21वीं सदी की शुरुआत में जब विकसित राष्ट्र अपनी आर्थिक प्रभुता बनाए रखने की दौड़ में थे, भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में उभर कर सामने आया। आज, दो दशकों बाद, भारत न केवल इस दौड़ में अपनी पकड़ मजबूत कर चुका है, बल्कि कहा जा रहा है कि 2028 तक यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
भारत की वर्तमान स्थिति: वैश्विक मंच पर नई पहचान
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना संभव कर लिया है। भारत की जीडीपी 4.187 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच गई है, जबकि जापान की अनुमानित जीडीपी 4.186 लाख करोड़ डॉलर है। नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी के अनुसार, 2028 तक तीसरे स्थान का लक्ष्य अब अब तक की मेहनत का ठोस परिणाम है।
प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय वृद्धि
वर्ष 2013–14 में भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग 1,438 डॉलर थी, जो 2025 तक लगभग दोगुनी होकर 2,880 डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह दर्शाता है कि आर्थिक विकास सिर्फ सूचकांक तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि आम नागरिकों के जीवन में भी उसका सकारात्मक असर दिख रहा है।
आकर्षक वैश्विक निवेश गंतव्य
अब भारत वैश्विक निवेशकों का प्रमुख आकर्षण बन चुका है। अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, यूएई, सिंगापुर जैसे देशों का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) लगातार बढ़ रहा है। “Ease of Doing Business” रिपोर्ट में सुधार और मजबूत कानूनी ढांचे ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है।
रणनीतिक साझेदारियाँ और मंच
भारत ने अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जापान और ASEAN जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ साझेदारी मजबूत की है। क्वाड, IPEF और G20 जैसे मंचों पर सक्रिय भूमिका ने भारत को एक विश्वसनीय आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित किया है।
नीति आयोग और IMF की भूमिका
नीति आयोग की योजना व रणनीति और IMF के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि भारत ने जापान को पीछे छोड़ दिया है। IMF की रिपोर्ट यह संकेत भी देती है कि यदि भारत ऊर्जा, जलवायु, श्रम सुधार और शिक्षा में और निवेश बढ़ाए, तो विकास और गति पकड़ेगा।
2028 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कैसे बनेगा?
- 6–6.5% की सतत विकास दर
डॉ. अरविंद विरमानी के अनुसार, यदि भारत पच्चीस साल तक 6%–6.5% की वृद्धि बनाए रखता है, तो 2050 तक यह चीन के बराबर आ सकता है। यह युवा जनसंख्या, तकनीकी प्रगति और सुधारात्मक नीतियों का परिणाम होगा। - भारत–अमेरिका BTA
प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) विदेशी निवेश को गति देगा और व्यापारिक पारदर्शिता लाएगा, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा। - सरकारी सुधार और पहल
- जीएसटी का प्रभावी कार्यान्वयन
- डिजिटलीकरण की पहल: डिजिटली इंडिया, मेक इन इंडिया
- बुनियादी ढांचे में अभूतपूर्व निवेश
- FDI और PLI स्कीमों से उद्योगों को बढ़ावा
- जीएसटी का प्रभावी कार्यान्वयन
युवा शक्ति और तकनीकी नवाचार
- आधी से अधिक आबादी 30 वर्ष से कम आयु की है, जिससे उत्पादन, उपभोग और उद्यमशीलता को बल मिलता है।
- डिजिटल क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है—UPI, फिनटेक स्टार्टअप, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर आदि के मामले में भारत वैश्विक स्तर पर सराहना पा रहा है।
- आईटी और सॉफ्टवेयर में TCS, Infosys, Wipro जैसे नाम विश्व बाजारों में प्रतिस्पर्धी बने हुए हैं। सेवा क्षेत्र का योगदान जीडीपी का 55 प्रतिशत से अधिक है।
संभावनाएँ और चुनौतियाँ
संभावनाएँ
- उत्पादन-आधारित अर्थव्यवस्था की क्षमता
- हरित ऊर्जा और सतत विकास में नेतृत्व
- स्टार्टअप एवं नवाचार के लिए वैश्विक मंच
चुनौतियाँ
- गरीबी और आय असमानता
- रोजगार और कौशल विकास
- मुद्रास्फीति और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता
भविष्य की रूपरेखा
2028 से परे, यदि सरकार, उद्योग, नागरिक और वैश्विक साझेदार सामंजस्यपूर्ण रूप से कार्य करें, तो भारत न केवल तीसरी अर्थव्यवस्था बन सकता है, बल्कि स्थायी, समावेशी और टिकाऊ विकास का मॉडल भी पेश कर सकता है। यह आर्थिक स्वर्णयुग समर्थक नीतिगत स्थिरता, मानव संसाधन, नवाचार और वैश्विक साझेदारी की परिणति है।
निष्कर्ष
आज भारत जिस विकास की राह पर है, वह केवल आर्थिक नहीं, बल्कि वैश्विक भूमिका की तैयारी भी है। यदि यह गति और दृष्टि बरकरार रहे, तो 2028 भारत के लिए सिर्फ परिणाम नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था में स्वर्ण युग की शुरूआत होगी—एक टिकाऊ और समृद्ध भविष्य के साथ।
संत रामपाल जी महाराज का सतज्ञान
जैसे भारत की अर्थव्यवस्था विश्व स्तर पर उभर रही है, वैसे ही हमें आत्मिक विकास की ओर भी अग्रसर होना चाहिए। आज मनुष्य भौतिक उपलब्धियों में तो तेज़ी से बढ़ रहा है, लेकिन आंतरिक रूप से अशांति, द्वेष, लोभ और मोह से ग्रसित है।, ठीक वैसे ही हमारी आत्मा भी पाप, अहंकार और अज्ञान के जहर से प्रदूषित हो चुकी है।
संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान और नाम दीक्षा से ही आत्मिक प्रदूषण से मुक्ति पाई जा सकती है। वे वेदों और सभी पवित्र ग्रंथों के आधार पर सिद्ध करते हैं कि केवल पूर्ण संत ही मोक्ष का मार्ग बता सकता है। जिस प्रकार आर्थिक नीति के बिना विकास अधूरा है, उसी प्रकार बिना सतगुरु के आध्यात्मिक उन्नति असंभव है।
आज भारत केवल आर्थिक नहीं, आध्यात्मिक रूप से भी विश्वगुरु बन सकता है — यदि प्रत्येक व्यक्ति सच्चे ज्ञान को अपनाकर आत्मा को शुद्ध करे। अधिक जानकारी के लिए आप Sant Rampal Ji Maharaj के सत्संग YouTube चैनल पर अवश्य जाएं और अपने जीवन को सार्थक बनाएं।