आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली सरकार ने मुस्लिम वक्फ बोर्ड को भंग कर एक बड़ा कदम उठाया है। यह बोर्ड, जिसे पिछली वाईएसआर कांग्रेस सरकार ने 11 सदस्यों के साथ स्थापित किया था, मार्च 2023 से निष्क्रिय पड़ा था। इस निर्णय ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। हालांकि, विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आई है। वक्फ बोर्ड का गठन पूर्ववर्ती जगन मोहन रेड्डी सरकार के कार्यकाल में किया गया था।
हाईकोर्ट में 47 याचिकाएं लंबित
वक्फ बोर्ड के खिलाफ आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में कुल 47 याचिकाएं लंबित थीं। इन याचिकाओं में बोर्ड की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर सवाल उठाए गए थे। राज्य के कानून और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहम्मद फारुख ने वक्फ बोर्ड को भंग किए जाने की पुष्टि की है। सरकार फिलहाल एक नए और सुदृढ़ बोर्ड के पुनर्गठन की योजना पर विचार कर रही है।
वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर अल्पसंख्यक मंत्री का बयान
आंध्र प्रदेश सरकार ने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। सरकार का दावा है कि वह अल्पसंख्यकों के कल्याण और जनकल्याण के लिए निरंतर सकारात्मक कदम उठा रही है। वक्फ बोर्ड के लिए एक नए और प्रभावी ढांचे का निर्माण सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
सरकार ने वक्फ संपत्तियों के संरक्षण और उनके प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए संसद और विधानसभा में एक विधेयक पेश किया है। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के कामकाज को अधिक व्यवस्थित और जवाबदेह बनाना है, ताकि संपत्तियों का संरक्षण और उनका उचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
वक्फ बोर्ड की निष्क्रियता समाप्त करने के लिए प्रशासनिक सुधार
वर्ष 2023 से आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा लगाए गए स्थगन आदेश के कारण वक्फ बोर्ड पूरी तरह निष्क्रिय हो गया था। इस आदेश के चलते बोर्ड के अध्यक्ष पद के चुनाव पर रोक लग गई थी, जिससे बोर्ड की सभी गतिविधियां ठप हो गईं और यह केवल नाममात्र का संगठन बनकर रह गया।
सरकार ने इस निष्क्रियता को समाप्त करने और वक्फ बोर्ड को प्रभावी बनाने के लिए प्रशासनिक सुधार के तहत पुनर्गठन का निर्णय लिया है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य बोर्ड की चल-अचल संपत्तियों की सुरक्षा और प्रबंधन को मजबूत बनाना है।