साल 1917 में महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ पहला सत्याग्रह आंदोलन बिहार के चंपारण से ही शुरू किया था। बिहार भारत के उत्तर-पूर्वी भाग का एक प्रमुख राज्य है जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। इसकी राजधानी पटना है। देश के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय ‘नालंदा’ भी बिहार में ही मौजूद है। इस लेख में बिहार के इतिहास और वर्तमान परिपेक्ष्य पर प्रकाश डालेंगे।
भौगोलिक संरचना
“बिहार” शब्द “विहार” का अपभ्रंश है जिसका मतलब है आवास या मठ। यह राज्य बौद्ध धर्म का प्रमुख केन्द्र हुआ करता था जिस कारण इसका नाम बिहार पड़ा। यह राज्य गंगा के उपजाऊ मैदानों, पठारी क्षेत्रों और तराई क्षेत्र से मिलकर बना है। गंगा नदी बिहार की सबसे प्रमुख नदी है, जो राज्य को उत्तर और दक्षिण भागों में विभाजित करती है। दक्षिणी बिहार में छोटा नागपुर पठार का विस्तार है, जहाँ पथरीली और अनुपजाऊ मिट्टी पाई जाती है।
क्षेत्रफल के दृष्टि से बिहार भारत का 12वां राज्य है और राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है। जनसंख्या की दृष्टि से तीसरा सबसे बड़ा राज्य है।
इतिहास
बिहार प्राचीन भारत का एक दिलचस्प केंद्र रहा है। वैदिक काल में यह आर्यों का प्रमुख केंद्र था। छठी शताब्दी ईसा पूर्व में मगध महाजनपद से मौर्य और गुप्त साम्राज्य का उदय हुआ, जिसमें सम्राट अशोक और गुप्त राजाओं का शासन खास था। नालंदा विश्वविद्यालय इसी समय का एक प्रमुख शिक्षा केंद्र था।
मध्यकाल में शेरशाह सूरी ने बिहार से शासन किया और कई सुधार किए। ब्रिटिश काल में बिहार स्वतंत्रता संग्राम का एक मुख्य केंद्र बना, खासकर चंपारण सत्याग्रह के दौरान। स्वतंत्रता के बाद, राज्य ने धीरे-धीरे विकास किया, लेकिन इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व आज भी बना हुआ है।
बिहार: एक सफरनामा – आर्थिक स्थिति एवं चुनौतियां
बिहार की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ वर्षों में तेजी से विकसित हुई है। राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है, जहाँ धान, गेहूं और मक्का प्रमुख फसलें हैं। हाल के दशकों में सेवा क्षेत्र और निर्माण उद्योग ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हालांकि, औद्योगिक विकास की गति धीमी है और बिहार देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक बना हुआ है।
बिहार की प्रमुख चुनौतियाँ बेरोजगारी, शिक्षा और कौशल विकास की कमी, कमजोर बुनियादी ढाँचा, बाढ़ से होने वाला आर्थिक नुकसान और औद्योगिकीकरण की धीमी गति है। इन कारणों से रोजगार के अवसर सीमित है और प्रवासन बढ़ रहा है। बेहतर बुनियादी ढाँचा और औद्योगिक विकास की आवश्यकता है।
बिहार में एक ऐतिहासिक कदम
बिहार के इस सफरनामा में एक बड़ी चुनौती ‘बाढ़’ है। बिहार में बाढ़ के कारण सैकड़ों परिवार बेघर हो जातें है। ऐसे में उन्हें तत्काल मदद की जरूरत होती है और इस मदद के लिए संत रामपाल जी के अनुयायियों ने बढ़ चढ़ योगदान दी है। अनुयायियों ने कई दिनों तक बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री पहुंचाई है और उनके जीवन बचाईं है। अधिक जानकारी के लिए देखें पूरा विडियो।