केंद्र सरकार ने मैसेजिंग ऐप्स को लेकर एक बड़ा और अहम फैसला लिया है। सरकार की ओर से जारी नए आदेश के अनुसार अब WhatsApp, Telegram, Signal, Snapchat, ShareChat, JioChat, Arattai और Josh जैसे मैसेजिंग ऐप्स तभी काम करेंगे, जब मोबाइल फोन में उसी नंबर की एक्टिव SIM कार्ड मौजूद होगी, जिससे ऐप पर रजिस्ट्रेशन किया गया है। यदि मोबाइल से SIM निकाल दी जाती है, नंबर बंद हो जाता है या निष्क्रिय हो जाता है, तो संबंधित ऐप अपने-आप काम करना बंद कर देगा।
सरकार का कहना है कि इस फैसले का मुख्य उद्देश्य ऑनलाइन ठगी, फर्जी अकाउंट्स और साइबर अपराधों पर रोक लगाना है। वर्तमान में अधिकांश मैसेजिंग ऐप्स केवल एक बार मोबाइल नंबर का सत्यापन करते हैं और इसके बाद SIM हटने या नंबर बंद होने के बावजूद ऐप चलते रहते हैं। इसी व्यवस्था का दुरुपयोग कर साइबर अपराधी फर्जी अकाउंट बनाते थे और लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे।
फर्जी अकाउंट और साइबर अपराध पर लगेगी लगाम
सरकार के मुताबिक, नए SIM-बाइंडिंग नियम के लागू होने से ऐप और मोबाइल नंबर हमेशा आपस में जुड़े रहेंगे। इससे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की पहचान करना आसान होगा और अपराध में शामिल लोगों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। सरकार का मानना है कि यह कदम डिजिटल सुरक्षा को मज़बूत करने की दिशा में एक ज़रूरी सुधार है।
WhatsApp Web और Desktop यूज़र्स के लिए भी बदले नियम
नया नियम केवल मोबाइल ऐप्स तक सीमित नहीं रहेगा। WhatsApp Web, Telegram Web और अन्य डेस्कटॉप वर्ज़न इस्तेमाल करने वालों पर भी इसका असर पड़ेगा। नए निर्देशों के अनुसार वेब या डेस्कटॉप लॉगिन हर छह घंटे बाद स्वतः समाप्त हो जाएगा और दोबारा लॉगिन के लिए QR कोड स्कैन करना अनिवार्य होगा। यह प्रक्रिया तभी पूरी हो सकेगी, जब मोबाइल फोन में संबंधित नंबर की एक्टिव SIM मौजूद होगी। SIM हटने या बंद होने पर मोबाइल और कंप्यूटर दोनों पर ऐप बंद हो जाएगा।
सिम-बाइंडिंग नियम से जुड़े मुख्य बिंदु:
- नए नियम के तहत WhatsApp, Telegram, Signal, Snapchat, ShareChat, JioChat, Arattai और Josh जैसे ऐप्स सिर्फ उसी फोन में चलेंगे, जिसमें रजिस्टर्ड SIM एक्टिव होगी।
- SIM हटते ही मोबाइल और डेस्कटॉप दोनों पर ऐप काम करना बंद कर देगा।
- वेब और डेस्कटॉप लॉगिन अब हर छह घंटे में समाप्त होगा।
- इसके अलावा Signal, iMessage, Truecaller, Facebook, Instagram, Google और Apple ID की नंबर-आधारित सेवाएं और सभी UPI ऐप्स भी इस नियम के दायरे में आएंगे।
सिम-बाइंडिंग नियम क्या है
सिम-बाइंडिंग नियम का मतलब है कि कोई भी ऐप, सेवा या डिजिटल प्लेटफॉर्म तभी काम करेगा, जब उसमें इस्तेमाल होने वाला मोबाइल नंबर उसी फोन में मौजूद और सक्रिय SIM कार्ड से सत्यापित होगा। यानी ऐप और SIM को आपस में स्थायी रूप से जोड़ दिया जाएगा।
नियम लागू होने की समयसीमा और कार्रवाई
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू माना जाएगा। हालांकि, सभी ओटीटी मैसेजिंग और कॉलिंग प्लेटफॉर्म को इसे पूरी तरह लागू करने के लिए 90 दिनों का समय दिया गया है। कंपनियों को 120 दिनों के भीतर इस नियम के पालन से संबंधित रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी। नियमों का उल्लंघन करने पर संबंधित कंपनियों के खिलाफ टेलीकॉम एक्ट 2023, टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी नियमों और अन्य लागू कानूनों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सरकार का कहना है कि यह फैसला डिजिटल प्लेटफॉर्म पर यूज़र्स की सुरक्षा बढ़ाने और साइबर अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जरूरी है।
FAQs: सिम-बाइंडिंग नियम (5 सवाल–जवाब)
Q1. सिम-बाइंडिंग नियम क्या है?
सिम-बाइंडिंग नियम के तहत कोई भी ऐप तभी चलेगा, जब उसमें इस्तेमाल किया गया मोबाइल नंबर उसी फोन में मौजूद और एक्टिव SIM से जुड़ा होगा।
Q2. नए नियम के बाद WhatsApp, Telegram जैसे ऐप कब चलेंगे?
ये ऐप तभी काम करेंगे, जब फोन में वही एक्टिव SIM लगी होगी, जिससे ऐप पर रजिस्ट्रेशन किया गया है।
Q3. SIM निकालने या नंबर बंद होने पर क्या होगा?
SIM हटते ही या नंबर बंद होने पर मोबाइल और कंप्यूटर दोनों पर ऐप तुरंत बंद हो जाएगा।
Q4. WhatsApp Web और Desktop लॉगिन में क्या बदलाव होगा?
अब हर छह घंटे में ऑटो-लॉगआउट होगा और दोबारा लॉगिन के लिए QR कोड स्कैन करना होगा। फोन में एक्टिव SIM होना जरूरी होगा।
Q5. नियम न मानने पर कंपनियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी?
कंपनियों को 120 दिनों में पालन की रिपोर्ट देनी होगी। नियम न मानने पर टेलीकॉम एक्ट 2023 और साइबर सिक्योरिटी कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी।

