New Tarrif policy: बीते 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति ‘डोनल्ड ट्रंप’ ने कई देशों पर भारी-भरकम टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की घोषणा की थी। ट्रंप के इस फैसले ने दुनियाभर के बाजारों में हड़कंप मचा दिया। शेयर बाजारों में गिरावट, व्यापारियों में चिंता और अर्थशास्त्रियों के बीच बहस छिड़ गई। क्या यह कदम अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर ले जा सकता है? आइए एक्सपर्ट के माध्यम से समझते हैं।
आयात शुल्क में बदलाव से Tech Industry में लौटी रौनक
New Tarrif policy:अमेरिकी राष्ट्रपति ‘ट्रंप’ द्वारा टैरिफ की घोषणा के बाद दुनिया भर के बाजार और अर्थव्यवस्थाएं चिंता में पड गये। लेकिन इसी बीच ‘डोनाल्ड ट्रंप’ ने टेक इंडस्ट्री की चिंताओं को समझते हुए बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स को ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ से छूट देने का ऐलान कर दिया है।
इस फैसले से एप्पल, सैमसंग और अन्य बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों को जबरदस्त राहत मिलेगी। एप्पल ने पहले ही टैरिफ के प्रभाव से बचने के लिए भारत में प्रोडक्शन बढ़ाया था और 15 लाख iPhones को अमेरिका भेजने के लिए स्पेशल कार्गो फ्लाइट्स बुक की थीं।
कौन से प्रोडक्ट्स पर रहेगी रेसिप्रोकल टैरिफ छूट
New Tarrif policy: 2 अप्रैल को ‘ट्रंप प्रशासन’ ने चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 125% कर दिया था, जिससे एप्पल जैसी कंपनियों की चिंताएं बढ़ गई थी, क्योंकि उनका अधिकतर प्रोडक्शन चीन में ही होता है। लेकिन अब नई गाइडेंस के तहत स्मार्टफोन, लैपटॉप, हार्ड ड्राइव, मेमोरी चिप्स और कंप्यूटर प्रोसेसर जैसे प्रोडक्ट्स टैरिफ के दायरे से बाहर रहेंगे।
इसके अलावा, सेमीकंडक्टर, सोलर सेल, टीवी डिस्प्ले, फ्लैश ड्राइव और डेटा स्टोरेज डिवाइस भी इस राहत में शामिल हैं। इससे न सिर्फ अमेरिकी टेक कंपनियों को फायदा होगा, बल्कि ताइवान सेमीकंडक्टर जैसी विदेशी कंपनियों के अमेरिका में निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।
(Trade War 2025) व्यापारिक युद्ध की शुरुआत: ट्रंप और टैरिफ की कहानी
New Tarrif policy: ट्रंप का कहना है कि यह टैरिफ अमेरिका को “ग्रेट अगेन” बनाने और विदेशों से पैसा वसूलने का तरीका है। लेकिन कई अर्थशास्त्री इसे वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा मान रहे हैं। सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि टैरिफ होता क्या है। टैरिफ एक तरह का कर (Tex) होता है जो, सरकारें दूसरे देशों से आने वाले सामान पर लगाती हैं। इसका मकसद या तो अपने देश की कंपनियों को बचाना होता है, या फिर आयात को महंगा करके विदेशी सामान की बिक्री कम करना होता है। ट्रंप ने अपने नए कार्यकाल में कई देशों पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है। ट्रंप ने सभी आयात पर 10% का ‘बेसलाइन टैरिफ’ लगाने की बात कही है। इसके अलावा, कई बड़े व्यापारिक साझेदार देश भारत, चीन, जापान और यूरोपीय संघ आदि पर बेसलाइन से कई गुना ज्यादा टैरिफ लगाया है।
ट्रंप का दावा है कि इससे अमेरिका को 100 अरब डॉलर से ज्यादा का टैक्स मिलेगा। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि टैरिफ से अमेरिकी कंपनियों को फायदा होगा, लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना है कि, इससे महंगाई बढ़ेगी, व्यापार कम होगा और मंदी का खतरा पैदा हो सकता है।
टैरिफ पॉलिसी: इतिहास के छुपे हुए मोड़
New Tarrif policy:ट्रंप के टैरिफ शुल्क का ऐलान होते ही वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई। बीते दिनों ट्रंप ने विदेशी सरकारों को चेतावनी दे डाली उन्होंने कहा कि, उन्हें टैरिफ हटवाने के लिए “बहुत सारा पैसा” देना होगा। इस बयान के बाद अमेरिकी बाजारों में तेज गिरावट देखने को मिली। “निवेशक डर गए कि, यदि व्यापार रुक गया, तो कंपनियों का मुनाफा घटेगा और नौकरियां खतरे में पड़ जाएगी। अगर यह सिलसिला लंबा चला, तो मंदी की स्थिति भी बन सकती है।”
इसी विषय पर बात करते हुए योजना आयोग (अब नीति आयोग) के पूर्व उपाध्यक्ष और मोंटेक सिंह आहलुवालिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड के एक इंटरव्यू में कहा, “ट्रंप के टैरिफ प्रस्तावों के बाद अमेरिका वहीं वापस पहुंच जाएगा जहां वह 1930 के स्मूट-हॉले अधिनियम के बाद था। उस समय दुनिया में व्यापार के मोर्चे पर उथल-पुथल मच गई थी, मंदी गहराने लगी थी और दुनिया द्वितीय विश्व युद्ध की आग में झोंक दी गई। ट्रंप के कदमों के बाद वैश्विक वित्तीय बाजार पहले ही मुश्किल में है, मगर दूसरे देशों के जवाबी कदमों के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी।
Tariff policy: टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
New Tarrif policy:डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 26% टैरिफ लगाने की बात कही है। केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे भारत को अमेरिका में निर्यात पर 3.1 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि, भारत इस संकट को अवसर में बदल सकता है। अगर भारत दूसरे देशों के मुकाबले सस्ता सामान दे सके, तो उसका निर्यात बढ़ सकता है।
अभीक बरुआ कहते हैं, “भारत के पास मौका है कि वह यूरोपीय देशों के साथ अपने व्यापार को बढ़ाए। साथ ही हम कई देशों के साथ FTA की प्रक्रिया में हैं, उसे जल्द से जल्द पूरा करें। इसके अलावा अमेरिका ने जिन देशों पर भारत से अधिक टैरिफ लगाया है, जाहिर तौर पर वहां उन देशों के साथ व्यापार में कमी आएगी। भारत इस जगह को भरने की कोशिश करें। इससे व्यापार के नए अवसर भी खुलेंगे।”
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति ने वैश्विक बाजारों में चिंताएं बढ़ा दी, लेकिन टेक कंपनियों को राहत भी दी। स्मार्टफोन, कंप्यूटर, सेमीकंडक्टर जैसे प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को टैरिफ से छूट मिलने से एप्पल, सैमसंग जैसी कंपनियों को लाभ होगा। हालांकि, बाकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ने से वैश्विक व्यापार में गिरावट और मंदी का खतरा बना है। भारत जैसे देशों को झटका जरूर लगेगा, परंतु यह निर्यात बढ़ाने और नए व्यापारिक साझेदारी के अवसर भी प्रदान कर सकता है। ट्रंप की नीति आर्थिक राष्ट्रवाद को दर्शाती है, पर इसके दीर्घकालिक प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था पर निर्भर करेंगे।