भोपाल: मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में आरक्षक रह चुके सौरभ शर्मा को अवैध रूप से अर्जित संपत्ति के मामले में गुरुवार को भोपाल जिला न्यायालय ने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। न्यायालय ने अपराध की गंभीरता और जांच में आरोपी की आवश्यक भूमिका को देखते हुए यह फैसला सुनाया। न्यायाधीश (लोकायुक्त) राम प्रसाद मिश्र ने मामले की सुनवाई की।
मुख्य बिंदु: सौरभ शर्मा अवैध संपत्ति मामला
- कोर्ट ने कहा गंभीरता से करे जांच
- सौरभ के वकील आर.के. पराशर ने कोर्ट में की दलिलें पेश
- जांच के घेरे में सहयोगी अधिकारी भी
- सौरभ और उनकी पत्नी दुबई में, लुकआउट नोटिस हुआ जारी
गंभीर अपराध में जांच की जरूरत
कोर्ट ने कहा कि आरोप की गंभीरता को देखते हुए सौरभ शर्मा से गहन पूछताछ जरूरी है। न्यायालय ने इस आधार पर अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया कि आरोपी की अनुपस्थिति जांच में बाधा बन सकती है।
आरोपों पर बचाव पक्ष के तर्क
सौरभ के वकील आरके पाराशर ने कोर्ट में दलील दी कि जिस कार में 54 किलो सोना और 10 करोड़ रुपये नकद मिलने की बात की जा रही है, उसका सौरभ से कोई लेना-देना नहीं है। साथ ही, उन्होंने यह भी तर्क दिया कि छापेमारी के समय सौरभ कोई लोक सेवक नहीं था।
सहयोगी अधिकारी भी जांच के दायरे में
इस मामले में सौरभ का सहयोग करने वाले परिवहन विभाग के अन्य अधिकारी भी जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। आयकर विभाग को शाहपुरा बी-सेक्टर में 20 हजार वर्गफीट जमीन पर निर्माणाधीन स्कूल में अघोषित आय के उपयोग का संदेह है। इस स्कूल का निर्माण सौरभ के करीबी चेतन गौर और अन्य स्वजनों की देखरेख में हो रहा है।
आयकर विभाग का मानना है कि स्कूल निर्माण में नियमों का उल्लंघन कर अनुमति दी गई है। साथ ही, लोकायुक्त पुलिस ने बरामद डायरी में जिन अधिकारियों के नाम हैं, उनसे भी पूछताछ की जाएगी।
सौरभ और उनकी पत्नी दुबई में, लुकआउट नोटिस जारी
54 किलो सोना और 10 करोड़ रुपये नकद उस कार में मिले थे, जिससे यह मामला उजागर हुआ। आय से अधिक संपत्ति के मामले में सौरभ के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों जांच कर रहे हैं। आयकर विभाग ने भी लोकायुक्त पुलिस से बेनामी संपत्तियों की जानकारी मांगी है। फिलहाल, सौरभ अपनी पत्नी के साथ दुबई में हैं और उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया जा चुका है। जांच एजेंसियां अब आगे की कार्रवाई में जुटी हुई हैं।