वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे (World Suicide Prevention Day in Hindi), जो हर साल 10 सितंबर को मनाया जाता है, हमें याद दिलाता है कि आत्महत्या सिर्फ एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं है, यह समाज की सामूहिक असफलता है। यह दिन उन सभी अनदेखे दर्दों और संघर्षों को सामने लाने का अवसर है जिन्हें हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
इस साल की थीम के साथ, आइए जानें कैसे हम छोटे-छोटे कदम उठाकर किसी की जिंदगी बचा सकते हैं और आत्महत्या के बढ़ते आंकड़ों को रोक सकते हैं।
World Suicide Prevention Day 2024 Theme (विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 2024 थीम)
हर साल की तरह, इस बार भी वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे एक विशेष थीम पर आधारित है। साल 2024 के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने थीम ‘चेंजिंग द नैरेटिव ऑन सुसाइड’ (Changing the Narrative on Suicide) रखी है। इसका उद्देश्य आत्महत्या और उससे जुड़ी धारणा को बदलना है, ताकि इस गंभीर समस्या पर खुलकर बात की जा सके और इसे रोकने के उपाय किए जा सकें। यह थीम 2024 से 2026 तक जारी रहेगी। साल 2023 में इस दिन की थीम ‘क्रिएटिंग होप थ्रू एक्शन’ थी, जो यह संदेश देती है कि उम्मीद और सकारात्मक कदम उठाकर आत्महत्या के मामलों को कम किया जा सकता है।
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का महत्व (World Suicide Prevention Day 2024 Significance)
10 सितंबर, एक ऐसा दिन जब हम आत्महत्या जैसी खामोश महामारी पर ध्यान केंद्रित करते हैं। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस सिर्फ जागरूकता का दिन नहीं, बल्कि उन अनकहे दर्द और टूटती जिंदगियों की पुकार है, जिन्हें सुनना हमारी ज़िम्मेदारी है। आइए, मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझें और जीवन बचाने की दिशा में कदम बढ़ाएं।
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस: एक वैश्विक आंदोलन का इतिहास
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस एक ऐसा वैश्विक अभियान है, जिसका उद्देश्य आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाना और पीड़ितों को सहारा देना है। आज, दुनिया भर में आत्महत्या के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं, और इस समस्या से निपटने के लिए लंबे समय से प्रयास किए जा रहे हैं। इसी दिशा में, साल 2003 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अंतर्राष्ट्रीय संघ ने आत्महत्या के खिलाफ यह विशेष दिन मनाने की शुरुआत की।
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हर साल 10 सितंबर को इस दिन का मकसद होता है लोगों को आत्महत्या के खतरों से जागरूक करना और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करना।
आत्महत्या: एक चुपचाप बढ़ता खतरा, जो हर घंटे ले रहा है अनगिनत जिंदगियाँ
आत्महत्या, एक ऐसी सच्चाई जो हमारे आसपास तेजी से फैल रही है, लेकिन हम इसे देखना, सुनना और समझना अक्सर भूल जाते हैं। हर साल लाखों लोग इस मानसिक और भावनात्मक संघर्ष से गुजरते हुए अपनी ज़िंदगी खत्म कर लेते हैं। क्या हम सच में इतनी दूर आ गए हैं कि लोगों के दर्द को पहचानने की क्षमता खो चुके हैं?
World Suicide Prevention Day 2024: क्या हम नज़रअंदाज़ कर रहे हैं ज़िंदगी का सबसे बड़ा सच?
तनाव एक ऐसा शब्द जो प्रत्येक व्यक्ति की जिंदगी में कभी न कभी जरूर दस्तक देता है । तनाव के प्रभावी होने पर अथवा किसी न किसी विपरीत परिस्थिति के घटित होने पर इंसान आत्महत्या जैसे कदम उठाने की सोचता है । परंतु यहां विचारणीय विषय है कि क्या आत्महत्या करने के बाद मनुष्य के सारे कष्ट समाप्त हो गए ? अगर ऐसा होता तो आज विश्व में तनाव का एक ही समाधान होता ‘आत्महत्या’ ।
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लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है अपितु सच्चाई तो यह है कि हम suicide के बाद की सबसे बड़ी सच्चाई से पूरी तरह अनजान है। आत्महत्या करने के बाद तो जीव और ज्यादा गहरे दुख अर्थात् चौरासी लाख प्रकार के प्राणियों के जीवों के शरीरों को प्राप्त कर कष्ट पर कष्ट भोगता है । तो अब सवाल उठता है कि इससे पूर्ण मुक्ति की सही राह कैसे प्राप्त की जा सकती है ?
पूर्ण परमात्मा ही जीव को तनाव और पीड़ा से पूर्ण मुक्त करते हैं :
अगर बात करें धार्मिक परिप्रेक्ष्य की, तो सर्वप्रथम हमें अपने पवित्र सद्ग्रंथों से समझना होगा कि क्या कोई पूर्ण परमात्मा आज भी विद्यमान है जो हमारे कष्टों को पूर्णतः नष्ट करके शांति प्रदान कर सकता है। ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 96, मंत्र 17 से 20 में स्पष्ट प्रमाण मिलता है कि पूर्ण परमात्मा का नाम ‘कविर्देव’ या ‘कबीर’ है। इसी प्रकार, चारों पवित्र वेद, कुरान शरीफ, गीता और बाइबिल भी कबीर साहेब जी को पूर्ण परमात्मा के रूप में मान्यता देते हैं। सच्चे गुरु से नाम दीक्षा लेकर पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने से भक्त की हर चिंता समाप्त होती है और जीवन की राह सरल हो जाती है।
चिंता तो हरि नाम की , और न चिंता दास ।
जो कोई चिंत नाम बिना , सोई काल की फांस ।।
तत्वदर्शी संत रामपाल जी के अनुसार, आत्महत्या परमात्मा के शाश्वत विधान के विरुद्ध है। उनके अनुसार, जीवन एक अमूल्य उपहार है, जिसे परमात्मा ने हमें दिया है। इसे समाप्त करना न केवल एक गंभीर पाप है, बल्कि यह हमारे जीवन के उद्देश्य और परमात्मा की इच्छाओं का उल्लंघन भी है।
वे यह भी बताते हैं कि सच्ची शांति और जीवन में संतुलन केवल ईश्वर की भक्ति और सत्कर्मों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, जिससे आत्महत्या जैसी विनाशकारी सोच से बचा जा सकता है। आज, पूर्ण संत जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज, जो पवित्र शास्त्रों के अनुसार सच्ची भक्ति की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, विश्वभर में लोगों को मार्गदर्शन दे रहे हैं। इस ज्ञान से लाभ उठाने के लिए Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर जाएं। तो अब वैश्विक स्तर पर सभी को चाहिए कि इस घोर दुख से निजात पाने के लिए पूर्ण संत की शरण ग्रहण कर सतभक्ति करें।