हाल ही हुए शोध में पाया गया है कि भारत में ऑटोइम्यून रोग से ग्रस्त लगभग 70% मरीज़ महिलाएं हैं। भारतीय रूमेटोलॉजी एसोसिएशन के 40वें सम्मेलन में इस तथ्य का खुलासा हुआ है। एम्स, नई दिल्ली के रूमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. उमा कुमार के अनुसार ऑटोइम्यून रोग से ग्रस्त 10 में से 7 महिलाएं होती हैं।
इस लेख में हम ऑटोइम्यून रोग को विस्तार से समझेंगे और इसके बचाव के उपाय जानेंगे।
ऑटोइम्यून रोग क्या है?
प्रतिरक्षा प्रणाली या इम्यून सिस्टम शरीर की सुरक्षा प्रणाली है, जो हमें बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और अन्य हानिकारक तत्वों से बचाती है। यह कोशिकाओं, अंगों, प्रोटीन और रसायनों का एक जटिल नेटवर्क है, जो शरीर को संक्रमण, बीमारियों और कैंसर से रक्षा प्रदान करता है।
लेकिन जब यही प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की अपनी ही स्वस्थ कोशिकाओं या ऊतकों को गलती से शत्रु समझकर उन पर हमला कर देती है, तो इसे ऑटोइम्यून रोग कहा जाता है। इस रोग के कारण शरीर के अंगों या ऊतकों में सूजन और क्षति हो सकती है।
ऑटोइम्यून रोग के सामान्य लक्षण
- थकान और कमजोरी
- जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न
- त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे रैश, खुजली, बाल झड़ना
- हल्का बुखार और मांसपेशियों में दर्द
- अनिद्रा, वजन में कमी, गर्मी सहने में परेशानी, तेज़ धड़कन
- शुष्क मुँह, आँखें या त्वचा
- हाथों-पैरों में झुनझुनी या सुन्नता
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- पेट में दर्द, मल में रक्त या दस्त
- मुँह के छाले बनना और खून के थक्के जमना
- महिलाओं में कई बार लगातार गर्भपात की समस्या
विशेषज्ञों की राय
- स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं में ऑटोइम्यून रोग अधिक होने का प्रमुख कारण Xist RNA नामक एक विशेष अणु है। यह अणु दो X गुणसूत्रों में से एक को नियंत्रित करता है, लेकिन कभी-कभी यह प्रतिरक्षा प्रणाली को भ्रमित कर देता है, जिससे वह स्वस्थ कोशिकाओं पर ही हमला करने लगती है।
- डॉ. उमा कुमार बताती हैं कि महिलाएं अक्सर देर से इलाज के लिए आती हैं क्योंकि वे शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देती हैं।
- डॉ. पुलिन गुप्ता, प्रोफेसर एवं रूमेटोलॉजिस्ट (डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल) के अनुसार, लगभग 70% ऑटोइम्यून रोगी महिलाएं हैं और कई महिलाएं वर्षों तक गलत इलाज झेलती रहती हैं।
क्यों बढ़ रहा है ऑटोइम्यून रोग?
वर्तमान जीवनशैली, असंतुलित खानपान, बढ़ता प्रदूषण, मानसिक तनाव और लगातार संक्रमण के संपर्क में रहना — ये सभी कारक इस रोग के तेजी से बढ़ने के कारण हैं।
इससे कैसे बचें?
ऑटोइम्यून रोग को पूरी तरह रोकना संभव नहीं है क्योंकि इनमें आनुवंशिक और जीन-आधारित तत्व भी होते हैं। फिर भी कुछ कदम उठाकर जोखिम को घटाया जा सकता है:
- संतुलित आहार लें। जैसे – फल, सब्ज़ियाँ, साबुत अनाज, प्रोटीन का उचित सेवन करें
- प्रोसेस्ड फ़ूड, अत्यधिक चीनी, संतृप्त वसा और नमक से बचें
- किसी भी भोजन से असहजता हो तो डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ से सलाह लें
- नियमित व्यायाम करें
- प्रतिदिन 7–9 घंटे की नींद लें
- तंबाकू और शराब से दूरी रखें
- संक्रमण से बचने के लिए टीकाकरण समय पर करवाएँ
ऑटोइम्यून रोग से पूर्ण मुक्ति का आध्यात्मिक मार्ग
इस दुनिया में होने वाली तमाम बीमारियों का रामबाण इलाज ‘सद्भक्ति’ है। कोई भी व्यक्ति बीमारी से अपने पूर्व कर्मों के कारण ग्रसित होता है। इन पाप कर्मों से मुक्ति पाने का एकमात्र तरीका पूर्ण परमात्मा की सद्भक्ति है।
सद्भक्ति करने वाले साधक के घोर पापों को परमात्मा स्वयं नष्ट कर देते हैं और उसे दीर्घायु प्रदान करते हैं।
ऋग्वेद, मंडल 10, सूक्त 163, मंत्र 1 के अनुसार “परमात्मा पापकर्म से उत्पन्न हर कष्ट को दूर कर हमारे शरीर के सभी अंग-प्रत्यंगों की रक्षा कर सकते हैं।”
ऑटोइम्यून रोग से संबंधित FAQS
Q1. ऑटोइम्यून रोग क्या होता है?
उत्तर- जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करती है, तो उसे ऑटोइम्यून रोग कहते हैं।
Q2. किन कारणों से यह रोग होता है?
उत्तर- आनुवंशिकता, हार्मोनल बदलाव, तनाव और पर्यावरणीय कारक इसके मुख्य कारण हैं।
Q3. महिलाओं में यह रोग अधिक क्यों होता है?
उत्तर- महिलाओं के दो X गुणसूत्र और हार्मोनल प्रभाव इसके बढ़ने में योगदान देते हैं।
Q4. इसके सामान्य लक्षण क्या हैं?
उत्तर- थकावट, जोड़ों में दर्द, त्वचा पर रैश, मांसपेशियों में दर्द, और सूजन।
Q5. क्या यह बीमारी ठीक हो सकती है?
उत्तर- इसकी कोई निश्चित दवा नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।