- भूख में कमी
- थकान
- सिर दर्द
- खुजली युक्त फफोले
- धब्बेदार त्वचा
चिकनपॉक्स का कारण
यह बीमारी वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलती है, जैसे कि छींक, खांसी, या चकत्तों को छूने से।
चिकन पॉक्स का खतरा किसे हैं
अगर आपको चिकन पॉक्स का टीका अभी तक नहीं लगा है और आपको चिकन पॉक्स नहीं हुआ है, तो चिकन पॉक्स होने का जोखिम खतरा आपको भी है। अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के आसपास या बच्चों के आसपास रहते हैं, तो आपका जोखिम और भी बढ़ सकता है।
क्या चिकन पॉक्स घातक हो सकता है
चिकन पॉक्स जैसी बीमारी में मृत्यु की संभावना अत्यधिक कम होती है। इसलिए यदि किसी व्यक्ति या बच्चों में चिकन पॉक्स जैसे लक्षण दिखाई देते है, तो आमतौर पर यह एक या दो हफ्ते में बिना जटिलता के साथ समाप्त हो जाती है। बीमारी के लक्षणों को देखकर घबराएं नहीं। चिकन पॉक्स में मरने वाले लोग ज्यादातर वयस्क होते हैं।
चिकन पॉक्स रोकथाम
चिकन पॉक्स के रोकथाम के लिए सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है। बच्चों और वयस्कों को समय पर चिकनपॉक्स का टीका लगवाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, स्वच्छता, संक्रमित व्यक्ति से दूरी, और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाना सहायक होता है।
अन्य उपाय:
- नियमित हाथ धोना
- खांसते/छींकते समय मुंह ढंकना
- चेहरे को न छूना
- संक्रमित व्यक्ति से दूरी
- पोषण और योग से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना
चिकनपॉक्स की जटिलताएँ और जोखिम
हालांकि चिकनपॉक्स अधिकांश मामलों में हल्की बीमारी होती है, लेकिन कुछ स्थितियों में यह जटिलताओं का रूप भी ले सकती है। विशेष रूप से वयस्कों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में यह निमोनिया, त्वचा संक्रमण, मस्तिष्क की सूजन (एनसिफेलाइटिस) जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकती है। जिन बच्चों को स्टेरॉयड या कैंसर के लिए कीमोथेरेपी दी जा रही हो, उनके लिए यह रोग अधिक घातक हो सकता है। इसलिए ऐसे समूहों में रोग की रोकथाम के लिए सतर्कता और टीकाकरण अत्यंत आवश्यक है।
चिकनपॉक्स और गर्भावस्था
यदि गर्भवती महिला को गर्भावस्था के पहले 20 हफ्तों में चिकनपॉक्स हो जाए, तो भ्रूण के विकास में बाधा आ सकती है और भ्रूणीय संक्रमण का खतरा रहता है। इसे “कॉनजेनिटल वैरिसेला सिंड्रोम” कहा जाता है, जिससे नवजात में त्वचा विकृति, आंखों की समस्याएं और मानसिक विकास में देरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। गर्भवती महिलाओं को चिकनपॉक्स संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए और टीकाकरण से पहले चिकित्सक से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
घरेलू उपचार और देखभाल के उपाय
चिकनपॉक्स के दौरान रोगी को आराम की आवश्यकता होती है। खुजली को कम करने के लिए ठंडी बेकिंग सोडा युक्त स्नान, कैलामाइन लोशन और नरम कपड़ों का उपयोग किया जा सकता है। पानी और तरल पदार्थों का अधिक सेवन शरीर को हाइड्रेट रखता है और रिकवरी को तेज करता है। बच्चों को नाखून काट कर रखने चाहिए ताकि वे दानों को न खुजलाएं और संक्रमण न बढ़े। रोगी को बाहर जाने से रोकें जब तक सभी फफोले सूख कर पपड़ी न बन जाएं।
आध्यात्मिकया से कोई भी रोग ठीक हो सकता है
रोगी चाहे किसी भी प्रकार की बीमारी से पीड़ित हो, वह सर्वप्रथम अपना उपचार कराने के लिए वैदिक एवं आयुर्वेदिक दोनों विधियों से प्रयास करता है।
संतों की भाषा में हर बीमारी के लिए आध्यात्मिक दृष्टिकोण को सर्वोत्तम माना गया है—चाहे वह चिकनपॉक्स ही क्यों न हो। चिकनपॉक्स को आमतौर पर साधारण भाषा में छोटी माता कहा जाता है।
संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संग में बताते हैं कि जब कोई व्यक्ति मर्यादा में रहकर भक्ति करता है, तो उसे संक्रमित व्यक्ति की बीमारी भी नहीं लगती। भक्ति से हर बीमारी का इलाज आसानी से संभव है।
आयुर्वेदिक और वैदिक उपाय कई बार असफल हो सकते हैं, परंतु आध्यात्मिकता सदैव सर्वोत्तम रहती है। पूर्ण सतगुरु द्वारा दिए गए मंत्रों में इतनी शक्ति होती है कि वे हर बीमारी को जड़ से समाप्त कर रोगी को पूर्ववत निरोग कर सकते हैं।
मानव समाज की आम धारणा यह होनी चाहिए कि वह बीमारी का समाधान आध्यात्मिक दृष्टिकोण से निकाले, ताकि वह शीघ्र स्वस्थ हो सके।
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FAQ About Chicken pox Disease (Hindi)
प्र. 1: चिकनपॉक्स क्या है?
उ. 1: यह एक संक्रामक बीमारी है जो वैरिसेला-जोस्टर वायरस से होती है।
प्र. 2: चिकनपॉक्स के लक्षण क्या हैं?
उ. 2: खुजली वाले दाने, बुखार, सिरदर्द, और भूख में कमी।
प्र. 3: क्या चिकनपॉक्स दोबारा हो सकता है?
उ. 3: दोबारा होने की संभावना बहुत कम है, लेकिन शिंगल्स की संभावना हो सकती है।
प्र. 4: क्या चिकनपॉक्स का टीका उपलब्ध है?
उ. 4: हां, यह बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए उपलब्ध और अनुशंसित है।