गुरुवार रात 7 बजे शुरू हुई इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट की बैठक शुक्रवार तड़के 4 बजे तक चली, जिसमें गाजा सिटी पर सैन्य नियंत्रण की योजना को मंजूरी दी गई। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट किया कि इजरायल का उद्देश्य गाजा पर स्थायी कब्जा नहीं, बल्कि हमास का सफाया और एक अस्थायी प्रशासन की स्थापना है।
नेतन्याहू ने कहा, “हम गाजा को हमास या फिलिस्तीनी अथॉरिटी को नहीं सौंपेंगे। वहां हमारी सुरक्षा परिधि होगी।” इस योजना के तहत IDF (इजरायल डिफेंस फोर्सेज) गाजा सिटी पर कब्जा करेगी और लड़ाई के इलाकों से बाहर मौजूद नागरिकों को मानवीय सहायता दी जाएगी।
बैठक के दौरान सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एयाल जामीर ने चेतावनी दी कि यह कदम सेना को गाजा में फंसा सकता है और बंधकों की जान को खतरा पैदा कर सकता है। इसके बावजूद कैबिनेट ने प्रस्ताव को मंजूरी दी।
नेतन्याहू की रणनीति – हमास का अंत, बंधकों की रिहाई और डिमिलिट्राइज्ड गाजा
भारतीय पत्रकारों से बातचीत में नेतन्याहू ने कहा, “हमारा लक्ष्य है – हमास का सफाया, बंधकों की रिहाई और गाजा को एक निर्शस्त्र क्षेत्र बनाना।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि युद्ध तभी खत्म होगा जब हमास हथियार डाल देगा और बंधकों को छोड़ देगा।
नेतन्याहू ने भारत के साथ आतंकवाद-रोधी सहयोग और खुफिया साझेदारी को मजबूत करने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि वे जल्द भारत आना चाहते हैं। यह बयान भारत-इजरायल संबंधों को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है।
उन्होंने दावा किया कि इजरायल ने गाजा में दो मिलियन टन से अधिक खाद्य सामग्री भेजी है, लेकिन हमास ने राहत को रोक दिया। नेतन्याहू ने कहा, “असल में मानवीय संकट हमास ने पैदा किया है।”
गाजा के कई फिलिस्तीनी भी अब हमास के खिलाफ खड़े हो रहे. हैं। नेतन्याहू ने कहा, “अगर हमास हथियार डाल दे और बंधकों को छोड़ दे, तो युद्ध कल ही खत्म हो जाएगा।”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया – UN और अन्य देशों की आलोचना
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने इजरायल की योजना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम और अधिक मौतों, पीड़ा और विनाश का कारण बनेगा, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और ICJ के फैसले के खिलाफ है।
तुर्क ने कहा, “गाजा में युद्ध को और तेज करने के बजाय, इजरायल सरकार को नागरिकों की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।” उन्होंने फिलिस्तीनी सशस्त्र समूहों से सभी बंधकों को तुरंत और बिना शर्त रिहा करने की मांग की।
यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इस योजना को “गलत” करार दिया और तत्काल युद्धविराम की मांग की। जर्मनी ने गाजा में सैन्य उपकरणों के निर्यात पर रोक लगा दी है।
फिलिस्तीनी अधिकारियों ने इसे “जातीय सफाई” और हमास ने “युद्ध अपराध” करार दिया है। स्पेन, ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड और तुर्की जैसे देशों ने भी इस योजना की आलोचना की है।
मानवीय संकट – गाजा में भुखमरी और विस्थापन की स्थिति
गाजा पट्टी में पहले से ही 20 लाख से अधिक लोग भुखमरी और विस्थापन की स्थिति में हैं। इजरायल ने दावा किया है कि उसने दो मिलियन टन खाद्य सामग्री भेजी है, लेकिन हमास ने राहत को रोक दिया।
सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एयाल जामीर ने चेतावनी दी है कि गाजा पर सैन्य नियंत्रण लेने से बंधकों की जान को खतरा हो सकता है। कई बंधक परिवारों ने इस योजना का विरोध किया है और यरुशलम में प्रदर्शन भी किया।
गाजा में पानी, दवाइयों और बिजली की भारी कमी है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य सहायता एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि यह सैन्य कदम स्थिति को और बदतर कर देगा।
गाजा के दक्षिणी हिस्से में एक मिलियन से अधिक लोगों को शिफ्ट करने की योजना है, जिससे पहले से विस्थापित लाखों लोगों की स्थिति और गंभीर हो सकती है।
भारत-इजरायल सहयोग की नई दिशा
नेतन्याहू ने भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई है, खासकर आतंकवाद-रोधी अभियानों और खुफिया साझेदारी में। उन्होंने कहा कि भारत एक विश्वसनीय साझेदार है और दोनों देशों के बीच सहयोग को नई ऊंचाई दी जा सकती है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को और मजबूत कर रहा है।
नेतन्याहू का भारत दौरा इस रणनीतिक साझेदारी को और गहरा कर सकता है।
भारत ने अब तक इस मुद्दे पर संयमित प्रतिक्रिया दी है, लेकिन नेतन्याहू के बयान के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संवाद तेज हो सकता है।
भारत और इजरायल के बीच रक्षा, साइबर सुरक्षा और कृषि तकनीक में पहले से सहयोग है, जिसे अब आतंकवाद-रोधी रणनीति में भी विस्तार दिया जा सकता है।