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Home » ब्रेल लिपि में प्रकाशित हुई ‘जीने की राह’ पुस्तक | बैंगलोर में 85 पुस्तकें हुईं वितरित

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ब्रेल लिपि में प्रकाशित हुई ‘जीने की राह’ पुस्तक | बैंगलोर में 85 पुस्तकें हुईं वितरित

SA News
Last updated: August 2, 2025 12:47 pm
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“जीने की राह” संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित एक आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण पुस्तक है। जिसमें जीवन जीने की एक नई दिशा के बारे में बताया गया है। जो आज समाज में तेज़ी से फैल रही हैं और इसका कई भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है। जिसके चलते इस पुस्तक का रूपांतरण ब्रेल लिपि में किया गया। जिसके पश्चात ब्रेल लिपि में इस पुस्तक का प्रचार बैंगलोर शहर में किया गया। जहां कुल 85 पुस्तकें वितरित की गई हैं। इनमें से 67 पुस्तकें कन्नड़ भाषा में तथा 18 पुस्तकें अंग्रेज़ी भाषा में हैं। 

Contents
  • ब्रेल लिपि में रूपांतरित जीने की राह से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु:
  • क्या है ब्रेल लिपि
  • बैंगलोर में हुआ प्रचार
  • ये सभी पुस्तकें तीन नेत्रहीन छात्रों के विद्यालयों में प्रदान की गईं हैं
  • नेत्रहीन लोगों को मिलेगी जीने की नई राह
  • “जीने की राह” पुस्तक कितनी भाषाओं में अनुवादित है?

ब्रेल लिपि में रूपांतरित जीने की राह से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु:

  • ब्रेल लिपि एक रूप से स्पर्शनीय लेखन प्रणाली है।
  • बैंगलोर शहर में ब्रेल लिपि में कुल 85 पुस्तकें वितरित की गई हैं।
  • “जीने की राह” पुस्तक में हैं संसार में जीवन जीने के अनोखे राज़। 
  • “जीने की राह” पुस्तक आज भारत देश की लगभग 16 भाषाओं में अनुवादित है। 

क्या है ब्रेल लिपि

ब्रेल लिपि, आज दृष्टिहीन लोगों के लिए पढ़ने और लिखने का एक ज़रिया है। यह दृष्टिबाधित और आंशिक दृष्टिबाधित लोगों के लिए स्पर्शनीय लेखन प्रणाली है। यह एक भाषा ना होकर कोड होता हैं जिसमें विभिन्न भाषाओं को लिखा और पढ़ा जाता है। ब्रेल लिपि सामान्यतः उभरे हुए बिन्दुओं की प्रणाली है जिसमें उंगलियों से महसूस करके पढ़ा जाता है। 

बैंगलोर में हुआ प्रचार

आज संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित अनेकों पुस्तकें हैं जिनका प्रचार- प्रसार जोरों से हो रहा है। इनमें से सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक है “जीने की राह”। 

brell lipi benglore sant rampal ji

बैंगलोर शहर में संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पुस्तक “जीने की राह” का प्रचार किया गया। जिसमें कुल 85 पुस्तकें वितरित की गईं। जिनमें 67 पुस्तकें कन्नड़ भाषा में और 18 पुस्तकें अंग्रेजी भाषा में वितरित की गईं। 

ये सभी पुस्तकें तीन नेत्रहीन छात्रों के विद्यालयों में प्रदान की गईं हैं

  • The Deepa Academy for the Differently Abled विद्यालय में 15 पुस्तकें अंग्रेज़ी भाषा में और 15 पुस्तकें कन्नड़ भाषा में वितरित की गईं। 
  • Ashwini Angadi Trust (R) – Belaku Academy में 30 कन्नड़
  • IDL Foundation & IDL Blind Band में 22 कन्नड और 3 अंग्रेज़ी भाषा में पुस्तकें वितरित की गईं। 

इन तीनों विद्यालयों के विद्यार्थियों ने “जीने की राह” पुस्तक ब्रेल लिपि में प्राप्त करने की विशेष रूप से मांग की थी। जिसके पश्चात संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा इनको ये पुस्तकें नि:स्वार्थ भाव से वितरित की गई। 

नेत्रहीन लोगों को मिलेगी जीने की नई राह

“जीने की राह” एक ऐसी पुस्तक है जो हमारे जीवन जीने के तरीके को बदल देती है। यह पुस्तक हर घर में रखने योग्य है जिसको पढ़ने और अमल करने से लोक और परलोक दोनों में सुख प्राप्त होता है। इस पुस्तक में आध्यात्मिकता से संबंधित महत्वपूर्ण ज्ञान है। इसमें पूर्ण परमात्मा की सम्पूर्ण जानकारी के साथ समाज में फैली बुराईयों को दूर करने का भी उपाय है। 

Also Read: व्यक्तिगत एवं आर्थिक विकास के लिए मुफ्त पुस्तकें – एक सफलता की राह

इस पुस्तक को पढ़ने से नशा अपने आप छूट जाता है क्योंकि इसमें ऐसे प्रमाण हैं जो आत्मा को छू जाते हैं। जिससे अपने आप इन सब बुराईयों से घृणा हो जाती है। इस पुस्तक में पूर्ण परमात्मा कौन है? उसका नाम क्या है? उसकी भक्ति कैसी है? इसकी जानकारी है। इस पुस्तक को पढ़ने से मानव जीवन सफल होता है साथ ही जीवन की राह उत्तम मिलने से यात्रा आसान लगती है। अर्थात् संसार रूपी जीवन जीने में मदद मिलती है। 

“जीने की राह” पुस्तक कितनी भाषाओं में अनुवादित है?

आज “जीने की राह” पुस्तक का अनेकों भाषाओं में अनुवादित होने से यह हर भाषा के व्यक्तियों के पास पहुंच रही है। जीने की राह पुस्तक आज भारत की लगभग सभी भाषाओं, लगभग 16 भाषाओं में अनुवादित है। जिनमें से हिंदी और अंग्रेजी भाषा में सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तक है। इसके अतिरिक्त और भी भाषाएं हैं जिसमें यह पुस्तक अनुवादित है जो निम्न प्रकार हैं – 

हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़ , मराठी, असमी, बंगाली, फ्रेंच, गुजराती , मलयालम, नेपाली, पंजाबी, ओड़िया, सिंधि, स्पैनिश, तेलुगू , उर्दू भाषा में मुख्य रूप से अनुवादित है।

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