मोहनगढ़ के नहरी क्षेत्र के चक 27 BD में विक्रमसिंह के खेत में ट्यूबवेल की खुदाई के दौरान 850 फीट की गहराई पर अचानक जल का तीव्र प्रवाह शुरू हो गया। जोरदार विस्फोट के साथ पानी का फव्वारा करीब 4-5 फीट की ऊंचाई तक प्रेशर के साथ निकलने लगा। इस घटना से वहां एक बड़ा गड्ढा हो गया, और ट्यूबवेल खोदने की मशीन उसमें समा गई।
इस अनोखी भूगर्भीय घटना के बाद इलाके में भारी चर्चा है, और हजारों लोग इसे देखने पहुंच रहे हैं। पानी का प्रचुर प्रवाह क्षेत्र को पानी-पानी कर रहा है, और मरुस्थल में अचानक बने इस तालाब को लोग किसी करिश्मे से कम नहीं मान रहे। मशीन को गड्ढे से निकालने के लिए जेसीबी और क्रेन की मदद ली जा रही है।
प्रशासन, भूवैज्ञानिक एवं पेट्रोलियम अधिकारी आए मौके पर
इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन सक्रिय हो गया। तहसीलदार मौके पर पहुंचे और घटना की जानकारी जिला कलेक्टर को दी। इसके बाद भूवैज्ञानिकों की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच-पड़ताल शुरू की। साथ ही, भारतीय पेट्रोलियम विभाग के अधिकारी भी घटना स्थल पर पहुंचे और पेट्रोलियम और रसायन संबंधित जांच में जुट गए हैं।
सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा घटना का वीडियो
सोशल मीडिया पर यह घटना जमकर वायरल हो रही है। जो भी इस वीडियो को देख रहे हैं, आश्चर्यचकित हो रहे हैं। राजस्थान का मरुस्थल, सहारा के बाद विश्व में दूसरा सबसे बड़ा रेगिस्तान है, जहां दूर-दूर तक पानी का नामोनिशान नहीं। ऐसे में जैसलमेर में हुए इस अद्भुत कुदरती करिश्मे ने सभी को चकित कर दिया।
किसी करिश्मे से कम नहीं यह घटना
जानकारों का मानना है कि इस क्षेत्र में प्राचीन काल में सरस्वती नदी बहा करती थी, जो समय के साथ विलुप्त हो गई। उनका कहना है कि यह पानी का फव्वारा उसी नदी के अस्तित्व का प्रमाण हो सकता है, जो आज भी मरुस्थल के नीचे प्रवाहित है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र में कभी टेथिस सागर स्थित था, जो धीरे-धीरे विलुप्त होकर रेगिस्तान में बदल गया।
इस घटना ने सभी को हैरत में डाल दिया है। चाहे अतीत में कुछ भी रहा हो, लेकिन 850 फीट की गहराई से इतनी तीव्रता से पानी का फव्वारा निकलना किसी चमत्कार से कम नहीं। इस घटना से आसपास के क्षेत्रों में आश्चर्य और हल्का भय का माहौल बन गया है।
प्रशासन ने लोगों को दूर रहने की नसीहत दी
यहां पर प्रशासन के पहुंचने के बाद लोगों को घटना स्थल से पांच सौ मीटर दूर रहने को कहा गया है। और आशंका जताई जा रही है कि इसमें कुछ जहरीली गैस भी हो सकती है, जो इंसानों व मवेशियों के लिए घातक हो सकती है।
घटना का आखिरकार क्या रहा कारण
ट्यूबवेल खुदाई के पश्चात भूगर्भिक दबाव इतना था कि जमीन के नीचे दबा हुआ पानी इतने वेग से निकला कि जमीन उस दबाव को सहन नहीं कर सकी और पानी पूरे वेग से फव्वारे के रूप में बाहर आ गया और बहुत बड़ा खड्डा बन गया। देखते ही देखते ट्यूबवेल मशीन खड्डे में समा गई। गनीमत यह रही कि मौके पर किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।
कुदरत जो चाहे सो कर सकती है
इंसानों के लिए कुछ भी असंभव हो सकता है। आज भी इस धरती पर कई ऐसे अदृश्य स्थान हैं, जहां न केवल इंसान, बल्कि उनकी छाया तक नहीं पहुंची है और वहां तक पहुंचने की संभावना भी बहुत कम है। लेकिन जहां कुदरत अपना काम करती है, वह इंसानों के वश की बात नहीं है। परमात्मा की बनाई हुई इस सृष्टि में वही होता है, जो परमात्मा चाहते हैं।
परमात्मा कौन है? कहां है? कैसा दिखता है? किसने उसे देखा है? ऐसे अनेक प्रश्नों का उत्तर आज तक इंसान खोज रहा है। लेकिन ये ऐसे गूढ़ प्रश्न हैं जिनका समाधान साधारण मनुष्य नहीं कर सकता।
आज के समय में संत रामपाल जी महाराज इन सभी प्रश्नों का उत्तर देकर इस सृष्टि के रहस्यों को उजागर कर रहे हैं। वे सभी धर्मों के शास्त्रों का गहन अध्ययन करके उनमें छिपे सत्य को प्रकट कर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने सतभक्ति का मार्ग दिखाकर मोक्ष का सरल उपाय समझाया है।