भारत में बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ा एक गंभीर संकट तेज़ी से उभर रहा है, लेकिन यह संकट अब भी बड़े स्तर पर अनदेखा है। Apollo Hospitals, हैदराबाद के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार के अनुसार, बच्चों में बढ़ता मोटापा अब एक “साइलेंट महामारी” का रूप ले चुका है, खासकर शहरी क्षेत्रों में। बदलती जीवनशैली, फास्ट फूड की बढ़ती आदत, स्क्रीन पर बढ़ता समय और शारीरिक गतिविधि की कमी इसके मुख्य कारण हैं। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि कई परिवार इसे सामान्य मानकर इसकी गंभीरता को समझ ही नहीं पा रहे हैं, जबकि इसके दूरगामी स्वास्थ्य परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं।
- बच्चों में मोटापा: भारत में उभरती साइलेंट महामारी से जुड़े मुख्य तथ्य
- क्यों तेजी से बढ़ रहा है बच्चों में मोटापा
- परिवार क्यों नहीं पहचान पाते खतरे के संकेत
- बचपन का मोटापा और उससे जुड़ी गंभीर बीमारियां
- परिवार तुरंत क्या कदम उठा सकते हैं
- सिर्फ ‘बेबी फैट’ नहीं, एक गंभीर मेडिकल चेतावनी
- समय रहते कदम उठाना ही बच्चों के स्वस्थ भविष्य की कुंजी
- भक्ति से बदलती बच्चों की जीवनशैली
- FAQs on भारत में बच्चों में बढ़ता मोटापा (Childhood Obesity in India)

बच्चों में मोटापा: भारत में उभरती साइलेंट महामारी से जुड़े मुख्य तथ्य
- भारत के शहरी इलाकों में बच्चों में मोटापे के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं
- Apollo Hospitals के विशेषज्ञ के अनुसार यह समस्या अक्सर परिवारों की नज़र से छिपी रह जाती है
- फास्ट फूड, जंक फूड और मीठे पेय पदार्थ मोटापे को बढ़ावा दे रहे हैं
- मोबाइल, टीवी और अन्य स्क्रीन पर अधिक समय बिताना शारीरिक गतिविधि को कम कर रहा है
- नींद की अनियमितता और पढ़ाई का मानसिक दबाव भी बड़ा कारण बन रहा है
- समय पर पहचान न होने पर मोटापा टाइप-2 डायबिटीज़ और हृदय रोग का कारण बन सकता है
क्यों तेजी से बढ़ रहा है बच्चों में मोटापा
Apollo Hospitals, हैदराबाद के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार के अनुसार, बीते कुछ वर्षों में बच्चों की जीवनशैली में बड़ा बदलाव आया है। पहले जहां बच्चे खेलकूद और बाहरी गतिविधियों में अधिक समय बिताते थे, वहीं अब उनका अधिकांश समय स्क्रीन के सामने गुज़र रहा है।
प्रमुख कारण:
- फास्ट फूड, मीठे पेय और प्रोसेस्ड स्नैक्स का रोज़मर्रा की डाइट में शामिल होना
- मोबाइल फोन, टैबलेट और टीवी के कारण आउटडोर एक्टिविटी में गिरावट
- देर रात तक जागना और अनियमित नींद का पैटर्न
- पढ़ाई और प्रदर्शन को लेकर बढ़ता मानसिक दबाव
- जंक फूड की आसान उपलब्धता और पोर्शन कंट्रोल की कमी
ये सभी कारण मिलकर बच्चों की मेटाबॉलिक सेहत को धीरे-धीरे प्रभावित करते हैं।
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परिवार क्यों नहीं पहचान पाते खतरे के संकेत
डॉ. सुधीर कुमार बताते हैं कि इस समस्या से निपटने में सबसे बड़ी बाधा माता-पिता की सोच है। आज भी कई परिवार बच्चों के “थोड़े मोटे होने” को अच्छे स्वास्थ्य का संकेत मानते हैं। उन्हें लगता है कि यह उम्र के साथ अपने आप ठीक हो जाएगा।
लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, यह सोच गलत है। अतिरिक्त वज़न के पीछे कई बार अंदरूनी मेटाबॉलिक गड़बड़ियां छिपी होती हैं, जो वर्षों बाद गंभीर बीमारी का रूप ले लेती हैं। समय पर पहचान न होने से इलाज भी देर से शुरू होता है।
बचपन का मोटापा और उससे जुड़ी गंभीर बीमारियां
अगर बच्चों में मोटापे पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो इसके परिणाम केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक स्तर पर भी सामने आते हैं।
संभावित स्वास्थ्य समस्याएं:
- कम उम्र में ही टाइप-2 डायबिटीज़
- उच्च रक्तचाप
- लिवर में फैट जमा होना
- हार्मोनल असंतुलन, खासकर किशोरियों में PCOS
- भविष्य में हृदय रोग का खतरा
- आत्मविश्वास में कमी और मानसिक तनाव
ये समस्याएं आगे चलकर बच्चे की पूरी ज़िंदगी की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं।
परिवार तुरंत क्या कदम उठा सकते हैं
विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों में मोटापा रोका जा सकता है, बशर्ते समय रहते सही आदतें अपनाई जाएं।
- पैकेज्ड और बाहर के खाने की बजाय घर का बना भोजन प्राथमिकता दें
- स्क्रीन टाइम सीमित करें और रोज कम से कम एक घंटे की शारीरिक गतिविधि सुनिश्चित करें
- भोजन को इनाम या सजा से न जोड़ें
- बच्चों की नींद का एक नियमित समय तय करें
- धीरे-धीरे और संतुलित मात्रा में खाने की आदत डालें
- हर साल बच्चे की लंबाई, वज़न, BMI और अन्य ज़रूरी जांच कराएं
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सिर्फ ‘बेबी फैट’ नहीं, एक गंभीर मेडिकल चेतावनी
विशेषज्ञ साफ तौर पर कहते हैं कि बचपन का मोटापा कोई अस्थायी या मामूली समस्या नहीं है। इसे नजरअंदाज करना भविष्य की गंभीर बीमारियों को न्योता देने जैसा है।
समय पर जागरूकता, परिवार की सक्रिय भूमिका और जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव बच्चों के भविष्य को पूरी तरह बदल सकते हैं।
समय रहते कदम उठाना ही बच्चों के स्वस्थ भविष्य की कुंजी
बच्चों में बढ़ता मोटापा आज भारत के लिए एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। Apollo Hospitals के डॉक्टर की चेतावनी इस ओर इशारा करती है कि समस्या जितनी शांत दिखती है, उतनी ही खतरनाक है। यदि परिवार, समाज और स्वास्थ्य तंत्र मिलकर समय रहते इस पर ध्यान दें, तो आने वाली पीढ़ी को गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है। स्वस्थ आदतें, संतुलित जीवनशैली और सही समय पर पहचान ही बच्चों को एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य दे सकती है।
भक्ति से बदलती बच्चों की जीवनशैली
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद व्यक्ति के जीवन में अनेक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं। भक्ति का प्रभाव केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि व्यावहारिक जीवन पर भी पड़ता है। जब बच्चे बचपन से ही (3 वर्ष की आयु में ही नाम दीक्षा दिलवाएं) परमात्मा की शरण में होते हैं, तो उसके भीतर वासना, क्रोध और अनियंत्रित इच्छाओं पर स्वतः नियंत्रण आने लगता है।
भक्ति के प्रभाव से व्यक्ति अनावश्यक और हानिकारक खाने-पीने की आदतों से दूर हो जाता है। इसी प्रकार, पूर्ण संत की शरण में आने वाले बच्चे भी केवल समय व्यर्थ नहीं करते, बल्कि सेवा, भक्ति और अनुशासन को अपने जीवन का हिस्सा बनाते हैं। वे मोबाइल फोन पर निरर्थक सामग्री देखने से बचते हैं, फालतू गेम्स, फिल्में और टीवी से दूरी बनाते हैं।
ऐसे बच्चों की जीवनशैली में स्पष्ट बदलाव देखा जाता है। वे अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, घर और समाज में सेवा भाव से जुड़ते हैं और मन से शांत रहते हैं। यह शांति और संतुलन अपने आप एक सकारात्मक और स्वस्थ समाज का निर्माण करता है, जहाँ बच्चे केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि ज़िम्मेदार नागरिक बनते हैं।
अधिक जानकारी के लिए:
- Website:www.jagatgururampalji.org
- YouTube: Sant Rampal Ji Maharaj
- Facebook: Spiritual Leader Saint Rampal Ji
- X (Twitter): @SaintRampalJiM
FAQs on भारत में बच्चों में बढ़ता मोटापा (Childhood Obesity in India)
Q1. भारत में बच्चों में मोटापा क्यों बढ़ रहा है?
फास्ट फूड, स्क्रीन टाइम, शारीरिक गतिविधि की कमी, अनियमित नींद और मानसिक दबाव बच्चों में मोटापे के मुख्य कारण हैं।
Q2. बच्चों में मोटापा क्यों “साइलेंट महामारी” कहा जा रहा है?
क्योंकि यह धीरे-धीरे बढ़ता है, परिवार अक्सर पहचान नहीं पाते और गंभीर बीमारियां बाद में सामने आती हैं।
Q3. बचपन का मोटापा किन बीमारियों का खतरा बढ़ाता है?
टाइप-2 डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, फैटी लिवर, हार्ट प्रॉब्लम्स और मानसिक तनाव का खतरा बढ़ जाता है।
Q4. माता-पिता बच्चों में मोटापे को क्यों नजरअंदाज कर देते हैं?
कई परिवार अतिरिक्त वज़न को अच्छे स्वास्थ्य या अस्थायी “बेबी फैट” मान लेते हैं, जिससे समय पर पहचान नहीं हो पाती।
Q5. बच्चों में मोटापा रोकने के लिए तुरंत क्या करना चाहिए?
घर का खाना, सीमित स्क्रीन टाइम, रोज़ शारीरिक गतिविधि, नियमित नींद और सालाना BMI व स्वास्थ्य जांच ज़रूरी है।
