डिजिटल इंडिया अभियान की शुरुआत 2015 में हुई, जिसका मकसद भारत को एक ऐसा देश बनाना है जहां हर कोई डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल कर सके और जानकारी आसानी से पा सके। इसके लिए सरकार ने इंटरनेट सुविधा, डिजिटल शिक्षा और ऑनलाइन सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने की शुरुआत की।
आज बैंकिंग, पढ़ाई, इलाज और सरकारी काम सभी स्मार्टफोन या कंप्यूटर से किए जा सकते हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये डिजिटल बदलाव हर किसी तक बराबर पहुंच पाया है
स्मार्टफोन में सरकार: अब सुविधा जेब में
डिजिटल इंडिया के तहत आज कई सरकारी सेवाएं हमारी जेब में मौजूद हैं: डिजिलॉकर में दस्तावेज़ सुरक्षित रखना, आधार आधारित ऑनलाइन वेरिफिकेशन, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और पेमेंट सिस्टम, बिजली, पानी, गैस के बिल का भुगतान, पासपोर्ट, पैन कार्ड, लाइसेंस जैसे डॉक्यूमेंट का आवेदन आदि।
इन सेवाओं ने आम आदमी का समय और मेहनत बचाई है। अब लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की ज़रूरत कम पड़ती है।
कनेक्ट या कट-ऑफ? गांव, गरीब और गैप की कहानी
भारत में डिजिटल डिवाइड (Digital Divide) एक बड़ी चुनौती है।
ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क और इंटरनेट की पहुंच सीमित है।
कई गरीब परिवार स्मार्टफोन या लैपटॉप खरीदने में सक्षम नहीं हैं।
बिजली और इंटरनेट की समस्या के कारण डिजिटल सेवाओं का लाभ सभी को नहीं मिल पाता।
जबकि शहरों में लोग ऑनलाइन सेवाओं का फायदा उठा रहे हैं, वहीं गांवों के कई लोग अभी भी इस दौड़ में पीछे हैं। जब स्क्रीन बनी सरदर्द: बुज़ुर्ग, अशिक्षित और टेक-फोबिक की चुनौतियाँ डिजिटल इंडिया का लाभ हर व्यक्ति तक पहुंचाना आसान नहीं है, क्योंकि – बुज़ुर्ग लोग नई तकनीक को अपनाने में हिचकिचाते हैं।
अशिक्षित लोग ऐप्स और ऑनलाइन फॉर्म समझ नहीं पाते। टेक-फोबिक लोग (जो तकनीक से डरते हैं) डिजिटल बदलाव से दूर रहना चाहते हैं।
इसके लिए डिजिटल ट्रेनिंग, आसान भाषा वाले ऐप्स और स्थानीय भाषाओं में कंटेंट बेहद ज़रूरी है। साइबर स्पेस या जाल? बढ़ते डिजिटल खतरे
तकनीक के साथ खतरे भी बढ़े हैं:
1.फ्रॉड और हैकिंग
2.OTP और बैंक स्कैम
3.डेटा चोरी और प्राइवेसी खतरे
कई लोग ऑनलाइन सुरक्षा के नियमों से अनजान हैं, जिससे वे आसानी से ठगी का शिकार हो जाते हैं। साइबर सुरक्षा के लिए जागरूकता और मजबूत कानून बेहद आवश्यक हैं।
सही मायने में डिजिटल समावेश (Digital Inclusion) तभी होगा जब
डिजिटल साक्षरता को प्राथमिकता मिले सभी ऐप्स और वेबसाइट्स बहुभाषी हों जहाँ नेटवर्क न हो वहां ऑफलाइन विकल्प उपलब्ध हों
साइबर सुरक्षा और प्राइवेसी के लिए सख्त कदम उठाए जाएँ।
डिजिटल इंडिया ने भारत को तेजी से बदल दिया है। आज सुविधा, गति और पारदर्शिता हमारे हाथ में है। लेकिन इस बदलाव का लाभ तभी सबको मिलेगा, जब हर व्यक्ति चाहे वह शहर में हो या गांव में, युवा हो या बुज़ुर्ग तकनीक से जुड़ पाए। डिजिटल इंडिया का असली उद्देश्य तभी पूरा होगा, जब यह अभियान “सबका साथ, सबका विकास और सबका डिजिटल” बन सके।
संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं:
“सच्चा ज्ञान वही है जो हर वर्ग, हर जाति, हर धर्म और हर उम्र के व्यक्ति का कल्याण करे। समाज सुधार का अर्थ है – भेदभाव मिटाकर सभी को बराबरी देना।” समाज सुधारक संत के बारे में जानें विस्तार से अभी प्ले स्टोर से “Sant Rampal Ji Maharaj” APP download करें । अगर डिजिटल इंडिया का लाभ केवल कुछ लोगों तक सीमित है तो हमें चाहिए कि इस पहल को समावेशी, बहुभाषी, और सुरक्षित बनाया जाए, ताकि हर नागरिक, चाहे वो किसी भी हालात में हो, इस तकनीकी क्रांति का हिस्सा बन सके। तभी डिजिटल इंडिया एक सच्चा समाज सुधारक अभियान कहलाएगा और तभी यह “सबका साथ, सबका विकास” को सच में पूरा करेगा।
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