भारत में “Divorce” शब्द कभी लोगों के लिए डर, शर्म और सामाजिक आलोचना से जुड़ा हुआ था। लेकिन वक्त बदल रहा है, और वक्त के साथ बदल रहे हैं रिश्तों को देखने के तरीके। आज शादी को लोग सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि साझेदारी (partnership) मानते हैं, जिसमें समानता, सम्मान और मानसिक संतुलन ज़रूरी है। इसी कारण भारत में Divorce Culture पहले की तुलना में तेजी से बढ़ा है। आर्थिक स्वतंत्रता, शहरी जीवन, शिक्षा में वृद्धि, सोशल मीडिया का प्रभाव, व्यक्तिगत अपेक्षाओं में उछाल, कानून की सरलता और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती संवेदनशीलता, ये सभी बड़े कारण हैं जिनसे अब लोग “रिश्तों को निभाने” की जगह “बेहतर जीवन चुनने” का निर्णय ले रहे हैं। इस ब्लॉग में हम ताज़ा डेटा, verified स्रोतों और सामाजिक बदलावों के आधार पर जानेंगे कि आखिर भारत Divorce के बढ़ते दौर से क्यों गुजर रहा है।
- बदलती सामाजिक सोच और ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता’ का उभार
- महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और शिक्षा: सकारात्मक बदलाव लेकिन सबसे बड़ा कारक
- शहरीकरण और न्यूक्लियर फैमिली का बढ़ना
- कानूनी प्रक्रियाओं का आसान होना
- मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक असंतुलन
- सोशल मीडिया और आधुनिक जीवनशैली का प्रभाव
- Toxic Relationships और Domestic Violence के खिलाफ जागरूकता
- समाज पर तलाक के गहराते संकट के बीच संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाएँ क्या कहती हैं ?
- भारत में Divorce Culture पर FAQs
बदलती सामाजिक सोच और ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता’ का उभार
भारत में पिछले 20 वर्षों में सामाजिक सोच में बड़ा बदलाव आया है। पहले शादी को “जनम-जनम का बंधन” माना जाता था – चाहे रिश्ता कैसा भी हो।
अब लोग पूछते हैं:
- क्या इस रिश्ते में सम्मान है?
- क्या मैं मानसिक रूप से सुरक्षित हूँ?
- क्या यह रिश्ता मुझे बढ़ने/तरक्की करने दे रहा है?
2024–2025 के सामाजिक अध्ययनों में पाया गया है कि भारतीय युवा अब रिश्तों में “खुश रहने के अधिकार” को केंद्र में रखते हैं। यही बदलती सोच Divorce Culture को बढ़ावा दे रही है। शहरों में तलाक के मामले पिछले दशक में 30-40% बढ़े हैं, जो सामाजिक मानदंडों के बदलाव को दर्शाता है।
महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और शिक्षा: सकारात्मक बदलाव लेकिन सबसे बड़ा कारक
भारत में महिलाओं की शिक्षा और नौकरी के अवसर तेजी से बढ़े हैं।
Periodic Labour Force Survey (PLFS) के अनुसार:
- 2017-18 में महिलाओं की Labour Force Participation Rate (LFPR): 23.3%
- 2023-24 में यह बढ़कर: 41.7%
जब महिलाएँ आर्थिक रूप से सक्षम होती हैं, तो वे अत्याचार, मानसिक तनाव या असम्मान सहकर रिश्ता नहीं निभातीं। वे खुलकर अपने अधिकारों की बात करती हैं, और गलत रिश्तों से बाहर आने का निर्णय ले पाती हैं। यह एक सकारात्मक सामाजिक बदलाव है, जो तलाक दरों में वृद्धि का प्रमुख कारण है।
शहरीकरण और न्यूक्लियर फैमिली का बढ़ना
शहरों में लगभग 65-70% कपल न्यूक्लियर फैमिली में रहते हैं। NFHS-5 डेटा के मुताबिक, 2021 तक urban households में nuclear families 65% हो चुकी हैं।
नतीजा-
- कम पारिवारिक सपोर्ट
- अधिक भावनात्मक दबाव
- झगड़े बढ़ने पर बीच-बचाव करने वाला कोई नहीं
इससे रिश्तों में तनाव बढ़ता है और Divorce की संभावना भी। शहरी तनाव और काम का दबाव इस ट्रेंड को और तेज करता है।
कानूनी प्रक्रियाओं का आसान होना
पहले तलाक की प्रक्रियाएँ लंबी और मानसिक रूप से थका देने वाली थीं। अब Mutual Consent Divorce की प्रक्रिया 6-18 महीने में पूरी हो जाती है, जिसमें 6 महीने का mandatory cooling-off period शामिल है।
- ऑनलाइन केस फाइलिंग
- फैमिली कोर्ट की बढ़ती पहुँच
- महिलाओं के संरक्षण कानूनों में सुधार (जैसे Domestic Violence Act)
इन कानूनी सुविधाओं ने भी Divorce Culture को बढ़ावा दिया है क्योंकि लोग “फँसे रहना” अब चुनते नहीं।
मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक असंतुलन
भारत में 2024-2025 के सर्वे बताते हैं कि शहरी जोड़ों में communication gap और emotional disconnect आम समस्या है। अध्ययनों के अनुसार, लगभग 50-60% urban couples में संवाद की कमी और chronic stress देखा जाता है। जब मानसिक स्वास्थ्य गिरता है, रिश्ते भी कमजोर हो जाते हैं। लोग अब मानसिक शांति को ज़्यादा महत्व देते हैं-यह भी तलाक का बड़ा कारण है। Royal Society for Public Health जैसे ग्लोबल स्टडीज में सोशल मीडिया और urban life से जुड़े anxiety को हाइलाइट किया गया है, जो India में लागू होता है।
सोशल मीडिया और आधुनिक जीवनशैली का प्रभाव
सोशल मीडिया ने अपेक्षाओं को अवास्तविक बना दिया है:
- परफेक्ट कपल गोल्स: सोशल मीडिया पर संपादित (edited) और केवल खुशी के पल दिखाए जाते हैं, जिससे वास्तविक जीवन के रिश्तों के लिए एक अवास्तविक आदर्श (unrealistic ideal) बनता है।
- निरंतर तुलना: युवा जोड़े अपने सामान्य रिश्तों की तुलना दूसरों के कथित “उत्तम” ऑनलाइन जीवन से करते हैं, जिससे असंतोष और निराशा उत्पन्न होती है।
- गोपनीयता के मुद्दे: रिश्ते की निजी बातें ऑनलाइन उजागर होने से विश्वास की कमी होती है, और पार्टनर की गतिविधियों पर लगातार नज़र रखी जाती है, जिससे रिश्ते में घुटन पैदा होती है।
- ईर्ष्या और अविश्वास: मामूली ऑनलाइन इंटरेक्शन (जैसे लाइक या कमेंट) भी असुरक्षा (insecurity) और शक को जन्म देते हैं, जिससे रिश्ते की नींव कमजोर होती है और भावनात्मक दूरी बढ़ती है।
अध्ययन बताते हैं कि अत्यधिक सोशल मीडिया उपयोग से 30-40% रिश्ते कमजोर होते हैं, खासकर India के urban youth में यह unrealistic expectations पैदा करता है, जो तलाक को ट्रिगर करता है।
Toxic Relationships और Domestic Violence के खिलाफ जागरूकता
भारत में महिलाएँ और पुरुष दोनों अब अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। कानूनों और जागरूकता ने toxic और abusive marriages में रहने की मजबूरी कम कर दी है। इससे कई रिश्ते जिनमें हिंसा, नियंत्रण, या मानसिक शोषण था-तलाक तक पहुँच रहे हैं। आज भारत में Divorce को stigma नहीं समझा जाता। लोग कहते हैं: “गलत रिश्ते में रहने से अच्छा है कि अच्छे जीवन के लिए अलग हो जाओ।” यह सोच बहुत तेज़ी से बढ़ी है, खासकर युवाओं में। पिछले 20 वर्षों में तलाक के मामले दोगुने से तिगुने हो चुके हैं, जो stigma के कम होने को दिखाता है।
समाज पर तलाक के गहराते संकट के बीच संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाएँ क्या कहती हैं ?
आज आधुनिक समाज व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर ध्यान केंद्रित करता है, जबकि संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाएं शांति और संतुष्टि (संतोष) पैदा करके रिश्ते टूटने को रोकने के लिए एक गहरा समाधान प्रदान करती हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान, ‘जीने की राह’ पुस्तक में वर्णित है, जिसमें व्यक्तियों को आध्यात्मिक परिपक्वता, आत्म-नियंत्रण और वास्तविक करुणा की ओर मार्गदर्शन है।
इस पवित्र पुस्तक में उल्लिखित सिद्धांतों को अपनाने के बाद हजारों परेशान परिवार फिर से एकजुट हो गए हैं, यह महसूस करते हुए कि छोटे अहंकार के टकराव और समझ की कमी अक्सर बड़े संघर्षों का मूल कारण होते हैं। उनकी शिक्षाएँ इस बात पर ज़ोर देती हैं कि जीवन के वास्तविक उद्देश्य से जुड़कर सतभक्ति करके, जोड़े अपने मतभेदों को सुलझा सकते हैं, आपसी सम्मान पा सकते हैं और एक विषाक्त रिश्ते को एक स्थिर और सुंदर साझेदारी में बदल सकते हैं। इस प्रकार, उनका मार्गदर्शन न केवल संकट को समाप्त करने के लिए एक विकल्प के रूप में बल्कि अक्सर पारिवारिक सुलह के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करता है।
संत रामपाल जी महराज के दहेज मुक्त विवाह जैसे समाज सुधार के अभियान निरंतर चलते रहते हैं और सारे समाज के लिए आकर्षण का केंद्र बनते हैं । उनकी पवित्र पुस्तक जीने की राह को फ्री में मँगवाने के लिए अपना पूरा पता +91-7496801825 पर भेजे ।
भारत में Divorce Culture पर FAQs
1.क्या भारत में Divorce Culture वाकई बढ़ रहा है?
हाँ, पिछले 10 वर्षों में तलाक मामलों में लगभग 2-3 गुना वृद्धि दर्ज की गई है, खासकर शहरों में
2.क्या सिर्फ महिलाएँ ही तलाक ले रही हैं?
नहीं, पुरुष भी अब मानसिक शांति और सम्मान के लिए तलाक का फैसला लेते हैं।
3.क्या तलाक बढ़ने से परिवार कमजोर हो रहे हैं?
जरूरी नहीं। गलत रिश्ते परिवार को ज़्यादा नुकसान पहुँचाते हैं। स्वस्थ रिश्ते ही मजबूत समाज बनाते हैं।
4.क्या Divorce का कारण सिर्फ आधुनिक सोच है?
नहीं, कई कारण हैं-economic freedom, toxic relationships, mental health, legal support।
5.कैसे पता चले कि रिश्ते को बचाना चाहिए या छोड़ देना चाहिए?
जब सम्मान, संवाद और सुरक्षा खत्म हो जाए, तो विशेषज्ञों और परिवार की मदद से निर्णय लेना चाहिए।

