ऐसा माना जाता हैं कि हेल्थ इज वेल्थ देश के लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए बोतल बंद पानी (package water) को उच्च जोखिम (High –Risk–Food) की श्रेणी में शामिल कर दिया गया है। यह निर्णय फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने लिया है। इस नियम के तहत इस तरह का पानी तैयार करने वाली कंपनियों की हर साल जोखिम आधारित चेकिंग की जाएगी ताकि पता चल सके कि उनका तैयार सील बंद पानी स्वास्थ्य के नजरिए से हार्मफुल तो नहीं है।
पूरे विश्व में 17वीं शताब्दी से इस तरह से बॉटल बंद पानी पैकेज का कारोबार चल रहा है। जबकि भारत में पानी की बिक्री ने 1990 के दशक से रफ्तार पकड़ी। देश में बॉटल बंद मार्केट 20,000 करोड़ को पार कर चुका है और यह हर साल 10–12% की दर से बढ़ रहा है।
पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर और मिनरल वाटर से संबंधित मुख्य बिंदु
1 . Food safety and standard authority of India : एफएसएसएआई पेयजल और मिनरल वाटर को हाई रिस्क फूड क्वालिटी वाले लिस्ट में पुनः वर्गीकृत किया गया है। सख्त नियामक नियंत्रण और वार्षिक सुविधा निरीक्षण को अनिवार्य कर दिया है।
2 . यह निर्णय 29 नवंबर 2024 को जारी किया गया था। जिसके तहत निर्माताओं को अनिवार्य रूप से तृतीय पक्ष से खाद्य सुरक्षा ऑडिट कराना होगा तथा उन्नत गुणवत्ता मानकों का अनुपालन करना होगा।
3 . यह वर्गीकरण फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा बिक्री पर प्रतिषेध एवं प्रतिबंध विनियम 2011 में हाल ही में किए गए संशोधन के बाद किया गया।
4 . FSSAI के अनुसार हाई रिस्क फूड की लिस्ट में दूषित, खराब, स्टोरेज और गलत प्रबंधन वाले उत्पाद शामिल हैं।
5. इस कैटेगरी में पैकेज्ड वॉटर के अतिरिक्त कच्चा मांस ,मछली,डेयरी उत्पाद , ताजे़ कटे फल, सब्जियां तैयार खाद्य पदार्थ, सलाद मिठाइयां शामिल है।
6 . अक्टूबर माह में सरकार ने इस उत्पादों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से सर्टिफिकेशन की आवश्यकता को हटा दिया।
7 . अब मार्केट में बेचे जाने वाले पानी की बोतलों पर BIS मार्क होना जरूरी है साथ ही पैकेज्ड पानी की यूनिट को शुरू करने से पहले FSSAI से प्रमाण पत्र लेना भी जरूरी है।
हाई रिस्क फूड क्वालिटीज़ का क्या मतलब है?
एफएसएसएआई के अनुसार उच्च जोखिम खाद्य (High–Risk–Food) इस श्रेणी में दूषित, खराब, स्टोरेज और गलत प्रबंधन वाले उत्पाद होते हैं। इस कैटेगरी में पैकेज्ड वॉटर के अतिरिक्त कच्चा मांस, मछली, डेयरी उत्पाद, ताज़े कटे फल, सब्जियां तैयार खाद्य पदार्थ, सलाद मिठाईयां शामिल हैं। इनसे खाद्य जनित होने वाली बीमारियों का खतरा अधिक होता है।
भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणिकता की आवश्यकता को हटा दिया गया
अक्टूबर, 2024 में सरकार ने इन उत्पादों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की आवश्यकता को हटा दिया। जिसकी वजह से इन उत्पादों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य जोखिम निरीक्षक और तृतीय पक्ष के ऑडिट निगरानी से गुज़रना होगा।
पानी की बोतलों पर BIS मार्क करना ज़रूरी
अब मार्केट में बेची जाने वाली पानी की बोतलों पर BIS मार्क करना अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही पैकेज्ड पानी की यूनिट को शुरू करने से पहले एफएसएसएआई प्रमाण पत्र लेना भी जरूरी कर दिया है। यह प्रमाण पत्र पानी को पीने योग्य सुनिश्चित करता है।
सभी केंद्रीय लाइसेंस प्राप्त निर्माताओं को हर साल ऑडिटिंग करवाना होगा अनिवार्य
यह निर्णय 29 नवंबर 2024 को जारी किया गया। उच्च जोखिम वाले खाद्य श्रेणियों के अंतर्गत सभी केंद्रीय लाइसेंस प्राप्त निर्माताओं को हर साल एफएसएसएआई द्वारा प्राप्त तीसरे पक्ष की खाद्य सुरक्षा ऑडिटिंग एजेंसी द्वारा अपने अपने व्यवसाय का ऑडिट करवाना अनिवार्य है। हाई रिस्क फूड क्वांटिटी की लिस्ट में अब पैकेज ड्रिंकिंग और मिनरल वाटर भी शामिल हैं।
सभी पैकेज्ड ड्रिंकिंग और मिनरल वाटर कंपनियों को करवाना होगा वार्षिक निरीक्षण
गैर अल्कोहल के पेय पदार्थ पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर और मिनरल वाटर जुड़े खाद्य व्यवसाय संचालकों को वार्षिक निरीक्षण करवाना होगा। इस कदम का उद्देश्य पैकेज्ड वॉटर उत्पादन से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम को कम करना है।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) एफएसएसएआई के अनुसार खाद्य पदार्थों में किस प्रकार की मिलावट की जाती है?
एफएसएसएआई ने इंस्टाग्राम में एक पोस्ट करते हुए खाद्य पदार्थों में तीन प्रकार से मिलावट की जाने वाले तत्वों के बारे में बताते हुए कहा कि भौतिक मिलावट तब होती है जब उत्पादन या तैयारी के दौरान कोई भौतिक वस्तु भोजन में प्रवेश करती है। रासायनिक मिलावट तब होती है जब ज़हरीले रसायनों के संपर्क में आता है। जिससे संभावित रासायनिक खाद्य विषाक्त हो जाती है। जैविक या जीवाणु संबंधित मिलावट तब होता है जब भोजन जीवित जीवों या उनके द्वारा उत्पादित पदार्थ से दूषित हो जाते हैं।
मिलावट मनुष्य जीवन के लिए विष का कारण बन रही है
मिलावट जनजीवन के लिए आज विष बन चुका है। घर की सब्जियों से लेकर बाहर की वस्तुओं तक सभी में मिलावट की जाती हैं। जो मानव शरीर को नष्ट करने का कार्य कर रही हैं। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने हमेशा मिलावट और रिश्वतखोरी जैसी बुराईयों को अपने अनुयायियों को न करने की शिक्षा दी है। संत रामपाल जी महाराज जी अपने सत्संग के माध्यम से बताते हैं कि मिलावट करके कमाया हुआ धन कभी काम नहीं आता। वह अपने सत्संग द्वारा जन समुदाय को संदेश देते हुए कहते हैं कि
“ काया तेरी है नहीं तो माया कहा से होय”
जब यह शरीर अपना नहीं है तो इस शरीर के सुख के लिए मिलावट जैसी बुराई करके कमाया धन भी कहां आपका होगा?
इसके अलावा संत रामपाल जी महाराज ईमानदारी के पक्षधर हैं उनका मानना है कि नेक नीति से कमाया हुआ धन ही संतुष्ट करता है।
पैकेज्ड पानी और हाई रिस्क फूड कैटेगरी से जुड़े FAQs
1. हाई रिस्क फूड कैटेगरी में पैकेज्ड पानी को क्यों शामिल किया गया है?
एफएसएसएआई के अनुसार, पैकेज्ड पानी दूषित होने, खराब प्रबंधन, या भंडारण में त्रुटियों के कारण स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। इसे उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और गुणवत्ता मानकों को सख्त करने के लिए हाई रिस्क फूड कैटेगरी में रखा गया है।
2. पैकेज्ड पानी पर BIS मार्क क्यों जरूरी है?
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) का मार्क यह सुनिश्चित करता है कि पानी स्वच्छ और सुरक्षित है। BIS प्रमाणित होने से उत्पाद की गुणवत्ता और मानक का पालन सुनिश्चित होता है।
3. एफएसएसएआई के इस फैसले का उत्पादकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्पादकों को हर साल तृतीय पक्ष द्वारा खाद्य सुरक्षा ऑडिट करवाना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही उन्हें उन्नत गुणवत्ता मानकों का पालन करना होगा और सभी उत्पादन इकाइयों के लिए एफएसएसएआई से प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है।
4. हाई रिस्क फूड में और कौन-कौन से उत्पाद शामिल हैं?
हाई रिस्क फूड कैटेगरी में कच्चा मांस, मछली, डेयरी उत्पाद, मिठाइयां, सलाद, ताजे कटे फल और सब्जियां, तथा तैयार खाद्य पदार्थ भी शामिल हैं।
5. पैकेज्ड पानी की बढ़ती मांग के पीछे क्या कारण हैं?
पैकेज्ड पानी की मांग 1990 के दशक से बढ़ी है। इसकी वजह शहरीकरण, साफ और सुरक्षित पानी की आवश्यकता, और उपभोक्ताओं में स्वास्थ्य जागरूकता है। वर्तमान में इसका बाजार ₹20,000 करोड़ से अधिक का है और यह 10-12% वार्षिक दर से बढ़ रहा है।