1.केवल शुक्र ग्रह घूमता है दक्षिणावर्त(Only Venus Rotates Clockwise)
शुक्र एकमात्र ग्रह है जो पूर्व से पश्चिम की दिशा में घूमता है. लेकिन इसके पीछे का एक स्पष्ट कारण सिद्ध नहीं हो पाया है।
खगोलविदों के बीच तीन मत अभी भी चर्चा में है।
पहले मत के अनुसार शुक्र ग्रह का भी यूरेनस की तरह किसी क्षुद्रग्रह से टकराव हुआ होगा जिसके कारण इसकी दिशा बदल गई।
एक अन्य मत के मुताबिक मेंटल और क्रोड के बीच घर्षण के कारण भी इस ग्रह की दिशा में बदलाव हो सकता है।
शुक्र ग्रह की दिशा में बदलाव का तीसरा बड़ा कारण वायुमंडल का घनत्व बताया है क्योंकि शुक्र ग्रह का वायुमंडल बहुत घना है।
2.शहद सालों तक नहीं होता खराब
शहद ऐसा खाद्य पदार्थ है जो कई सालों तक भी खराब नहीं होता। इजिप्ट के पिरामिड में, फैरो बादशाह की कब्र से निकाला गया शहद जब वैज्ञानिकों ने चखा, तो वह उतना ही स्वादिष्ट था जितना पहले।
इसके पीछे की मुख्य वजह यह है कि शहद में बैक्टीरिया पैदा नहीं होते क्योंकि इसमें पानी बहुत कम होता है। शहद में 80% शर्करा और 20% पानी होता है। उच्च शर्करा की मात्रा बैक्टीरिया को पनपने नहीं देती।
शहद का pH मान बहुत कम (एसिडिक) होता है। इसके अलावा शहद में हाइड्रोजन पेरोक्साइड जैसे प्राकृतिक एंटीबायोटिक तत्व और कई प्राकृतिक एंजाइम्स भी पाए जाते हैं, जो शहद को खराब नहीं होने देते।
3. अनल पक्षी एक बार में 5 हाथियों का करता था शिकार (Alal Pakshi)
अनल पक्षी (अलल पंख) नाम से ही स्पष्ट है वायु में रहने वाला पक्षी, लेकिन अब यह पक्षी लुप्त हो चुका है। इसके चार पैर होते थे जिनमें आगे वाले दो पैर छोटे और पीछे वाले बड़े। इसका आकार बहुत बड़ा होता था और पंख भी लम्बे-लम्बे होते थे। युवा पक्षी पांच हाथियों को एक साथ उठाकर आकाश में अपने परिवार के पास ले जाता था। वह जब युवा हो जाता तो हाथियों के झुण्ड पर झपट्टा मारता था। चार हाथियों को चारों पंजों से उठाता तथा एक हाथी को अपनी चोंच से पकड़कर उड़ जाता था।
4. सबसे बड़ा आश्चर्य- मृत्यु (Most Surprising Truth Death)
महाभारत में आए प्रकरण के अनुसार एक समय जब यक्ष ने ज्येष्ठ पांडव, युधिष्ठिर से प्रश्न किया कि संसार में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है? तब युधिष्ठिर ने उत्तर दिया कि सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि हम प्रतिदिन ही लोगों को मरते देखते हैं लेकिन कभी यह नहीं सोचते कि हमारी भी मृत्यु होगी।
इसके विषय में 600 वर्ष पूर्व कबीर परमेश्वर जी ने भी कहा है कि
“बिन उपदेश अचंभ है, क्यों जीवत है प्राण।
भक्ति बिना कहाँ ठौर है, यह नर नाही पाषाण”
अर्थात् हे भोले मानव! मुझे आश्चर्य है कि तू बिना गुरु से दीक्षा लिए किस आशा से जी रहा है। तेरा शरीर भी तेरा नहीं है, मरने पर इसे भी त्यागना पड़ेगा। फिर धन तेरा कैसे हो सकता है? यदि आप भक्ति नहीं कर रहे तो आप मनुष्य नहीं पत्थर हो।
5. एक ऐसा भी स्थान, जहां मृत्यु नहीं होती (Satlok The Ocean of Happiness)
हम सभी यह मानते हैं कि यदि ताला है तो चाबी भी होगी और यदि हमारा जन्म हुआ है तो मृत्यु भी अवश्य होगी और मृत्यु है तो दोबारा जन्म भी होगा। लेकिन एक ऐसा स्थान भी है, जहां जाने के बाद साधक की कभी मृत्यु नहीं होती। यह जानकारी आज तक हमें किसी ने नहीं दी लेकिन पवित्र श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 18 के श्लोक 62 से संत रामपाल जी महाराज जी ने बताया कि गीता ज्ञान दाता कहता है कि हे अर्जुन! तू सर्व भाव से उस परमेश्वर की शरण में जा, जिसकी कृपा से तू सनातन परमधाम को प्राप्त होगा। वह सनातन परमधाम सतलोक है, जो सुख का सागर है। वहां सभी युवावस्था में रहते हैं, कभी बुढ़ापा नहीं आता, न ही किसी की मृत्यु होती है।
सतलोक की महिमा का बखान करते हुए गरीब दास जी ने कहा है कि
“चार मुक्ति जहां चंपी करती, माया हो रही दासी।
दास गरीब अभय पद परसै, वो मिले राम अविनाशी।।”
संत रामपाल जी महाराज जी ने बताया है कि वह अविनाशी राम कबीर परमात्मा है जो चारों युगों में आकर अपने तत्वज्ञान का प्रचार दोहों, शब्दावलियों के माध्यम से करते हैं तथा कवि की उपाधि प्राप्त करते हैं।
स्वयं कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि
“अमर करूं सतलोक पठाऊं, ताते बंदी छोड़ कहाऊं।”
उस अमर धाम के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए Sant Rampal Ji Maharaj App
आज ही डाउनलोड करें।